डेयरी टुडे नेटवर्क,
नई दिल्ली, 10 अक्टूबर 2017,
खेती किसानी के मामले में इजरायल को दुनिया का सबसे हाईटेक देश माना जाता है। वहां रेगिस्तान में ओस से सिंचाई होती है, दीवारों पर गेहूं, धान उगाए जाते हैं, भारत के लाखों लोगों के लिए ये एक सपना ही है। इजरायल की तर्ज पर राजस्थान के एक किसान ने खेती शुरू की और आज उनका सालाना टर्नओवर सुन कर आप उनकी तारीफ किए बिना नहीं रह पाएंगे।
दिल्ली से करीब 300 किलोमीटर दूर राजस्थान के जयपुर जिले में एक गांव है गुड़ा कुमावतान। ये किसान खेमाराम चौधरी (45 वर्ष) का गांव है। खेमाराम ने तकनीकी और अपने ज्ञान का ऐसा तालमेल भिड़ाया कि वो लाखों किसानों के लिए उदाहरण बन गए हैं। आज उनका मुनाफा लाखों रुपए में है। खेमाराम चौधरी ने इजरायल के तर्ज पर चार साल पहले संरक्षित खेती (पॉली हाउस) करने की शुरुआत की थी। आज इनके देखादेखी आसपास लगभग 200 पॉली हाउस बन गये हैं, लोग अब इस क्षेत्र को मिनी इजरायल के नाम से जानते हैं। खेमाराम अपनी खेती से सलाना एक करोड़ का टर्नओवर ले रहे हैं।
राजस्थान के जयपुर जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूर गुड़ा कुमावतान गांव है। इस गाँव के किसान खेमाराम चौधरी (45 वर्ष) को सरकार की तरफ से इजरायल जाने का मौका मिला। इजरायल से वापसी के बाद इनके पास कोई जमा पूंजी नहीं थी लेकिन वहां की कृषि की तकनीक को देखकर इन्होंने ठान लिया कि उन तकनीकाें को अपने खेत में भी लागू करेंगे।
चार हजार वर्गमीटर में इन्होने पहला पॉली हाउस सरकार की सब्सिडी से लगाया। खेमाराम चौधरी गाँव कनेक्शन को फोन पर बताते हैं, “एक पॉली हाउस लगाने में 33 लाख का खर्चा आया, जिसमे नौ लाख मुझे देना पड़ा जो मैंने बैंक से लोन लिया था, बाकी सब्सिडी मिल गयी थी। पहली बार खीरा बोए करीब डेढ़ लाख रूपए इसमे खर्च हुए। चार महीने में ही 12 लाख रुपए का खीरा बेचा, ये खेती को लेकर मेरा पहला अनुभव था।” वो आगे बताते हैं, “इतनी जल्दी मै बैंक का कर्ज चुका पाऊंगा ऐसा मैंने सोचा नहीं था पर जैसे ही चार महीने में ही अच्छा मुनाफा मिला, मैंने तुरंत बैंक का कर्जा अदा कर दिया। चार हजार वर्ग मीटर से शुरुआत की थी आज तीस हजार वर्ग मीटर में पॉली हाउस लगाया है।”
खेमाराम चौधरी राजस्थान के पहले किसान थे जिन्होंने इजरायल के इस माडल की शुरुआत की थी। आज इनके पास खुद के सात पॉली हाउस हैं, दो तालाब हैं, चार हजार वर्ग मीटर में फैन पैड है, 40 किलोवाट का सोलर पैनल है। इनके देखादेखी आज आसपास के पांच किलोमीटर के दायरे में लगभग 200 पॉली हाउस बन गये हैं। इस जिले के किसान संरक्षित खेती करके अब अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। पॉली हाउस लगे इस पूरे क्षेत्र को लोग अब मिनी इजरायल के नाम से जानते हैं। खेमाराम का कहना है, “अगर किसान को कृषि के नये तौर तरीके पता हों और किसान मेहनत कर ले जाए तो उसकी आय 2019 में दोगुनी नहीं बल्कि दस गुनी बढ़ जाएगी।”
