डेयरी टुडे नेटवर्क,
नई दिल्ली, 3 सितंबर 2019
2019 की पशुधन गणना रिपोर्ट में कम होती देसी गायों की संख्या ने मोदी सरकार को सकते में डाल दिया है। अब मोदी सरकार ने देश में देसी गायों की तादाद बढ़ाने के लिए ब्राजील से गिर गायों का सीमेन मंगवाकर देश भर में बांटने का फैसला किया है। इसके लिए भारत सराकर ने ब्राजील सरकार के साथ एक समझौता किया है। इस समझौते के तहत भारत को गिर गायों की एक लाख डोज मिलेगी। 2017 में भी सरकार ने ब्राजील से सीमेन आयात की कोशिश की थी, लेकिन वह विफल रही थी।
केंद्रीय डेयरी एवं पशुपालन राज्यमंत्री संजीव बालयान ने इकनॉमिक टाइम्स को बताया कि एक से डेढ़ महीने के भीतर ब्राजील से सीमेन की डोज भारत पहुंच जाएंगी। यह डोज स्वदेशी गिर गाय की होंगी। देसी गायों की तादाद बढ़ाने के लिए इसे देश भर में बंटवाया जाएगा। गिर भारत प्रमुख जेबू (गाय) नस्लों में से एक है। यह 18वीं शताब्दी में गुजरात के भावनगर के महाराजा द्वारा ब्राजील को भेंट स्वरूप दी गई थी। इसके बाद ब्राजील ने गिर गायों की मूल नस्ल को संरक्षित किया है। गिर अन्य गायों की तुलना में ज्यादा दूध देती है। सर्द से सर्द मौसम में भी ये नस्ल जीवित रहती है। इसकी वजह से यह दक्षिण अमेरिकी देशों में भी काफी लोकप्रिय है।
हालांकि भारत में इन गायों की तादाद लगातार घटती जा रही है। किसान इन गायों की तुलना में ज्यादा दूध देने वाली जर्सी और एचएफ नस्ल की गायों को तवज्जो देते हैं। किसान विदेशी और क्रॉस ब्रीड मवेशियों को पालने में ही ज्यादा फायदा देखते हैं क्योंकि ये गाय ज्यादा दूध देने में सक्षम होती हैं। देसी गिर, साहीवाल, लाल सिंधी या कांकेर नस्ल की गाय 300-305 दिनों में 1,500-2,000 लीटर दूध देती है तो वहीं विदेशी और क्रॉस ब्रीड गाय इतने ही दिनों में 7,000-8,000 दूध देती है।
आपको बता दें कि पशुधन गणना 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक देश में देसी और नवजात पशुओं की आबादी 139.82 मिलियन है जो कि पिछली पशुधन गणना (2012) के मुकाबले 7.5 फीसदी कम है। 2012 में पशुधन गणना के मुताबिक देसी और नवजात पशुओं की आबादी 151.17 मिलियन थी। यह गिरावट 1992 से लगातार जारी है। उस समय में इनकी संख्या 189.37 मिलियन थी।
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