मिलिए कैथल के ‘डेयरी के सुल्तान’ बलिंदर ढुल से, 24 साल की उम्र में खोला डेयरी फार्म, हर महीने 1.5 लाख की कमाई

नवीन अग्रवाल, डेयरी टुडे नेटवर्क
कैथल(हरियाणा), 23 अक्टूबर 2017,

व्यवसायिक डेयरी फार्मिंग एक ऐसा काम है जिसमें लाखों रुपये की कमाई की जा सकती है। कैथल के युवा और प्रगतिशील डेयरी किसान बलिंदर ढुल ने ऐसा कर के दिखाया है। कैथल में अपनी जमीन पर पेशेवर तरीके से डेयरी फार्मिंग कर बलिंदर ना सिर्फ अच्छी-खासी कमाई कर रहे हैं बल्कि इलाके के युवाओं के लिए एक मिसाल भी बन गए हैं। आज डेयरी के सुल्तान में हम हरियाणा के 28 वर्षीय बलिंदर ढुल की सफलता की कहानी लेकर आए हैं, इनकी सफलता से डेयरी व्यवसाय में आने की सोच रहे युवाओं को जरूर प्रेरण मिलेगी।

24 साल की उम्र में 7 भैंस से शुरू किया डेयरी फार्म


बात साल 2012-13 की है जब कैथल जिले के हरसोला गांव के रहने वाले बलिंदर ढुल बीए (इकॉनामिक्स) करने के बाद एमए की पढ़ाई कर रहे थे। उनके सभी दोस्त सरकारी नौकरी की तैयारी में लगे थे लेकिन बलिंदर के मन में कुछ अपना काम करने का विचार चल रहा था। आखिर काफी सोचने के बाद उन्होंने अपने गांव में ही डेयरी फार्मिंग करने की ठानी, क्योंकि उनके घर में हमेशा से पशु पालने की परंपरा थी और उन्होंने इसी बिजनेस में किस्मत आजमाने का फैसला किया। कैथल से 8 किलोमीटर दूर हरसोला गांव में बलिंदर की 8 एकड़ खेती की जमीन थी, जहां उनके पिता खेती किया करते थे। बस बलिंदर ने इसी जमीन पर डेयरी फार्म खोलने का फैसला कर लिया। बलिंदर ने कैथल के कृषि ज्ञान केंद्र से डेयरी फार्मिंग की ट्रेनिंग ली और फरवरी 2014 में 7 मुर्रा भैंस के साथ एक एकड़ जमीन पर डेयरी फार्म शुरू कर दिया। युवा बलिंदर ने जब डेयरी फार्म खोला तो रिश्तेदार ही नहीं पड़ोसियों ने उसकी काफी आलोचना की, लेकिन इरादे के पक्के बलिंदर ने किसी की नहीं सुनी और पूरी मेहनत के साथ डेयरी फार्म को बढ़ाने में लगे रहे।

आज हैं बलिंदर के फार्म में 80 से ज्यादा गाय और भैंस


युवा बलिंदर की मेहनत का ही नतीजा था कि धीरे-धीरे उनका डेयरी फार्म प्रगति करने लगा और उसके शुद्ध दूध की डिमांड बढ़ने लगी। जैसे-जैसे कमाई बढ़ी बलिंदर का जोश भी बढ़ता गया और उन्होंने पशुओं की संख्या बढ़ाना शुरू कर दिया। आज बलिंदर के फार्म में 30 अच्छी नस्ल की मुर्रा भैंस हैं, जिनमें से बीस भैंस दूध देती  हैं, जबकि 30 हॉलिस्टियन फ्रीशियन और साहीवाल नस्ल की गाय हैं, जिनमें से 20 गाय इस वक्त दूध दे रही हैं। बाकी गाय और भैंस अभी ड्राई हैं। इसके साथ ही बलिंदर के डेयरी फार्म में बड़ी संख्या में अच्छी नस्ल की बछड़ियों की भी है, जो कुछ महीनों में तैयार होकर दूध देने लगेंगी।

फार्म में रोजाना होता है 300 लीटर दूध का उत्पादन


बलिंदर के डेयरी फार्म में आज रोजाना 300 लीटर दूध का उत्पादन होता है, जबकि सर्दियों के समय में दूध का उत्पादन 400 लीटर प्रतिदिन तक पहुंच जाता है। डेयरी टुडे से बातचीत में बलिंदर ने बताया कि वो अपने फार्म में पशुओं की काफी देखभाल करते हैं। पशुओं को क्या खिलाना है, कब खिलाना है उसका पूरा ध्यान रखा जाता है। पशुओँ के लिए हरा चारा वो अपने खेत में ही उगाते हैं साथ ही पशुओं के लिए दाना भी खुद तैयार करवाते हैं। बलिंदर के मुताबिक पशुओं के दाने में सरसों की खली, बिनौला, सोयाबीन, मक्का, गेहूं, मिनरल मिक्सर समेत 17 चीजें मिलाते हैं। इस दाने को खाने से जहां गाय और भैंस सेहतमंद रहते हैं वहीं दुग्ध का उत्पादन भी बढ़ जाता है। बलिंदर ने बताया कि वो पशुओं के स्वास्थ्य की देखभाल पर भी खासा ध्यान देते हैं। सरकारी अस्पताल के चिकित्सक से संपर्क में तो  रहते ही हैं साथ ही उन्होंने एक निजी पशु चिकित्सक को भी पशुओं की देखभाल के लिए रखा है, जो रोजाना पशुओं के स्वास्थ्य का चेकअप करता है। पशुओं को रखने के लिए काफी बड़े क्षेत्र में शेड बना हुआ है, उन्होंने बताया कि पशुओं को सिर्फ मिल्किंग और चारा खिलाने के लिए बांधा जाता है बाकी वक्त गाय और भैंस पूरे फार्म में खुले घूमते रहते हैं।

