डेयरी टुडे डेस्क
इंदौर, 30 अगस्त 2017,
इंदौर में दुग्ध उत्पादक किसानों ने सरकार से दूध के न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने की मांग की है। दुग्ध उत्पादकों का कहना है कि मौजूदा समय में दूध उत्तपादन घाटे का सौदा साबित हो रहा है। दूध के उचित भाव नहीं मिलने से किसान दूध उत्पादन से मुंह मोड़ रहे हैं। दुग्ध उत्पादकों का आरोप है कि मध्य प्रदेश दुग्ध महासंघ और दूध व्यापारी संघ दोनों दूध उत्पादकों और उपभोक्ताओं का शोषण कर रहे हैं।
दूध के रेट बढ़ाने की मांग
किसान सेना के प्रतिनिधियों ने राज्य सरकार से मांग की है कि कि किसानों से दूध खरीदी का रेट 48-50 रुपए प्रति लीटर किया जाए। दुग्ध किसानों का कहना था कि मध्य प्रदेश दुग्ध महासंघ को गुजरात की तर्ज पर दूध की खरीदी करना चाहिए। गुजरात में किसानों को 3 से 5 रुपए प्रति लीटर दूध का भाव अंतर अलग से बोनस के रूप में दिया जाता है।
दुग्ध उत्पादकों का हो रहा है शोषण
किसान सेना के अध्यक्ष केदार पटेल और सचिव जगदीश रावलिया ने बताया कि इंदौर और उज्जैन संभाग के दुग्ध महासंघ और कुछ बड़े दूध व्यवसायी लागत से भी कम दर पर दूध का क्रय मूल्य घोषित करते हैं, जबकि दूध से बने उत्पादों को ऊंचे दाम पर बेचकर उपभोक्ताओं का भी शोषण कर रहे हैं।
दुग्ध किसानों को नहीं मिलता भाव
किसान शोषण विरोधी मंच के अध्यक्ष दिलीप सिंह पवार ने कहा कि सांवेर, देपालपुर, हातोद, चंद्रावतीगंज, तिल्लौर, महू, शिप्रा, राऊ, सेमल्या चाऊ सहित अन्य ग्रामीण क्षेत्र से व्यापारी कहीं से 36, कहीं से 38 और कहीं से 40 रुपए प्रति लीटर दूध लाकर शहरों में 43 से 48 रुपए प्रति लीटर बेच रहे हैं। अच्छी बारिश और चारे की आड़ लेकर दूध व्यवसायी किसानों को अधिक भाव नहीं देते। जबकि दूध का लागत मूल्य ही 44 रुपए प्रति लीटर आ रहा है।
जानिए क्यों हो रहा है घाटा
किसान प्रतिनिधियों ने बताया कि पहले जिस भैंस की कीमत 35 से 50 हजार रुपए थी, अब 75 हजार से 1 लाख रुपए हो गई है। पशुओं को खिलाए जाने वाले सत्तर किलो कपास्या खली का बोरा 1700 रुपए का है और चूरी-चापड़ का भाव 1600 रुपए प्रति क्विंटल है। गुड़ का भाव 40 से 55 रुपए प्रति किलो हो गया है। इतना ही नहीं डीजल, पशुओं की दवाएं और मजदूरी के रेट भी पहले से दोगुने हो गए हैं। जिस हिसाब से इन चीजों के रेट बढ़े हैं, दूध के भाव नहीं बढ़े हैं।
सभार-नई दुनिया
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