डेयरी टुडे डेस्क,
गाजियाबाद, 20 सितंबर 2017,
पशु की गुणवत्ता उसकी नस्ल पर निर्भर करती है। पशु का उत्पादन बढ़ाने के लिए अच्छी नस्ल बहुत जरुरी है। अच्छे साड़ों की कमी को देखते हुए और कृत्रिम गर्भाधान के लाभ को समझने के लिए कृत्रिम गर्भाधान का अपनाना बहुत जरुरी होता है। कृत्रिम गर्भाधान की विधि से अधिक साड़ों की कमी पूरी हो जाती है। एक बार इकट्ठा किया गया वीर्य लगभग 50 गायों को गाभिन करने के काम आता है।
कम तापमान पर शरीर की कोशिकाएं लंबे समय तक जीवित रह सकती हैं। इसी तरह शुक्राणओं को लंबे समय तक जीवित और सुरक्षित रखने के लिए लिक्विड नाइट्रोजन का प्रयोग किया जाता है। लिक्विड नाइट्रोजन का ताप -196 डिग्री से. होता है। लिक्विड नाइट्रोजन को क्रायोजनिक जार में भरा जाता है, जिसमें सीमेन स्टोरेज किया जाता है।
क्रायो यानी बहुत ठंडा, जब भी कोई गैस, गैस से लिक्विड में बदलती है तो उसे क्रायोजनिक लिक्विड कहते हैं। इसके संपर्क में आते समय सावधानी रखना जरुरी है। जब बहुत ही कम ताप वाले पदार्थ हमारी त्वचा के संपर्क में आते हैं, तो त्वचा जल जाती है। इसी कारण शरीर में मस्से या छोटे ट्यूमर हटाने के लिए लिक्विड नाइट्रोजन की मदद से क्रायो सर्जरी की जाती है। इसके संपर्क में काम करते समय त्वचा आंखों को सुरक्षित रखना चाहिए।
लिक्विड नाइट्रोजन एक ऐसी अवस्था होती है, जिसे लंबे समय तक सुरक्षित रखना आसान नहीं होता है। क्योंकि इसका नॉर्मल रूप में लगातार वाष्पीकरण होता रहता है। इसे रोकने के लिए विशेष टेक्निकल व मेटेरियल से बनाए गए कंटेनर में भरा जाता हैं, जिन्हें क्रायो जार या क्रायो कंटेनर कहते हैं।
आजकल बाज़ार में कुछ कंपनियां क्रायो जार उपलब्ध कराती है। मुख्य रूप से आईबीपी और इनबॉक्स कंपनियां क्रायो जार निर्माण करती है। बनावट व उपयोग के आधार पर क्रायो जार दो तरह के होते हैं। 1-बायोलॉजिकल उपयोग और 2- ट्रांसपोर्ट के लिए।
आजकल सीमन को फ्रिज करने और भरने के लिए पॉली विनाइल स्ट्रा का प्रयोग किया जाता है। इनमें फ्रेंच सिस्टम से तैयार की गई स्ट्रोक का प्रयोग अधिक होता है। इससे ऑटोमेटिक रूप से मशीनों में सीमेन से भर जाती है तथा लेवलिंग भी हो जाती है। इसमें भी फ्रेंच मिनी स्ट्रा का उपयोग ज्यादा प्रचलित है।
एआई गन के लिए गन एक महत्वपूर्ण उपकरण होता है, जो सीमन को स्ट्रा से यूटेरस तक पहुंचाता है। सीमेन स्ट्रा की साइज के अनुसार ही इसकी बनावट होती है। ताकि अंदर स्ट्रा के ऊपर शीथ अच्छी तरह फीट हो सकें।
एआई शीथ एक लंबी सीधी कवर नली होती है,जो पीवीसी की बनी होती है। इसके एक खुले सिरे पर चीरा लगा होता है तथा दूसरे सिरे पर छेद होता है। चीरे लगे हुए भाग के ऊपर डाला जाता है और दूसरा टेपर सिरा स्ट्रा के कटे हुए भाग पर फिट हो जाता है इसे इंसेमिनेशन सिरा भी कहते हैं। स्ट्रा में सीमेन ठंडा फ्रोजन होता है उसमें स्पर्म भी शांत अवस्था में रहते हैं। एआई में उपयोग में लेने के लिए सीमन का द्रवीकरण या पिघलना जरुरी है ताकि स्पर्म गतिशील हो सकें। एआई के दौरान फ्रोजन सीमन को तरल बनाने तथा स्पर्म को पुनः एक्टिव करने के लिए तापमान -196 डिग्री सेल्सियस से +37 डिग्री सेल्सियस करना पड़ता है।
यह काम फुर्ती से होना बहुत जरुरी है। इसके लिए ताप में समानता होनी चाहिए ताकि पूरी लंबाई में भरे हुए सीमन की थॅाइंग एकसार हो सके तथा पूरा सीमन तरल हो जाए। ऐसा नहीं होने पर स्पर्म गर्मी के उतार-चढ़ाव के प्रभाव को सहन नहीं कर पाते हैं और मर जाते हैं। डेयरी पशुओं में गाय भैंस के स्पर्म की सहनशक्ति में थोड़ा फर्क होता है। भैंस के स्पर्म अपेक्षाकृत अधिक नाजुक होते हैं यानी तापमान में उतार-चढ़ाव के झेल नहीं पाते और मर जाते हैं। इसलिए भैंस में कृत्रिम गर्भाधान करते समय इस बात का पूरा ध्यान रखना चाहिए।
(साभार-आयुर्वेट लिमिटेड,नई दिल्ली)
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