डेयरी टुडे नेटवर्क,
नई दिल्ली, 16 जुलाई 2019,
भारत पूरी दुनिया में दुग्ध उत्पादन में नंबर वन है, इसके बावजूद पश्चिमी देशों में भारत के डेयरी प्रोडक्ट को बहुत अच्छा नहीं माना जाता है। इसकी बड़ी वजह है गुणवत्ता। जाहिर है कि भारत में देशी नस्लों की गायों का दूध विदेशी नस्लों की तुलना में कई गुना अधिक गुणकारी होता है। अब केंद्र की मोदी सरकार देशी नस्लों की गायों के संरक्षण में जुट गई है। भारत में डेयरी उद्योग को बढ़ाने तथा देशी नस्लों के संरक्षण और विकास के लिए सरकार राष्ट्रीय कामधेनु प्रजनन केन्द्र बना रही है। इस योजना के तहत जहां एक तरफ भारत में दुग्ध उत्पादन को बढ़ाया जाएगा, वहीं दूसरी तरफ लोगों को दुधारू जानवरों के बारे में जागरूक भी किया जाएगा। पशुपालकों को बताया जाएगा कि वे किस तरह अपने जानवरों को स्वस्थ रख सकते हैं।
मोदी सरकार ने स्वदेशी नस्लों के संरक्षण के लिए 50 करोड़ रुपए की लागत से देश में दो राष्ट्रीय कामधेनु प्रजनन केन्द्र भी स्थापित किए हैं। पहला राष्ट्रीय कामधेनु प्रजनन केन्द्र दक्षिणी क्षेत्र चिन्तलदेवी, नेल्लोर में और दूसरा उत्तरी क्षेत्र इटारसी, होशंगाबाद में है। सरकार द्वारा दोनों ही राज्यों आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश को 25 करोड़ की राशि जारी की जा चुकी है।
केंद्र सरकार इस योजना के तहत देशी बोवाईन नस्लों का संरक्षण और परीक्षण करना और उनके उत्पाद तथा उत्पादकता को बढ़ाना चाहती है। इसके अलावा संकटग्रस्त नस्लों को लुप्त होने से बचाना चाहती है। भारत सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि देश के किसान ज्यादा से ज्यादा आय अर्जित करें, युवाओं को रोजगार मिले, आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को उनका अपना हक मिले, बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधा मिले।
सरकार वर्ष 2022 तक प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता को 500 ग्राम करना चाहती हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री के अनुसार, विगत 3 वर्षों मे दुग्ध उत्पादन 137.7 मिलियन टन से बढ़कर 165.4 मिलियन टन हो गया है। वर्ष 2014 से 2017 के बीच वृद्धि 20 % से भी अधिक रही है। इसी तरह प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 2013-14 307 ग्राम से बढकर वर्ष 2016-17 में 355 ग्राम हो गई है जो कि 15.6% की वृद्धि है। इसी प्रकार 2011-14. की तुलना में 2014-17 में डेयरी किसानों की आय में 23.77% की वृद्धि हुई।
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जिस तरह आज से 20 साल पूर्व हर मे गाय होती थी, उसी तरह अगर आज भी हर घर मे गाय पाली जाये तो हमारे देश मे दूध की कमी न हो; और मिलावटी दूध आ ही नही सकता