डेयरी टुडे नेटवर्क,
इलाहाबाद/नई दिल्ली, 22 जून 2019
डेयरी के सुल्तान में हमारी कोशिश होती है कि ऐसे लोगों के बारे में विस्तार से जानकारी दें, जिन्होंने मुश्किल समझे जाने वाले डेयरी फार्मिंग के क्षेत्र को न सिर्फ अपनाया, बल्कि सफलता की एक मिसाल भी कायम की है। आज हम आपके सामने लेकर आए हैं इलाहाबाद के एक होनहार, उत्साही और मेहनतकश युवक अजीत त्रिपाठी की कहानी, जिन्होंने विदेश में अच्छा-खासा बिजनेस छोड़कर अपने गांव में डेयरी फार्म स्थापित किया और आज पूरे जिले में शुद्ध दूध की बात होने पर उनकी श्री गंगा धाम गौशाला का नाम ही सामने आता है।
इलाहाबाद के जसरा इलाके के पाण्डर गांव के रहने वाला अजीत त्रिपाठी ने वाराणसी के बीएचयू से एमबीए किया और फिर 2013 में दुबई में अपने चाचा प्रदीप त्रिपाठी के मोबाइल के बिजनेस को ज्वाइन कर लिया। करीब तीन साल तक अजीत ने मस्कट में मोबाइल का बिजनेस संभाला। आखिर मोबाइल के बिजनेस से अचानक डेयरी के धंधे में कैसे आ गए? डेयरी टुडे के इस सवाल पर अजीत त्रिपाठी ने कहा कि बात 2016 की है जब वे अपने चाचा के साथ अपने घर और गांव की चर्चा कर रहे थे। तभी बात दूध की छिड़ गई और दुबई में बिकने वाले अल्मराई ब्रांड के दूध की होने लगी।
दुबई जैसे रेगिस्तान में अल्मराई ब्रांड का दूध भारत की तुलना में एकदम प्योर माना जाता है। जबकि वहां भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान जैसे देशों से लाखों गायों को लाकर मार्डन डेयरी फार्मों में पाला जाता है और फिर उनका दूध निकाला जाता है। अजीत को लगा कि वो अपने इलाहाबाद में भी इसी तरह का डेयरी फार्म खोलकर लोगों को शुद्ध दूध उपलब्ध करा सकते हैं। अजीत का ये आइडिया उनके चाचा प्रदीप त्रिपाठी को भी पसंद आया और फिर उनकी प्रेरणा से अजीत जमा जमाया बिजनेस छोड़ कर अपने गांव में डेयरी स्थापित करने भारत लौट आए।
अजीत त्रिपाठी को बस जुनून था ऐसा डेयरी फार्म स्थापित करने का, जहां वो लोगों प्योर मिल्क उपलब्ध करा सकें। दुबई से इलाहाबाद आने पर अजीत ने राजस्थान, पंजाब में कई डेयरी फार्मों और गौशालाओं का दौरा किया और सितंबर, 2016 में उन्होंने 50 पशुओं के साथ अपने गांव की जमीन पर श्री गंगा धाम गौशाला शुरू कर दी।
अजीत ने गौशाला स्थापित करने में दिल खोलकर खर्च किया और उनके परिजनों ने भी इसमें भरपूर योगदान दिया। अजीत के चाचा और पिता जी सभी ने आर्थिक मदद की और उन्होंने यूपी सरकार की कामधेनु योजना से भी लोन लिया। अजीत त्रिपाठी का डेयरी फार्म 24 बीघा क्षेत्रफल में फैला है और अत्याधुनिक सुविधाओं व मशीनों से लैस है। गौशाला में 8 बीघा क्षेत्र में दो 250X300 फीट के शेड हैं, जहां गायों और भैसों को रखा जाता है।
अजीत त्रिपाठी ने सिर्फ 50 गायों के साथ अपना डेयरी फार्म शुरू किया था औज उनके पास 450 पशु हैं। जिनमें 340 गायें और 110 भैंसें हैं। शुरुआत में अजीत त्रिपाठी ने करीब 1.5 करोड़ की लागत लगाई थी, जो आज बढ़ कर 10 करोड़ से अधिक हो गई है। अजीत की योजना जल्द ही और अधिक पशुओं को बढ़ाने की भी है।
अजीत त्रिपाठी ने सिर्फ गायों के रहने के लिए ही शेड नहीं बनवाया, उसमें फॉगर सिस्टम, पंखे आदि भी लगवाए हैं। पशुओं के लिए गौशाला के भीतर ही एक बड़ा से तालाब भी बनाया गया है, जहां गर्मी में गाय और भैंसे घंटों नहाती हैं। पशुओं के घूमने के लिए भी बड़ा से मैदान है। पहले मिल्किंग मशीनों से गायों का दूध निकाला जाता था, वहीं अब पशुओं की संख्या बढ़ने पर आधुनिक मिल्क पार्लर लगा लिया है। इस मिल्क पार्लर में एक साथ 40 से अधिक गायों का दूध दुहा जा सकता है और सीधे पाइप के जरिए बीएमसी में एकत्र किया जाता है। गौशाला में 1000 लीटर के दो बीएमसी हैं।
