डेयरी टुडे नेटवर्क,
नई दिल्ली, 13 जनवरी 2020
अमेरिका में इन दिनों डेयरी इंडस्ट्री पर संकट के बादल छाए हुए हैं। अमेरिका में कैलोरी वाले पेयों पदार्थों के कई विकल्प सामने आने से वहां लोगों ने दूध पीना कम कर दिया है। आर्थिक रिसर्च सर्विस यूएसडीए की रिपोर्ट के मुताबिक 2018 में प्रत्येक अमेरिकी नागरिक ने लगभग 66 लीटर दूध पिया। यह आंकड़ा वर्ष 2000 से 26% कम है। यानी पिछले बीस वर्षों में अमेरिका में दूध की खपत 26 प्रतिशत कम हो गई है।
दूध की खपत में इस गिरावट का डेयरी इंडस्ट्री की सेहत पर असर पड़ा है। अभी हाल ही में 5 जनवरी को वहां में मशहूर बोर्डेन डेयरी ने दिवालिया होने की घोषणा कर दी। उसका कहना है, डेयरी इंडस्ट्री की चुनौतियों का उस पर प्रभाव पड़ा है। इससे पहले अमेरिका के सबसे बड़े दूध उत्पादक डीन फूड्स ने दिवालिया होने की अर्जी दाखिल की थी।
यह गिरावट डेयरी किसानों और बड़े डेयरी फार्मों से ताजा दूध खरीदकर उसे पाश्चराइजेशन जैसी टेक्नोलॉजी से सुरक्षित कर बेचने वाले बोर्डेन और डीन जैसे उद्योगों पर भारी पड़ी है। पिछले वर्ष ताजे दूध के मूल्य बढ़ने से दूध प्रोसेसिंग इंडस्ट्री के मुनाफे का मार्जिन घट गया। विस्कांसिन यूनिवर्सिटी में डेयरी नीति विश्लेषण के डायरेक्टर मार्क स्टीफेंसन का कहना है, कम मार्जिन के कारोबार में बिक्री घटने का खराब प्रभाव पड़ता है। दूध प्रोसेसर्स को अपने प्रोसेसिंग प्लांट लगाने वाले बड़े रिटेलरों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा है। 2018 में वाॅलमार्ट ने इंडियाना में दूध प्रोसेसिंग प्लांट डाला। इससे डीन फूड्स का 9 करोड़ 50 लाख गैलन दूध कारोबार प्रभावित हुआ है।
मूल्य घटने के कारण डेयरी फार्मों और छोटे किसानों के सामने भी संकट है। 2019 में पिछले साल की तुलना में दिवालिया होने वाले कृषि फार्मों की संख्या में 24% इजाफा हुआ है। 1857 में स्थापित बोर्डेन कंपनी के 13 प्लांट और 3300 कर्मचारी थे। अमेरिका में 1990 में 605 दूध प्लांट थे। 2018 में इनकी संख्या घटकर 459 रह गई।
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