BY डेयरी टुडे नेटवर्क
नई दिल्ली,
डेयरी के सुल्तान में हम आपको देशभर के कई सफल डेयरी किसानों से रूबरू करा चुके हैं, लेकिन आज हम एक ऐसे शख्स की स्टोरी लेकर आए हैं जो है तो पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर लेकिन उसके अंदर डेयरी किसानों की बदहाली और डेयरी फार्मों की बदहाली को लेकर पीड़ा है। जी हां हम बात कर रहे हैं 26 साल के युवा सॉफ्टवेयर इंजीनियर अनिल मिश्रा की। अनिल डेयरी किसानों और पशुपालकों को पेशेवर तरीके से पशुओं की देखभाल, दुग्ध उत्पादन बढ़ाने और मिल्क प्रोडक्शन से कमाई बढ़ाने के गुर सिखाने में दिन-रात जुटे हुए हैं।
अनिल मिश्रा उड़ीसा के भुवनेश्वर के रहने वाले हैं। अनिल ने 2012 में कंप्यूटर साइंस में बीटेक किया और उसके बाद बैंगलोर में मल्टीनेशनल कंपनी क्विंटाइल रिसर्च में दो साल जॉब किया। लेकिन उनका मन नौकरी में नहीं लगा। अनिल के मुताबिक वो पढ़ाई के वक्त से ही कुुछ जमीन से जुड़ा और रूरल एरिया में काम करना चाहते थे। नौकरी के दौरान उन्होंने काफी रिसर्च की और पाया कि दुग्ध उत्पादन भारत के किसानों की रीढ़ है। क्योंकि खेती से उपज पैदा होने में वक्त लगता है और उससे कमाई होने या नहीं होने में कई फैक्टर काम करते हैं लेकिन दुग्ध उत्पादन और पशुपालन ऐसा क्षेत्र हैं जिसमें रोजना कमाई की जा सकती है। जब उन्होंने डेयरी के क्षेत्र कुछ करने का मन बनाया तो पाया कि देश में पशुधन तो बहुत है और डेयरी से काफी लोग जुड़े हैं लेकिन उनकी इनकम उतनी नहीं है जितनी होनी चाहिए। बस अनिल ने ठान लिया कि वो डेयरी फार्मरों के लिए काम करेंगे। अनिल ने नौकरी छोड़ दी और अपने कुछ दोस्तों से साथ मिलकर शुरू की डेयरी किसानों की दिक्कतों को दूर करने के लिए IN-HOF टेक्नॉलाजी (www.inhof.in) नाम की कंपनी।
शानदार करियर छोड़कर इस तरह डेयरी के क्षेत्र में उतरने के फैसले ने अनिल के परिजनों को हैरान किया लेकिन अपने स्टार्टअप को लेकर बेहद जुनूनी अऩिल ने किसी की नहीं मानी और अपनी टीम के साथ काम में जुट गए। डेयरी टुडे से बातचीत में अनिल ने बताया कि जब उन्होंने यह कदम उठाया तो उन्हें ज्यादा गहराई से जानकारी नहीं थी बस ये पता था कि डेयरी किसान मेहनत बहुत करते हैं लेकिन उनकी कमाई उतनी नहीं होती। अनिल ने बताया कि रिसर्च के दौरान उन्होंने पाया कि पशुओं के बारे में डाटा नहीं होने से सारी दिक्कत है। अनिल के मुताबिक गाय हो या भैंस हर जानवर का एक अपना नेचर और व्यवहार होता है। ज्यादातर होता ये है कि पारंपरिक तरीके से पशुपालन करने में एक ही फार्मूला सभी पशुओं पर लागू किया जाता है, लेकिन ये ठीक नहीं है। एक गाय कितना चारा खाती है, कितना दूध देती है, कब ब्यायेगी और उसे बीमार होने पर कितनी दवा देना जरूरी है ये काफी महत्वपूर्ण है। और जो एक गाय करेगी वो ही दूसरी करेगी ऐसा जरूरी नहीं है।
