लखनऊ। पशुओं में खुरपका-मुंहपका बीमारी का टीकाकरण, बांझपन समेत कई बीमारियों का इलाज करने के लिए प्रदेश भर में पशुपालकों के लिए बहुउद्देशीय सचल पशु चिकित्सा वैन सुविधा पहुंचाई जा रही है। लेकिन विभागीय लापरवाही के कारण इस महत्वकांक्षी व्यवस्था का लाभ पशुपालकों को नहीं मिल पा रहा है।
“हमारे गाँव में कोई वैन नहीं आती है। इतने साल हो गए सरकारी डॅाक्टर आज तक गाँव में नहीं आए है। पशु बीमार होता है तो प्राईवेट डॅाक्टर को फोन करके घर बुला लेते है। प्राईवेट डॅाक्टर आते है तो फीस भी ज्यादा लेते है।” ऐसा बताते हैं, श्याम कुमार (30 वर्ष)। बाराबंकी से करीब 20 किमी दूर बंकी ब्लॅाक के गाँव में पिछले कई वर्षों से श्याम पशुपालन कर रहे है। उनके पास सात भैंसे है जिनसे रोजाना 20-25 लीटर दूध उत्पादन होता है।
पशुओं को सही समय पर इलाज मिले और टीकाकरण हो इसके लिए मार्च 2017 में बहुउद्देशीय सचल पशु चिकित्सा वैन को प्रदेश के हर जिले में चलाया गया। उत्तर प्रदेश सरकार ने बजट 2016-17 में बहुउद्देशीय सचल पशु चिकित्सा सेवा के लिये 40 करोड़ रुपए की व्यवस्था भी की गई, लेकिन इसका लाभ पशुपालकों को नहीं मिला। पशुपालक वैन को बुलाने की बजाय अभी भी प्राईवेट डॅाक्टरों का सहारा ले रहे है।
“प्रदेश के लगभग हर ब्लॅाक में बहुउद्देशीय सचल पशु चिकित्सा वैन को चलाया गया है। इस वैन को कई तरह की सुविधाओं से लेस किया गया है। धीरे-धीरे पशुपालक इस वैन के बारे में जान रहे है। अभी 15 सिंतबर से जो खुरपका-मुंहपका का टीकाकरण किया जाएगा वो इसी वैन से काफी दूर जो गाँव है वहां तक आसानी से किया जा सकेगा।” ऐसा बताते हैं, प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल।
शाहजहांपुर जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूर उत्तर पूर्व में बंडा ब्लाक के कमलपुर गाँव के मोनू यादव (39 वर्ष)डेयरी चलाते है। मोनू बताते हैं,” पशु के लिए वैन है इसके बारे में हमको कोई जानकारी नहीं है। पशु के बीमार होने पर हम फोन से और दवाखाना में जाकर दवा ले आते है। कभी-कभी टीम गाँव में टीकाकरण करने के लिए आती है और कुछ पशुओं के टीकाकरण करके चली जाती है। एक दिन में सभी पशुओं के टीका तो लगता नहीं है। दूसरे दिन टीम भी नहीं आती है।”
उत्तर प्रदेश में 821 ब्लॅाक है, जिसमें से 663 ब्लॅाक में बहुउद्देशीय सचल पशु चिकित्सा वैन को दिया गया है। शेष 158 ब्लॅाक में इन वैनों की प्रकि्या चल रही है।
ग्रामीण क्षेत्रों में पशुओं को सही पर इलाज न मिलने और सही समय पर बीमारी न पहचान पाने के चलते पशुपालकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। इसी को देखते हुए सरकार द्वारा यह प्रयास किया गया। ”जिन ब्लॅाक में बहुउद्देशीय सचल पशु चिकित्सा वैन को दिया गया वहां पर पशुओं का इलाज किया जा रहा है। प्रचार-प्रसार के लिए अभी हमारे पास इतना फंड नहीं है वही हम बड़े स्तर पर हम प्रचार-प्रसार कर सके। फिर टीकाकरण कार्यक्रम और गोष्ठियों में इनके बारे में जानकारी दी जाती है।”प्रशासन एवं विकास निदेशक डॅा चरण सिंह यादव ने बताया।
उत्तर प्रदेश पशुपालन विभाग की वेबसाइट से उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में 2,200 पशुचिकित्सालय, 2,575 पशुसेवा केंद्र और 5,043 कृत्रिम गर्भाधान केंद्र है पर इन केंद्रों को जाकर देखे तो कुछ की ही स्थिति ठीक मिलेगी।
फैजाबाद से 40 किमी़ दूर सोहावल ब्लॅाक के दिगम्बरपुर गाँव के सुधीर कुमार(30 वर्ष) बताते हैं,” इस वैन को जब चलाया गया था तब इसके बारे में अखबार में पढ़ा था लेकिन इस वैन को अपने गाँव में कैसे बुलाना है इसके बारे में नहीं पाता। किसानों को कोई लाभ नहीं मिलता है।अस्पतालों में तो डॅाक्टर आते नहीं है गाँव में वैन से क्यों आऐंगे।”
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