डेयरी फार्मों में अक्सर यही शिकायत होती है कि वहां साफ-सफाई को कोई ध्यान नहीं रखा जाता है। लेकिन अजीत त्रिपाठी की गौशाला में हाईजीन सर्वोपरि है। यहां गायों का दूध दुहने से लेकर उसे एकत्र करने और फिर लोगों तक पहुंचाने में मानव हाथ न के बराबर लगता है। एक और बात है कि पशुओं को अपने ही खेत का हरा चारा दिया जाता है, इससे उनका स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है।
गौशाला में औसरतन रोजाना एक हजार लीटर दूध का उत्पादन होता है। गौशाला ने निदेशक अजीत त्रिपाठी के मुताबिक गायों से करीब 750 लीटर और भैसों से 250 लीटर दूध रोजाना मिलता है। बाजार में ये दूध 50 से 60 रुपये लीटर बिकता है। बड़ी संख्या में लोग खुद गौशाला में दूध लेने आते हैं, वहीं आईटीबीबी, आएएफ और एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में भी रोजाना सैकड़ों लीटर दूध की सप्लाई होती है। आस-पास के इलाके में श्री गंगा धाम गौशाला का दूध शुद्धता की पहचान बन गया है, जिसे अजीत त्रिपाठी सबसे बड़ी उपलब्धि मानते हैं। गौशाला में दूध के अलावा घी, दही, पनीर, छाछ का भी उत्पादन होता है। गौमूत्र से फिनाइल भी बनाया जाता है। इससे भी अच्छी खासी कमाई होती है। गौशाला में ही बायोगैस का प्लांट है, जहां डेयरी की जरूरत का ईंधन और बिजली का उत्पादन हो जाता है।
अजीत त्रिपाठी को डेयरी फार्मिंग की शुरुआत में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हौसला नहीं खोया। अजीत ने बताया कि जब उन्होंने गौशाला खोली तो पंजाब से गायों को लाए थे, लेकिन एच एफ और साहीवाल गायों के लिए मौसम में परिवर्तन की वजह से रहने में दिक्कत आईं। इसके साथ ही पूरी जानकारी नहीं होने की वजह से भी वे गायों की उचित देखभाल नहीं कर पाए। शुरूआती महीनों में कई गायें मर गईं। तब उन्होंने पशु चिकित्सकों से संपर्क किया और दो अनुभवी पशु चिकित्सकों को फुल टाइम गौशाला में नौकरी पर रखा। तब जाकर पशुओं की उचित देखभाल हुई और दुग्ध उत्पादन भी बढ़ गया।
अजीत त्रिपाठी ने अपनी डेयरी फार्म में 74 लोगों को रोजगार दिया है। जिनमें दो पशु चिकित्सक और सहायक स्टॉफ शामिल है। अजीत के अलावा उनके दो छोटे भाई अंबुज और सीबू भी मिल्किंग, फीडिंग और मार्केटिंग का काम संभालते हैं। अजीत के पिता और दूसरे चाचा भी समय-समय पर अपना योगदान देते हैं। अजीत का गौशाला का इतना नाम है कि इलाबाद की एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के डेयरी विभाग के छात्र-छात्राएं इंटर्नशिप के लिए आते रहते हैं और यहां डेयरी फार्मिंग से जुड़ा हर काम सीखते हैं।
अजीत त्रिपाठी ने अपनी मेहनत के बल पर डेयरी फार्म में जो सफलता पाई है वो एक मिसाल है। हर महीने पशुओं की देखभाल, स्टॉफ की सैलरी आदि पर करीब 16 से 17 लाख रुपये का ऑपरेशन खर्च आता है और इसके बाद 2 से ढाई लाख की बचत भी हो जाती है। लेकिन अजीत यहीं नहीं रुकने वाले हैं। उनकी योजना भविष्य में बोतल में अपने ब्रांड का दूध सप्लाई करने की है। उन्होंने कहा कि इसके लिए मार्केट सर्वे कराया है और जल्द ही गंगा मिल्क इलाहाबाद के लोगों को उपलब्ध कराया जाएगा। आपने देखा कि अजीत त्रिपाठी ने इतनी कम उम्र में अपने जुनून और हौसले के बल पर डेयरी फार्मिंग जैसे मुश्किल बिजनेस में सफलता का परचम लहरा दिया है। उनकी ये सफलता उन युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो सोचते हैं कि डेयरी के क्षेत्र में कुछ किया नहीं जा सकता।
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Very good Ajit Tripayhi. Pls provide your mobile number. I want to set up a dairy farm.
Good job
Nice work best wishes for your Bright future