अनिल मिश्रा ने कई डेयरी फार्मर्स को अपने इस विचार के बारे में बताया और डाटा मैनेजमेंट के जरिए पशुपालन करने को प्रोत्साहित किया। बकौल अनिल इसके काफी उत्साहजनक परिणाम सामने आए और डेयरी किसानों की कमाई भी बढ़ने लगी और पशु भी पहले से ज्यादा स्वस्थ्य और खुश रहने लगे। अनिल मिश्रा ने बताया कि उन्होंने FARM TREE नाम से एक ऑनलाइन सॉफ्टवेयर डेवलप किया है। जिसमें हर पशु का डाटा रोजाना ऑनलाइन फीड किया जाता है, जैसे गाय को कितना चारा दिया गया, कौन सा चारा दिया गया, सुबह-शाम गाय ने कितना दूध दिया। इससे होता ये है कि हमें अपना खर्चा भी पता चलता है कि प्रति लीटर दूध उत्पादन में कितनी लागत आ रही है। साथ ही जब कभी पशु बीमार होता है तो चिकित्सकों को उसका इलाज करने में भी काफी आसानी होती है, क्योंकि उन्हें उस पशु की पूरी जानकारी रहती है। इसके लिए अनिल की कंपनी प्रति पशु 30 से 40 रुपये महीने का चार्ज करती है।
अनिल ने बताया कि उनके सॉफ्टवेयर से पशुु के हीट में आने का भी पता चल जाता है और इसकी नतीजे 70 फीसदी तक सही होते हैं। अनिल का कहना हा कि देश में बड़ी संख्या में डेयरी फार्मर्स बढ़ रहे हैं लेकिन दो-तीन साल में फायदा नहीं होने पर घाटे के बाद वो फार्म बंद कर देते हैं। यदि डाटा मैनेजमेंट के साथ डेयरी फार्मिंग की जाए तो इसके काफी अच्छे नतीजे आने की उम्मीद है। इसके साथ ही अनिल अपने साथ अच्छे पशु चिकित्सकों को भी जोड़ रहे हैं ताकि वो डेयरी किसानों को अपनी कंपनी के जरिए एक वन स्टॉप सल्यूशन दे सकें।
अनिल मिश्रा का कहना कि डेयरी के क्षेत्र में काफी काम होने की जरूरत है, सरकारों और डेयरी-पशुपालन से जुड़े विभाग सामूहिक ट्रेनिंग देते हैं लेकिन देश में जरूरत हर पशु और हर डेयरी फार्मर की समस्याओं को अलग-अलग तरीके से खत्म करने की हैं। अनिल के साथ 12 लोगों की टीम है, जिसमें पशु चिकित्सक, आहार विशेषज्ञ और इंजीनियर शामिल हैं। आज अनिल की कंपनी के पास यूपी, राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश समेत कई राज्यों में सौ से ज्यादा क्लाइंट हैं। अनिल का जुनून इतना ज्यादा है कि वो खुद अपने बुलेट से एक-एक डेयरी फार्म पर जाते हैं और खुद वहां ट्रेनिंग देते हैं और डेयरी संचालकों की समस्याओं को मौके पर ही सुलझाते हैं।
अनिल मिश्रा का कहना है कि डेयरी के क्षेत्र काम करने वालों को हताश होने की जरूरत नहीं है, यदि किसी ने गाय पाली है तो वो उसे फायदा जरूर देगी, लेकिन उसके लिए पारंपरिक नहीं बल्कि पेशेवर रवैया अपनाना होगा, क्योंकि हमें सिर्फ दुग्ध उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान नहीं देना है बल्कि पशु भी हर तरीके से तंदरुस्त और ठीक रहे इसका भी ख्याल रखना है। दो वर्षों से डेयरी के क्षेत्र में लगे अनिल मिश्रा की कंपनी अभी घाटे में ही है और वो अपने पास से ही पैसा लगाकर काम कर रहे हैं। लेकिन उन्हें उम्मीद है कि जैसे-जैसे और ज्यादा डेयरी फार्मर उनसे जुड़ते जाएंगे वो अपने मकसद में कामयाब होते जाएंगे। अनिल के स्टार्टअप को उड़ीसा सरकार की तरफ से मान्यता भी मिल चुकी है। अनिल मिश्रा(FARM TREE) से +918696596201 पर संपर्क किया जा सकता है।
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Good job dr.saheb
Agar Maharashtra me aaye solapur district me to please call me
Good job and i want also some discussion with dr anil
This has alrdy been implemented in our farm..nothing special offered by them
online software google pr nhi mil rha plz link share kre..
Salute for mr. Anil mishra ji.
bas mil gaya ye devta ….ab bilkul sahi disha main kaam huya hai… i know this figure ..success milegee isko bhi n kisaan ko bhi