डेयरी टुडे नेटवर्क,
जमशेदपुर, 21 अक्टूबर 2017,
पेशेवर युवाओं का रुझान लगातार कृषि और डेयरी में बढ़ता जा रहा है। हम लगातार आपको इस तरह की स्टोरी दिखाते आए हैं कि किस तरह युवा अच्छी-खासी नौकरी छोड़ कर खेती-किसानी के काम में किस्मत अजमा रहे हैं। आज हम बात कर रहे हैं झारखंड की सुदीप्ता घोष की। इकॉनामिक्स में पीजी, फिर आईबीएम में 14 साल सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी, लाखों का पैकेज और फिर सबकुुछ छोड़ कर अपने शहर में फूलों की खेती का बिजनेस। सुदीप्ता घोष ने एक्सएलआरआई जैसे प्रतिष्ठित प्रबंधन संस्थान से मैनेजमेंट की डिग्री भी ली है लेकिन अब वो इस डिग्री का इस्तेमाल अपने फूलों के बिजनेस में कर रही हैं।
सुदीप्ता घोष कृषि जगत में नया अध्याय लिख रही हैं। सुदीप्ता जमशेदपुर से 25 किलोमीटर दूर बसे एक छोटे से गांव के संभ्रांत परिवार से संबंध रखती हैं। कृषि उनके लिए कोई मजबूरी नहीं, बल्कि चुनौतीपूर्ण प्रयोग का विषय है। आज के दौर में उच्च शिक्षा में इतनी योग्यता रखने वाली लड़कियां तो दूर कोई लड़का भी कृषि की ओर रुझान नहीं रखता। ऐसे में सुदीप्ता का कृषि के प्रति पेशेवर रुझान दूसरों के लिए प्रेरणा देने वाला है।
सुदीप्ता बताती हैं कि नौकरी के दौरान उन्हें महाराष्ट्र के कुछ गांवों में जाने का अवसर मिला। वहां उन्होंने गन्ना, अंगूर, अनार सहित कई तरह के फल और फूलों की खेती देखी, जिसमें पानी की ज्यादा जरूरत नहीं होती। इसके बाद ख्याल आया कि इसी तरह का मौसम झारखंड में भी है, फिर ऐसी खेती यहां क्यों नहीं होती। उन्होंने झारखंड में यह प्रयोग करने का संकल्प लिया, ताकि यहां के किसान एक फसली खेती, सब्जी उत्पादन से अलग भी कुछ हासिल कर सकें। किसी को बताने से बेहतर उन्होंने खुद मॉडल पेश करना बेहतर समझा, ताकि दूसरे भी प्रेरित हों।
सुदीप्ता के अनुसार, उन्होंने टाटा-रांची राष्ट्रीय राजमार्ग के पास पांच एकड़ कृषि भूमि खरीदी। इसके बाद मैनेजमेंट संस्थान एक्सएलआरआई से स्वउद्यमिता प्रबंधन-विकास का कोर्स किया। यहां से प्रबंधन के गुर सीखने के बाद उन्होंने कृषि कार्य शुरूकर दिया। सबसे पहले जरबेरा नामक फूल की खेती करने का फैसला लिया।
सुदीप्ता बताती हैं, जरबेरा फूल सजावट के काम आता है। शहर के बाजार में इसकी मांग अधिक है। थोक व्यवसायी इसे बेंगलुर या कोलकाता से मंगवाते हैं। मैंने इसके बाजार, मांग, कीमत, गुणवत्ता इत्यादि का अध्ययन किया। स्थानीय फूल विक्रेताओं से संपर्क कर जब आश्वस्त हुई कि मुझे पर्याप्त बाजार मिल जाएगा, तब इसकी खेती शुरू की। जमशेदपुर शहर में प्रतिमाह दस हजार जरबेरा स्टिक की बिक्री होती है। सुदीप्ता करीब 18,000 स्टिक का उत्पादन कर रही हैं।
सुदीप्ता बताती हैं कि उनके उत्साह को देखते हुए उनके एक घरेलू मित्र ने टाटा-चाईबासा रोड पर करीब पांच एकड़ जमीन उन्हें दी है, जहां वह अब अनार की खेती करने जा रही हैं। उनका मानना है कि इस तरह की खेती इतने बड़े पैमाने पर झारखंड में कोई नहीं कर रहा है। यदि अन्य किसानों को इससे जोड़ने में सफल हुई, तो उनका मकसद पूरा हो जाएगा।
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Dear Sudipta, you occared superb horticulture idea. Yours idea help more small grower & illiterate farmer. Thank you
I proud that
I am Indian.