डेयरी टुडे नेटवर्क,
चंडीगढ़, 6 जनवरी, 2019
डेयरी उद्योग में क्रांति लाने के लिए अब ऐसी गायें विकसित की गई है, जो रोजाना 50 लीटर तक दूध देती हैं। जी हां ये सच है नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट ने श्वेत क्रांति के लिए क्लोनिंग तकनीकी से डेयरी उद्योग को ऊंचाई देने वाली गायों की दो नई नस्लें तैयार की है। इन नस्लों की गायों से रोजाना पचास लीटर तक दूध उत्पादन किया जा सकता है।
नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट की प्रदर्शनी पंजाब के फगवाडा स्थित लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी के परिसर में लगाई गई थी। प्रदर्शनी में गायों की इन दोनों नस्लों का प्रदर्शन किया गया था। स्विटजरलैंड की गाय की क्लोनिंग को ‘कर्ण स्विस’ और फ्रांस नस्ल की क्लोन गाय को ‘कर्ण फ्रीज’ नाम दिया गया है। इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने बताया कि इन दोंनों नस्लों की गायों की प्रति गाय कीमत न्यूनतम दो लाख रूपये है।
इन विदेशी नस्ल की गायों के अलावा देशी नस्ल की गाय साहिवाल,गिर,थारपारकर की क्लोनिंग से भी अधिक दूध देने वाली नस्लें तैयार की गई है। इन देशी नस्लों की क्लोन की गई नस्लों से 25 लीटर दूध प्रतिदिन प्रति गाय लिया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इसी तरह देशी मुर्राह नस्ल की भैंस से प्रतिदिन 15 लीटर दूध मिलता था लेकिन क्लोनिंग से मुर्राह नस्ल की भैंस से प्रतिदिन 25 लीटर दूध लिया जा रहा है।
एनडीआरआई ने वर्ष 2009 में क्लोनिंग तकनीकी से उन्नत दुधारू नस्लें तैयार करना शुरू किया था। क्लोनिंग से जोडे तैयार कर उनका प्रजनन कराया गया। इसके बाद किसानों और डेयरी संचालकों को सीमन वितरण शुरू किया गया। इससे डेयरी उद्योग में बडा बदलाव आ रहा है। दूध उत्पादन बढकर 313 ग्राम प्रति व्यक्ति तक पहुंच गया है।
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