फरीदाबाद : प्रदेश सरकार की गो संवर्धन और गो संरक्षण की नीति से पशुओं की खरीद-फरोख्त पर खासा प्रभाव पड़ा है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था चरमराने के कगार पर है। यदि कोई व्यक्ति अपनी डेयरी के लिए भी गाय खरीद कर लाता है तो गो रक्षक उसके साथ भी मारपीट करते हैं। यही वजह है कि कई लोग अपनी डेयरी के लिए भी गाय खरीद कर नहीं ला रहे हैं। पशुओं की खरीद न होने से किसानों को चारे का संकट भी सताने लगा है।
ग्रामीण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था दो साधनों पर टिकी हुई है। पहला साधन अच्छी खेती और दूसरा दुधारू पशु। भाजपा सरकार की गो संवर्धन और संरक्षण की नीति है। गो रक्षक गाय की रक्षा के नाम पर पशुओं की खरीद करने वाले व्यापारियों के साथ मारपीट करते हैं। जिले में कई बार ऐसे भी मुकदमें दर्ज किए गए हैं, जब कोई व्यक्ति अपनी डेयरी के लिए गाय खरीद कर लाए हैं और गो रक्षकों ने उनकी पिटाई की है। गो रक्षकों ने पशुओं की खरीद व बेचने का व्यापार करने वाले व्यापारियों के साथ भी मारपीट की है। गो रक्षकों के डर की वजह से व्यापारियों ने गांवों में पशुओं को खरीदना बंद कर दिया है। जबकि पशु पालक अकसर दुधारू पशु को अपने घर पर रखते हैं, जो पशु दूध देना बंद कर देते हैं, उन्हें व्यापारियों को बेच देते हैं। अब व्यापारी पशुओं को नहीं खरीद रहे हैं पशुपालकों के घर पर पशु बंधे हुए हैं। किसानों को इन पशुओं को मुफ्त में चारा चराना पड़ रहा है।
बहादरपुर गांव के रविंद्र सिंह बांकुरा का कहना है कि गो रक्षकों के डर की वजह से बिना दूध देने वाले पशु भी अब हमें घर पर ही बांध कर रखने पड़ रहे हैं। आखिर कब तक इन पशुओं को चारा चराएं। यदि ऐसे चलता रहा तो जिले में पशुओं के लिए चारे का संकट पैदा हो जाएगा और पशुओं को बांधने के लिए पशु पालकों के पास जगह भी नहीं होगी। फिर मजबूरी में उन्हें खुले में छोड़ना पड़ेगा। वहीं मंझावली गांव के मुकेश यादव के मुताबिक वो गोशाला खोलना चाहते हैं, लेकिन गो रक्षकों के डर की वजह वे गाय खरीद कर नहीं ला रहे हैं। गोरक्षकों के डर की वजह से अब कोई पशु खरीदने के लिए तैयार नहीं है। इससे गांव की अर्थव्यवस्था पर बहुत ही बुरा असर पड़ रहा है। पशुओं का व्यापार नहीं होगा तो चमड़े के उद्योग पर भी प्रभाव पड़ेगा। वहीं फरीदाबाद पशुपालन विभाग की उप निदेशक नीलम आर्य के मुताबिक फरीदाबाद जिले में करीब 1.76 लाख पशुओं की संख्या है। इनमें करीब 76 हजार गो वंश है। अब पशुओं की एक बार फिर से गिनती की जाएगी। तब ही पता चल पाएगा पशुओं के व्यापार कितना असर पड़ा है।
सभार-जागरण.कॉम
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