गुजरात के बाद अब राजस्थान में खुलेगी ऊंटनी के दूध की डेयरी, जानिए क्या हैं फायदे ?

डेयरी टुडे नेटवर्क,
जयपुर, 15 अक्टूबर 2017,

डायबिटीज रोग में ऊंटनी का दूध बेहत फायदेमंद साबित होने के बाद केन्द्रीय पशुपालन विभाग ना सिर्फ दूध देने वाली ऊंटनियों की संख्या बढ़ाने की योजना बना रहा है बल्कि दूध को एकत्र कर इसके वितरण के लिए डेयरी सिस्टम भी लागू करने की योजना भी बना रहा है। छह अक्टूबर को इसके लिए दिल्ली में हाई-प्रोफाइल मीटिंग भी हुई थी।

बीकानेर से मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ.आर.पी.अग्रवाल बतौर मेडिकल स्पेशलिस्ट, राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र के निदेशक डॉ.एन.वी.पाटिल, एनडीआरआई करनाल के वैज्ञानिक वाई.एस.राजपूत, अमूल्य डेयरी के मैनेजर सेल्स हरदीप सिंह समेत तमाम वैज्ञानिकों ने केन्द्रीय पशुपालन विभाग के सचिव देवेन्द्र चौधरी के समक्ष प्रजेंटेशन दिया। डॉ.अग्रवाल ने दूध के फायदे का प्रजेंटेशन दिया। डॉ.पाटिल से ऊंटनी की संख्या बढ़ाने के लिए प्रस्ताव तैयार करने को बोला गया। गुजरात के सरहद डेयरी की तरह राजस्थान में भी अमूल्य से प्रोजेक्ट लगाने का आग्रह किया। अमूल्य ने इसके लिए हामी भी भरी लेकिन इसके लिए राज्य सरकार से फंडिंग की जरूरत बताई। एनआरसीसी ने डेयरी के लिए 48 करोड़ रुपए का प्रस्ताव भी बनाकर सरकार को भेज दिया। डेयरी के लिए सबसे पहली तवज्जो बीकानेर को दी गई है।

अभी गुजरात में ही इकलौती डेयरी

देशभर में ऊंटनी के दूध की इकलौती डेयरी अभी गुजरात में है। सरहद डेयरी प्रोजेक्ट में प्रति दिन 10 हजार लीटर ऊंटनी के दूध का प्रोसेसिंग होता है। 500 ग्राम के दूध के पैकेट गुजरात के अलावा मुंबई और दिल्ली में भेजे जाते हैं। राजस्थान में भी इसी तरह डेयरी प्रोजेक्ट लगाने के लिए सरकार से 48 करोड़ रुपए मांगे गए हैं। इसमें 60 प्रतिशत केन्द्र और 40 प्रतिशत राज्य सरकार देगी। डेयरी के लिए बीकानेर, पाली सिरोही केन्द्र सुझाए गए हैं।

डायबिटीज के इलाज में कारगर है ऊंटनी का दूध

बीकानेर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ.आर.पी.अग्रवाल के मुताबिक ऊंटनी के दूध से डायबिटीज कंट्रोल करने का अनुसंधान कई स्तर पर बेहतर साबित हो चुका है। टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज के अलग अलग शोध हुए। चूरू में एक महीेने से दो साल तक ऐसे रोगियों को ऊंटनी के दूध से ठीक होते देखा। 12 में चार बच्चे सिर्फ ऊंटनी के दूध से ठीक हुए। इसके बाद राइका जाति में डायबिटीज क्यों होती है इसका अनुसंधान किया तो उसमें भी ऊंटनी का दूध सहायक निकला। फिर इस जाति का जेनेटिक परीक्षण किया कि शायद कहीं इस जाति में जेनेटिक कोई चीज हो लेकिन वो आम लोगों की तरह सामान्य थी। इस लिहाज से कई स्तर पर शोध में सामने आया कि डायबिटीज के लिए ऊंटनी का दूध फायदेमंद है। अगर ऊंटनी के दूध की बीकानेर में डेयरी खुलती है तो उसका बहुत बड़े स्तर पर लोगों को फायदा होगा। खासकर डायबिटीज रोगियों के लिए है।

ऊंटनी के दूध की जरूरत

-देश में कुल 4 करोड़ डायबिटीज रोगी जो पूरी दुनिया के रोगियों का 15 प्रतिशत है।

-डायबिटीज रोगियों को प्रति दिन प्रति व्यक्ति करीब 300 ग्राम दूध की जरूरत। जो करीब एक करोड़ लीटर से ज्यादा है।

-10 हजार से ज्यादा मंदबुद्धि रोगी जिनके लिए प्रति व्यक्ति प्रति दिन 500 ग्राम दूध की जरूरत जो करीब 50 लाख लीटर दूध की जरूरत।

दूध की मौजूदा हालात

-फिलहाल देश में तीन लाख 80 हजार ऊंट प्रजाति के पशु हैं।

-इसमें एक लाख 80 हजार ऊंटनी

-साल भर में 60 हजार ऊंटनी ही दूध देंगी।

-प्रति ऊंटनी करीब पांच लीटर दूध देती है जिससे करीब तीन लाख लीटर ही दूध मुहैया हो सकता है जो कुल मांग का 15 प्रतिशत ही है।

एनआरसीसी के निदेशक डॉ. एन वी पाटिल के मुताबिक ऊंटनी का दूध मंदबुद्धि और डायबिटीज जैसे रोगों के लिए फायदेमंद सिद्ध हो गया है। गुजरात में डेयरी भी खुल गई। तो अब इसकी मांग बढ़ गई। अब एक साथ कई स्तर पर काम तेज होगा। दूध का उत्पादन बढ़ाना है जिसके लिए सेलेक्टिव ब्रीडिंग पर काम होगा साथ ही उत्पादित होने वाला दूध जरूरतमंद तक पहुंचे इसके लिए डेयरी सिस्टम फैलेगा।

(साभार-दैनिक भास्कर)

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