अपनी बढ़ी आय का अनुभव साझा करते हुए बताते हैं, “आज से पांच साल पहले हमारे पास एक रुपए भी जमा पूंजी नहीं थी, इस खेती से परिवार का साल भर खर्चा निकालना ही मुश्किल पड़ता था। हर समय खेती घाटे का सौदा लगती थी, लेकिन जबसे मैं इजरायल से वापस आया और अपनी खेती में नये तौर-तरीके अपनाए, तबसे मुझे लगता है खेती मुनाफे का सौदा है, आज तीन हेक्टयर जमीन से ही सलाना एक करोड़ का टर्नओवर निकल आता है।” खेमाराम ने अपनी खेती में 2006-07 से ड्रिप इरीगेशन 18 बीघा खेती में लगा लिया था। इससे फसल को जरूरत के हिसाब से पानी मिलता है और लागत कम आती है। ड्रिप इरीगेशन से खेती करने की वजह से जयपुर जिले से इन्हें ही सरकारी खर्चे पर इजरायल जाने का मौका मिला था जहाँ से ये खेती की नई तकनीक सीख आयें हैं।
जयपुर जिले के बसेड़ी और गुढ़ा कुमावतान गाँव के किसानों ने इजरायल में इस्तेमाल होने वाली पॉली हाउस आधारित खेती को यहां साकार किया है। नौवीं पास खेमाराम की स्तिथि आज से पांच साल पहले बाकी आम किसानों की ही तरह थी। आज से 15 साल पहले उनके पिता कर्ज से डूबे थे। ज्यादा पढ़ाई न कर पाने की वजह से परिवार के गुजर-बसर के लिए इनका खेती करना ही आमदनी का मुख्य जरिया था। ये खेती में ही बदलाव चाहते थे, शुरुआत इन्होने ड्रिप इरीगेशन से की थी। इजरायल जाने के बाद ये वहां का माडल अपनाना चाहते थे।
गांव कनेक्शन में छपी खबर के मुताबिक कृषि विभाग के सहयोग और बैंक के लोंन लेने के बाद इन्होने शुरुआत की। चार महीने में 12 लाख के खीर बेचे, इससे इनका आत्मविश्वास बढ़ा। देखते ही देखते खेमाराम ने सात पॉली हाउस लगाकर सलाना का टर्नओवर एक करोड़ का लेने लगे हैं। खेमाराम ने बताया, “मैंने सात अपने पॉली हाउस लगाये और अपने भाइयों को भी पॉली हाउस लगवाए, पहले हमने सरकार की सब्सिडी से पॉली हाउस लगवाए लेकिन अब सीधे लगवा लेते हैं, वही एवरेज आता है, पहले लोग पॉली हाउस लगाने से कतराते थे अभी दो हजार फाइलें सब्सिडी के लिए पड़ी हैं।”
फैन पैड (वातानुकूलित) का मतलब पूरे साल जब चाहें जो फसल ले सकते हैं। इसकी लागत बहुत ज्यादा है इसलिए इसकी लगाने की हिम्मत एक आम किसान की नहीं हैं। 80 लाख की लागत में 10 हजार वर्गमीटर में फैन पैड लगाने वाले खेमाराम ने बताया, “पूरे साल इसकी आक्सीजन में जिस तापमान पर जो फसल लेना चाहें ले सकते हैं, मै खरबूजा और खीरा ही लेता हूँ, इसमे लागत ज्यादा आती है लेकिन मुनाफा भी चार गुना होता है। डेढ़ महीने बाद इस खेत से खीरा निकलने लगेगा, जब खरबूजा कहीं नहीं उगता उस समय फैन पैड में इसकी अच्छी उपज और अच्छा भाव ले लेते हैं।” वो आगे बताते हैं, “खीरा और खरबूजा का बहुत अच्छा मुनाफा मिलता है, इसमें एक तरफ 23 पंखे लगें हैं दूसरी तरफ फब्बारे से पानी चलता रहता है ,गर्मी में जब तापमान ज्यादा रहता है तो सोलर से ये पंखा चलते हैं,फसल की जरूरत के हिसाब से वातावरण मिलता है, जिससे पैदावार अच्छी होती है।”
