जबलपुर, 11 अगस्त 2017,
सेना के जबलपुर समेत देश भर में फैले 39 डेयरी फार्मों को बंद करने के आदेश के बाद कर्मचारियों के अलावा छावनी परिषद के सदस्यों ने तीखा विरोध शुरू कर दिया है। उनका आरोप है कि डेयरी फार्म बंद होने से 25 हजार उन्नत किस्म की गायों को कत्लखाने के हवाले कर दिया जाएगा। सेना के जवानों को जो शुद्ध दूध मिलता था वह अब पाउच पैक में मिलेगा। वह न तो पौष्टिक होगा और न उसका फायदा सैनिकों को मिल सकेगा। डेयरी फार्मों में 3 लाख 65 लाख लीटर दूध का उत्पादन दो चरणों में होता है, जो जीडीपी का 5 प्रतिशत है।
सेना के लिए ही नहीं बल्कि जहां भी डेयरी फार्म में वहां के लोगों का रोजगार भी छिन जाएगा। 20 जुलाई को डायरेक्टर क्यू धीरेन्द्र वर्मा द्वारा जारी डेयरी फार्मों को बंद करने के आदेश में तीन माह के अंदर डेयरी फार्म बंद करने के बाद सूचना देने के आदेश को पहले तो अधिकारियों ने दबाए रखा, लेकिन पिछले हफ्ते इस आदेश के उजागर होने के बाद से विरोध शुरू हो गया। इस अदूरदर्शी निर्णय के विरोध में छावनी परिषद जबलपुर की ओर से अभिषेक चौकसे, मनमोहन अग्रवाल, अमरचंद, किरन ठाकुर, कविता बावरिया, बीना अग्रवाल, शरद शर्मा, शिव अग्रवाल, राजू महावर, रितेश तिवारी, सुरेश यादव आदि ने रैली निकाली, जिसमें डेयरी फार्म के कर्मचारी भी शामिल हुए।
फ्रीजवाल गाय, 40 लीटर तक देती है दूध
गोपशु परियोजना निदेशालय और सैन्य प्रक्षेत्र के साथ मिलकर फ्रीजवाल नस्ल को और अधिक विकसित किया गया है। जानकारों के अनुसार इस नस्ल की गाय 40 लीटर तक दूध उत्पादन करती है। विकसित नस्ल में वसा की मात्रा भी काफी ज्यादा है। रिकाॅर्ड के अनुसार औसत दुग्ध उत्पादन चालीस किग्रा व दूध में वसा की मात्रा चार प्रतिशत है।
आने वाले दिनों में अगर इन्हें निजी क्षेत्रों काे सौंप दिया जाता है तो यह इनकी सेहत के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता है। कर्मचारियों ने नारेबाजी करते हुए रैली में शामिल हुए लोगों ने डेयरी बंद करने का विरोध किया। प्रदर्शन के बाद स्टेशन कमांडेंट अरुण सभरवाल को राष्ट्रपति के नाम का एक ज्ञापन भी सौंपा गया। इसमें कहा गया है डेयरी फार्म की गायें प्रतिदिन औसत 35 लीटर तक दूध देती हैं और इनकी प्रजाति फ्रीजवाल और इंग्लैंड की गाय होस्टन फ्रीजन व भारतीय गाय शाहीवाल के क्राॅसबीड से तैयार की गई है। फ्रीजवाल नाम की गाय सबसे ज्यादा दूध देने वाली प्रजाति है।
सभार-दैनिक भास्कर
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