डेयरी टुडे नेटवर्क,
बरेली/नई दिल्ली, 20 जुलाई 2019,
दूध में दूषित पानी की मिलावट जानलेवा साबित हो रही है। दूषित पानी की मिलावट की वजह से दूध में खतरनाक बैक्टीरिया पैदा हो रहे हैं, इससे किडनी, लीवर, फेफड़े जैसे अंगों पर असर पड़ रहा है। बरेली स्थित भारतीय पशु चिकित्सा संस्थान (IVRI) के वैज्ञानिकों की जांच-पड़ताल में यह तथ्य सामने आया है। IVRI के वैज्ञानिकों को बरेली के दूधियों, गांवों और दूसरे सैंपल में स्यूडोमोनास नाम का बैक्टीरिया मिला है।
आईवीआरआई के महामारी विभाग के अध्यक्ष और प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. भोजराज सिंह और एमवीएससी की छात्रा डॉ. हिमानी अग्री ने बरेली के आसपास के गांव से सप्लाई होने वाले गाय-भैंसों के दूध के, संस्थान में इलाज के लिए लाई गई गाय-भैंसों के 300 से अधिक सैंपल एकत्र किए थे। प्रयोगशाला में इसकी जांच की गई। जांच के दौरान इनमें से 31 सैंपल में स्यूडोमोनास बैक्टीरिया मिले, इनमें से ज्यादातर भैंसों के दूध में मिले। आईवीआरआई में इलाज के लिए लाई गई गाय-भैंसों के 60 सैंपल की जांच हुई, इसमें से 21 में नुकसानदायक बैक्टीरिया मिले हैं। वैज्ञानिकों ने कहा कि यह बैक्टीरिया दूषित पानी में मिलता है। दूधियों से लिए गए सैंपल में भी स्यूडोमोनास मिला है और इससे साफ है कि दूध में दूषित पानी की मिलावट की गई। डॉ. भोजराज सिंह ने कहा कि दूध में यह बैक्टीरिया मिले तो साफ हो जाता है कि पानी में मिलावट की गई है।
सैंपल की जांच में सुपरबग क्वालीफिकेशन के स्यूडोमोनास मिले। डॉ. भोजराज सिंह ने कहा कि यह बैक्टीरिया काफी हठी होता है। उस पर से एंटीबायोटिक प्रतिरोधी क्षमता विकसित कर ले तो और भी खतरनाक हो जाता है। कुछ बैक्टीरिया एस्केप ग्रुप थे। एस्केप ग्रुप उन बैक्टीरिया को कहते हैं जो हॉस्पिटल में लगते हैं और इनसे पीछा छुड़ाना काफी मुश्किल होता है।
डॉ. भोजराज सिंह ने बताया कि स्यूडोमोनास सेप्टीसीमीया, लेग इनफेक्शन के साथ ही अंदरूनी अंगों में भी संक्रमण कर सकता है। यह किडनी, लीवर और फेफड़ों में संक्रमण का कारण बन सकता है। स्थिति तब और खतरनाक हो सकती है जब संक्रमण फैलाने वाला बैक्टीरिया सुपरबग क्वालीफिकेशन हो। ऐसी स्थिति में नए जमाने की कार्बापेनम ग्रुप एंटीबायोटिक भी इन पर बेअसर हो जाएगी।
सेंट्रल जेल बरेली की डेयरी से भी सैंपल लिए गए थे। इसमें खतरनाक बैक्टीरिया नहीं मिले। डॉ. भोजराज सिंह ने कहा कि सेंट्रल जेल बरेली की डेयरी का दूध सबसे अच्छा है। इसका एक कारण यह भी है कि वहां पर गायों की संख्या अधिक है। स्यूडोमोनास ज्यादातर भैंसों के दूध में मिले है। या तो वे गंदे पानी में नहाती हैं या फिर उनकी थन को गंदे पानी से धोया जाता है।
स्यूडोमोनास बैक्टीरिया गंदे पानी, मिट्टी में पाया जाता है। संभव है दूध में दूषित पानी मिलाने से बैक्टीरिया आ गया है। जिनके शरीर में रोग प्रतिरोधक प्रणाली कमजोर होती है, उनके शरीर के किसी भी अंग को यह प्रभावित कर सकता है। एसजीपीजीआई के माइक्रोबायोलोजी विभाग की प्रमुख प्रो. उज्जवला घोषाल के मुताबिक यह बैक्टीरिया फेफड़ा, पेट, त्वचा सहित किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है। रक्त प्रवाह में जाकर यह गंभीर संक्रमण का कारण हो सकता है। ब्रुसेलोसिस बैक्टीरिया जानवरों के शरीर पर ही पाया जाता है। इस लिए सफाई से दूध न निकालने पर जानवर से ही दूध में आ जाता है। यह भी घातक साबित हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि पाश्चुराइज दूध ही इस्तेमाल करना चाहिए।
(साभार- हिंदुस्तान)
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