दूध बेचकर हर महीने कमाते हैं 1.5 लाख रुपये


बलिंदर ने बताया कि उनके फार्म में औसतन 300 लीटर दूध का रोजाना उत्पादन होता है। बलिंदर खुद ही दूध की मार्केटिंग करते हैं। इसके लिए उन्होंने कैथल शहर में कई हलवाइयों से कॉट्रैक्ट कर रखा है। बलिंदर ज्यादातर दूध इन्हीं हलवाइयों को बेच देते हैं साथ ही कुछ दूध वो सीधे ग्राहकों को उनके घरों तक पहुंचाते हैं। बलिंदर के डेयरी फार्म में रोजाना भैंस का 130 लीटर और गाय का 170 लीटर दूध होता है। बाजार में भैंस का दूध 50 रुपये जबकि गाय का 40 रुपये प्रति लीटर बिकता है।  बलिंदर के मुताबिक हर महीने करीब दो से ढाई लाख रुपये का खर्चा होता है, इस प्रकार उन्हें करीब डेढ़ लाख रुपये महीने की बचत हो जाती है। बलिंदर ने अपने फार्म पर चार लोगों को नौकरी पर रखा है साथ ही उनका छोटा भाई जसविंदर ढुल भी हर काम में पूरी मदद करता है। डेयरी फार्म में गायों का दूध मशीन से दुहा जाता है जबकि भैंस का दूध हाथ से दुहा जाता है।

नस्ल सुधारने के काम में भी लगे हैं बलिंदर


बलिंदर ढुल अपने फार्म में सिर्फ दूध का उत्पादन नहीं करते बल्कि गाय और भैंस की नस्ल सुधारने के काम भी लगे हुए हैं। बलिंदर ने एचएफ गायों के लिए अमेरिका से सीमन मंगाया है और उनके मुताबिक इससे तैयार हुईं दस एचएफ बछड़ियां कुछ दिनों में दूध देने योग्य हो जाएंगी। बलिंदर को उम्मीद है कि आने वाले वक्त में इन बछड़ियों से रोजाना 35 से 40 लीटर तक दूध का उत्पादन होगा। वहीं भैंसों के लिए वो हरियाणा ही नहीं पंजाब से भी अच्छी नस्ल के बुल का सीमन मंगाते हैं और इस प्रकार वो लगातार अच्छी नस्ल की गाय और भैंस तैयार करने में लगे हुए हैं। बलिंदर के मुताबिक जल्द ही उनके फार्म में खुद की तैयार की गई अच्छी नस्ल की गाय और भैंस होंगी और उससे दूध का उत्पादन दोगुना हो जाएगा। बलिंदर के ब्रीडिंग के क्षेत्र में काम को देखते हुए अब आस-पास के गांव के लोग भी उससे सलाह लेने आते हैं।

500 पशुओँ के साथ अपने डेयरी प्रोडक्ट बेचने का इरादा


उत्साह और जोश से लबरेज 28 साल के बलिंदर ढुल का सपना है कि उनके फार्म में 500 से ज्यादा पशु हों और माॉर्डन डेयरी फार्मिंग के जरिए दूध का उत्पादन कर बाजार में अपने ब्रांड के डेयरी प्रोडक्ट उतारें। बलिंदर कहना है कि वो इस दिशा में लगातार काम कर रहे हैं और उन्हें विश्वास है कि आने वाले दो-तीन साल में वो इस सपने को जरूर पूरा कर लेंगे। बलिंदर का कहना है कि आज बाजार में शुद्ध दूध की कमी है, लोग शुद्ध दूध की कुछ भी कीमत देने को तैयार है। और बलिंदर चाहते हैं कि वो लोगों को शुद्ध और मिलावट रहित दूध उपलब्ध कराएं। बलिंदर अपने फार्म में अच्छी नस्ल के बुल का सीमन तैयार करने की दिशा में भी काम कर रहे हैैं, ताकि वो कम से कम कीमत में लोगों को ये सीमन मुहैया करा सकें। बलिंदर ने अपने मजबूत इरादों से जिस तरह डेयरी फार्मिंग के क्षेत्र में सफलता हासिल की है वो उन युवाओं के लिए मिसाल है जो इस क्षेत्र में आकर अपना करियर बनाना चाहते हैं।

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