देशभर में उपभोक्ता खुले की जगह पैकेट बंद डेयरी उत्पादों का इस्तेमाल करने लगे हैं, भले ही यह बटर, योगर्ट, घी या आइसक्रीम हो। वहीं शहरों में चीज जैसे मूल्य संवर्धित उत्पादों का उपभोग बढ़ता जा रहा है, इसलिए निजी डेयरी लोगों की पसंद में बदलाव का पूरा फायदा लेने कोशिश कर रही हैं।
अमूल, मदर डेयरी, नेस्ले और अन्य बड़े ब्रांडों से लेकर छोटी से छोटी डेयरी भी कारोबार से उपभोक्ता (बी2सी) को आपूर्ति वाले खंड पर ध्यान दे रही हैं ताकि मार्जिन में सुधार बढ़ोतरी हो और वे ब्रांडेड डेयरी में उपभोक्ताओं की रुचि का फायदा ले सकें। डेयरी क्षेत्र में अच्छा मार्जिन कंपनियों को लुभा रहा है। कारोबार से उपभोक्ता (बी2सी) को आपूर्ति वाले खंड में बेहतर (करीब 20 से 25 फीसदी) मार्जिन है। इसकी तुलना में कारोबार से कारोबार (बी2बी) को आपूर्ति वाले खंड में मार्जिन 8 से 11 फीसदी ही है। हालांकि सभी कंपनियों में इसका स्तर अलग-अलग है।
कंपनियां को उपभोग की बदलती आदतों से प्रोत्साहन मिल रहा है। योगर्ट और घी जैसी श्रेणियों में उपभोक्ता गैर-ब्रांडेड को छोड़कर ब्रांडेड उत्पादों को अपनाने लगे हैं। भारत के डेयरी क्षेत्र पर यूरोमॉनिटर की एक रिपोर्ट (दिसंबर 2016) में कहा गया है कि छोटे शहरों मेंं उपभोक्ता खुले या स्थानीय डेयरी योगर्ट के स्थान पर पैकेटबंद योगर्ट खरीदने लगे हैं। वहीं शहरी इलाकों में स्वास्थ्य को लेकर बढ़ती जागरूकता के कारण फ्लेवर्ड योगर्ट की बिक्री बढ़ रही है। इसके अलावा शहरों में बटर, चीज, छाछ, लस्सी और मूल्य संवर्धित डेयरी उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है। यही वजह है कि बहुत सी डेयरी कंपनियां अपनी बी2बी इकाइयों की संख्या में कमी कर रही हैं।
इस समय पराग फूड्स के राजस्व में बी2बी खंड का हिस्सा घटकर महज 13 फीसदी रह गया है, जो पांच साल पहले 32 फीसदी था। वहीं प्रभात डेयरी के राजस्व में बी2सी उत्पादों का हिस्सा 30 फीसदी से बढ़कर 50 फीसदी हो गया है। हटसन एग्रो का कहना है कि उसके 90 फीसदी से ज्यादा उत्पाद ग्राहकों के लिए हैं। महाराष्ट्र की पराग का उत्पाद पोर्टफोलियो काफी विविधिकृत है। इसके 170 से अधिक एसकेयू (भंडारण इकाइयां) और चार स्थापित ब्रांड- गोवर्धन, गो, प्राइड ऑफ काऊज और टॉप अप हैं।
पिछली तिमाही में इसने दो नए ब्रांड- मिल्करिच और अवतार पेश किए। मिल्करिच डेयरी व्हाइट व्हाइटनर और अवतार वे प्रोटीन पाउडर की श्रेणियों में प्रवेश के लिए पेश किए गए हैं। पराग मिल्क फूड्स के मुख्य वित्त अधिकारी भरत केडिया ने कहा कि असल में बी2सी खंड पर ध्यान दिया जा रहा है। बी2बी खंड में मुख्य रूप से स्किम्ड मिल्क पाउडर (एसएमपी) शामिल है और इसका कंपनी के राजस्व में महज 13 फीसदी हिस्सा है और इसमें पिछले 6 वर्षों से लगातार साल दर साल गिरावट आ रही है। छह साल पहले इसकी हिस्सेदारी करीब 32 फीसदी थी।
केडिया ने कहा कि हालांकि वित्त वर्ष 2017 में इसकी हिस्सेदारी मामूली बढ़ी है। केडिया ने कहा, ‘पिछले कुछ वर्षों से दूध की खरीद बढ़ी है और यही एक वजह है कि हमने इस साल स्किम्ड मिल्क पाउडर की मौके देखकर बिक्री की है। आमतौर पर हम स्किम्ड मिल्क पाउडर की बिक्री पर नहीं बल्कि उपभोक्ता उत्पादों एवं ताजे दूध की बिक्री पर ध्यान देते हैं।’ निर्यात के मोर्चे पर भी कंपनी ब्रांडेड उपभोक्ता उत्पादों पर ध्यान दे रही है। लेकिन पराग के कारोबार में निर्यात का मामूली हिस्सा है, जो अभी करीब 3 फीसदी है।
