डेयरी टुडे नेटवर्क,
मुंबई, 26 फरवरी 2018,
अगर आपको लगता है कि आपके घर में आने वाला दूध शुद्ध और बिना मिलावट के है तो शायद आप गलत हैं। एक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र में बिकने वाले ब्रैंडेड और तबेलों के 70 प्रतिशत दूध मिलावटी पाए गए हैं। यही नहीं यह दूध भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) द्वारा निर्धारित मानकों पर भी असफल रहे हैं।
कन्ज्यूमर गाइडेंस सोसायटी ऑफ इंडिया (सीजीएसआई) की रिपोर्ट के अनुसार, 2017 में राज्यभर से ब्रैंडेड और तबेलों के दूध के 848 नमूने लिए गए थे, जिनकी जांच के बाद इसमें से 70.99 प्रतिशत दूध में मिलावट पाया गया। ताज्जुब की बात है कि ब्रैंडेड दूध की तुलना में तबेलों के दूध में अधिक मिलावट देखने को मिली।
गौरतलब है कि अक्सर लोगों को पैकेट बंद दूध की तुलना में तबेले का दूध अधिक शुद्ध लगता है, हालांकि रिपोर्ट के अनुसार 72 प्रतिशत तबेलों के, जबकि 65 प्रतिशत पैकेट बंद दूध में मिलावट पाई गई। सीजीएसआई के चैयरमेन डॉ. सीताराम दीक्षित ने कहा कि शरीर के लिए दूध बेहद आवश्यक होता है। कैल्शियम की कमी को पूरा करने से लेकर कमजोर हड्डियों की समस्या को दूर करने के लिए नियमित रूप से दूध का सेवन बहुत ही लाभदायक है, हालांकि बाजार में बिकने वाले दूध में मिलावट के कारण इनकी गुणवत्ता दिन प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है।
एफएसएसएआई के मानकों के अनुसार गाय के दूध में 3.2 प्रतिशत जबकि भैंस के दूध में 6.0 प्रतिशत फैट होता है, पर जमा किए गए नमूनों में व्यापक असंतुलन देखने को मिला। कम दूध से अधिक बनाने के लिए उसमें मिलावट की जाती है, जिसके लिए लोग न केवल इसमें स्टार्च मिलाते हैं, बल्कि कई बार ऐसे तत्वों का भी इस्तेमाल करते हैं जिसका सेवन स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक होता है। हमने सरकार को पूरी रिपोर्ट भेजकर इस संदर्भ में कार्रवाई करने की मांग की है।
(साभार एनबीटी)
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