ड्रिप से सिंचाई में बहुत पैसा बच जाता है और मल्च पद्धति से फसल मौसम की मार, खरपतवार से बच जाती है जिससे अच्छी पैदावार होती है। तरबूज, ककड़ी, टिंडे और फूलों की खेती में अच्छा मुनाफा है। सरकार इसमे अच्छी सब्सिडी देती है, एक बार लागत लगाने के बाद इससे अच्छी उपज ली जा सकती है।
खेमाराम ने अपनी आधी हेक्टेयर जमीन में दो तालाब बनाए हैं, जिसमें बरसात का पानी एकत्रित हो जाता है। इस पानी से छह महीने तक सिंचाई की जा सकती है। ड्रिप इरीगेशन और तालाब के पानी से ही पूरी सिंचाई होती है। ये सिर्फ खेमाराम ही नहीं बल्कि यहाँ के ज्यादातर किसान पानी ऐसे ही संरक्षित करते हैं। पॉली हाउस की छत पर लगे माइक्रो स्प्रिंकलर भीतर तापमान कम रखते हैं। दस फीट पर लगे फव्वारे फसल में नमी बनाए रखते हैं।
हर समय बिजली नहीं रहती है, इसलिए खेमाराम ने अपने खेत में सरकारी सब्सिडी की मदद से 15 वाट का सोलर पैनल लगवाया और खुद से 25 वाट का लगवाया। इनके पास 40 वाट का सोलर पैनल लगा है। ये अपना अनुभव बताते हैं, “अगर एक किसान को अपनी आमदनी बढ़ानी है तो थोड़ा जागरूक होना पड़ेगा। खेती से जुड़ी सरकारी योजनाओं की जानकारी रखनी पड़ेगी, थोड़ा रिस्क लेना पड़ेगा, तभी किसान अपनी कई गुना आमदनी बढ़ा सकता है।” वो आगे बताते हैं, “सोलर पैनल लगाने से फसल को समय से पानी मिल पाता है, फैन पैड भी इसी की मदद से चलता है, इसे लगाने में पैसा तो एक बार खर्च हुआ ही है लेकिन पैदावार भी कई गुना बढ़ी है जिससे अच्छा मुनाफा मिल रहा है, सोलर पैनल से हम बिजली कटौती को मात दे रहे हैं।”
सदियों से किसान जो खेती की पुरानी पारंपरिक खेती करते आयें हैं उसमे बदलाव करके संरक्षित खेती अपनाकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। खेमाराम सभी किसानो को एक सन्देश देना चाहते हैं, “अगर बहार की खेती मतलब जैसे करते आयें हैं वैसी 20 बीघा करते हैं तो डेढ़ बीघे नेट हाउस या पॉली हाउस या फैन पैड वातानुकूल खेती करेंगे तो सामन्य खेती से मुनाफा कई गुना ज्यादा होगा।”
खरबूजा की बेहतर पैदावार के लिए इन्हें साल 2015 में महिंद्रा की तरफ से नेशनल अवार्ड केन्द्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह द्वारा दिल्ली में दिया गया। इन्हें कृषि विभाग की तरफ से सोलर पैनल लगाने के लिए सम्मानित किया जा चुका है।
राजस्थान के इस मिनी इजरायल की चर्चा पूरे राज्य के साथ कई अन्य प्रदेशों और विदेश के भी कई हिस्सों में है। खेती के इस बेहतरीन माडल को देखने यहाँ किसान हर दिन आते रहते हैं। खेमाराम ने कहा, “आज इस बात की मुझे बेहद खुशी है कि हमारे देखादेखी ही सही पर किसानों ने खेती के ढंग में बदलाव लाना शुरू किया है। इजरायल माडल की शुरुआत राजस्थान में हमने की थी आज ये संख्या सैकड़ों में पहुंच गयी है, किसान लगातार इसी ढंग से खेती करने की कोशिश में लगे हैं।”
(साभार-गांव कनेक्शन)
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