एक अन्य सूचीबद्ध निजी डेयरी प्रभात डेयरी ने हाल में कहा था कि वह 2020 तक अपना 50 फीसदी कारोबार बी2सी उत्पादों से आने की उम्मीद कर रही है, जो इस समय 30 फीसदी है। प्रभात बी2सी खंड में नई श्रेणियां बनाने पर काम कर रही है। हाल में इसने आइसक्रीम ब्रांड शुरू किए थे, जिनकी बिक्री यह खुदरा दुकानों और आधुनिक कारोबार के जरिये करती है। अन्य बी2सी उत्पादों में तरल दूध, चीज, पनीर, दही आदि शामिल हैं। हालांकि अभी कंपनी के कारोबार में 70 फीसदी हिस्सा बी2बी खंड का है, जिसमें मॉन्डलेज, ऐबट, पारले, नेस्ले और फ्यूूचर समूह आदि को आपूर्ति करना शामिल है।
इस साल मई में विश्लेषकों की एक बैठक में प्रभात डेयरी के संयुक्त प्रबंध निदेशक विवेक निर्मल ने कहा था कि अगले तीन वर्षों में कंपनी के उपभोक्ता कारोबार में भारी बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है और उन्होंने अपनी प्रबंधन टीम को इस चुनौती से पार पाने के लिए प्रोत्साहित किया है। उन्होंने कहा कि कंपनी ने हाल में वोलअप आइसक्रीम पेश की है और दूध आधारित पेयों, चीज और अन्य उत्पादों में नए ब्रांड शुरू किए जाएंगे। उन्होंने कहा, ‘हम प्रभात डेयरी के ब्रांड की पहचान को बेहतर बनाने पर काम कर रहे हैं।’
बी2सी कारोबार में बढ़ोतरी से प्रभात को अगले दो वर्षों में क्षमता उपयोग 60 फीसदी से बढ़ाकर 85 से 90 फीसदी करने में मदद मिलेगी। इसी को ध्यान में रखते हुए कंपनी अगले दो साल में खुदरा दुकानों की संख्या दोगुनी यानी 2 लाख करने की योजना बना रही है। दक्षिण की डेयरी कंपनी हटसन एग्रो के कारोबार में 92 फीसदी से ज्यादा हिस्सा बी2सी खंड का है। हटसन एग्रो के प्रबंध निदेशक आर चंद्रमोगन ने कहा, ‘हम एसएमपी की कुछ संस्थागत बिक्री करते हैं, लेकिन यह नगण्य है। हम यहां तक कि अपनी आइसक्रीम और चीज जैसे अन्य उत्पादों की ही संस्थागत बिक्री नहीं करते हैं।’
इसके ब्रांडों में अरुण आइसक्रीम और अरोक्या दूूध शामिल हैं। देश की सबसे बड़ी डेयरी कंपनी गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ) का मानना है कि बी2बी खंड की पूरी तरह अनदेखी नहीं की जा सकती है। जीसीएमएमएफ अमूल ब्रांड की मालिक है। अमूल के कुल राजस्व में 16 से 17 फीसदी हिस्सा बी2बी खंड का है। कुछ उत्पाद श्रेणियों में कंपनी के बी2बी खंड की हिस्सेदारी काफी अधिक है। यह चीज में 45 फीसदी, बटर में 10 फीसदी और आइसक्री में करीब 20 फीसदी है।
जीसीएमएमएफ के प्रबंध निदेशक आर एस सोढी कहते हैं, ‘चीज में अतिरिक्त क्षमता से होरेका (होटल, रेस्टोरेंट, कैटरिंग) की हिस्सेदारी में बढ़ोतरी के आसार हैं।’ हालांकि वह यह स्वीकार करते हैं कि बी2बी खंड कीमत को लेकर बहुत सतर्क रहता है, इसलिए इसमें मार्जिन कम होता है। इस बात में कोई संदेह नहीं है कि उपभोक्ता ही राजा है।
सभार- Business Standard Hindi
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