नई दिल्ली, 4 अगस्त 2017,
सात साल बाद राम जन्मभूमि विवाद मामले की सुनवाई एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में 11 अगस्त से रोजाना होगी. सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों की बेंच रोजाना अगले शुक्रवार से रोजाना दोपहर 2 बजे से इस मामले पर जिरह करेगी. सुप्रीम कोर्ट की बेवसाइट में इस मामले को लेकर विशेष नोटिस जारी किया गया है.
इससे पहले हाल ही में मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इसे धर्म और आस्था से जुड़ा मामला बताते हुए तमाम पक्षकारों से आपसी बातचीत के जरिए हल खोजने को कहा था. यहां तक कि कोर्ट ने जरूरत पड़ने पर मध्यस्थता की पेशकश भी की थी. अभी तक मामले के पक्षकार इसका समाधान नहीं निकाल पाए हैं, जिसके मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करने का फैसला किया है.
इससे अतिरिक्त पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई के लिए याचिका को सूचीबद्ध किया था. भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने मामले को शीघ्र सूचीबद्ध करने और उन पर सुनवाई शुरू करने का आग्रह किया था, जिस पर प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड वाली पीठ ने कहा था कि हम इस बारे में निर्णय करेंगे.
भाजपा नेता ने अपनी दलील में कहा था कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ मुख्य अपीलें उच्चतम न्यायलय में सात वर्षों से लंबित हैं और इन पर शीघ्र सुनवाई की जरूरत है. उन्होंने अपनी दलील में यह भी कहा था कि उस स्थान पर बिना किसी परेशानी के पूजा अर्चना के उनके अधिकार के पालन के लिए उन्होंने पहले भी अलग से एक याचिका दायर की थी.
गौरतलब है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने साल 2010 में अपने आदेश में उत्तर प्रदेश के अयोध्या के 2.77 एकड़ विवादित क्षेत्र को तीन भागों में बांटने का आदेश दिया था. तीन न्यायाधीशों वाली पीठ ने 2:1 के बहुमत वाले आदेश में कहा था कि इस भूमि को तीन पक्षकारों सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच बांट दिया जाए.
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