डेयरी टुडे नेटवर्क
देहरादून, 25 नवंबर 2017,
गीर, रेड सिंधी, साहीवाल, एचएफ और जर्सी जैसी देशी-विदेशी गायों के बीच अब उत्तराखंड की बद्री गाय को भी विदेशों में पहचान मिलेगी। इसके लिए कृषि विभाग ने योजना तैयार कर काम शुरू कर दिया है। बद्री गाय में ए 2 गुणवत्ता का दूध पाया जाता है, जिसकी देश और विदेशों में ज्यादा मांग रहती है। दरअसल उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादातर लोग बद्री गाय ही पालते हैं। स्थानीय गायों को कृषि विभाग ने बद्री गाय नाम दिया है। इन गायों की दूध देने की क्षमता कम होती है, लेकिन इनके दूध में ए 2 गुणवत्ता पाई जाती है। क्योंकि ज्यादातर देशी और विदेशी गायों में ए 1 क्वालिटी का दूूध पाया जाता है। एटू गुणवत्ता का दूध न सिर्फ पौष्टिक होता है, बल्कि यह दूध पीने से शरीर के अंदर रोगों से लड़ने की क्षमता भी बढ़ जाती है। ए 2 गुणवत्ता के दूध की मांग देश ही नहीं विदेशों में भी ज्यादा रहती है। यह आसानी से 70 से 80 रुपये प्रति किलो बेचा जाता है।
ऐसे में कृषि विभाग ने बद्री गाय का संवर्धन और संरक्षण करने की योजना तैयार की है। इसके लिए कृषि विभाग ने बद्री गाय का एफपीआर (फील्ड परफॉरमेंस रिकार्ड) किया जा रहा है, जिसके तहत उन्नत नस्ल की बद्री गाय तैयार की जाएगी। इसमें सबसे पहले सभी जिलों से ऐसी बद्री गायों का चयन किया जाएगा, जो सबसे अधिक दूध देती है। इनमें से 30 गायों का चयन कर उन्हें कृषि विभाग के चंपावत स्थित नरियाल गांव परिक्षेत्र में रखा जाएगा। यहां इन बद्री गायों का जैनेटिक आदि कई प्रकार टेस्ट किए जाएंगे, जिसके बाद उन्हें उच्च प्रजनन के लिए तैयार किया जाएगा। इनसे जो नर बछड़े निकलेंगे उनको तैयार किया जाएगा, ताकि उच्च गुणवत्ता की बद्री गाय तैयार की जा सके।
उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादातर लोग बद्री गाय ही पालते हैं, लेकिन यह दूध कम देती है। इसलिए ग्रामीण इन गायों की देखभाल भी कम करते हैं। इसलिए कई बार लोग इन्हें ऐसे ही छोड़ देते हैं। ऐसे में बद्री गायों के दूध देने की क्षमता बढ़ाने के लिए ही सरकार व कृषि विभाग ने इनके संरक्षण व संवर्धन की योजना बनाई है। उत्तरकाशी के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. प्रलयंकर नाथ के मुताबिक बद्री गाय के संवर्धन और संरक्षण के लिए सरकार और कृषि विभाग ने यह प्रोजेक्ट तैयार किया है, जिसमें उच्च गुणवत्ता की बद्री गाय तैयार जाएगी। सभी जिलों से चयनित बद्री गायों को चंपावत के नरियाल गांव परिक्षेत्र में रखकर तैयार किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट के तहत वर्तमान में सभी जिलों में मिल्ड रिकार्डिंग की जा रही है।
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