मदन गोपाल चौधरी, संवाददाता, डेयरी टुडे नेटवर्क,
बीकानेर(राजस्थान), 9 सितंबर 2017
राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में इन दिनों लावारिस पशुओं की समस्या विकराल हो गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में सैकड़ों की संख्या में लावारिस गाय, बैल और सांड झुंड बनाकर घूमते हैं और जिस गांव की तरफ रुख करते हैं वहां सैकड़ों एकड़ फसल बरबाद कर देते हैं। लेकिन सरकार और प्रशासन के अधिकारी इस समस्या की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।
बात बीकानेर की करें तो महाजन फील्ड फायरिंग रेंज के आसपास के 34 गांवों के अलावा जिले के करीब 60 गावों में लावारिस पशुओं की समस्या है। दरअसल जब से गायों की आवाजाही और खरीदफरोख्त को लेकर नया कानून बना था और गोरक्षकों का आतंक बढ़ा था उसके बाद से किसानों ने गायों और दूसरे पशुओं को बेचने के बजाए उन्हें लावारिस छोड़ दिया है। धीरे-धीरे ये संख्या हजारों में पहुंच गई है। अब इन लावारिस पशुओं ने झुंड का रूप ले लिया है। पेट भरने के लिए खेतों के बीच पहुुंच कर ये झुंड जमकर उत्पात मचाता और फसल को नष्ट कर देता है। लावारिस पशुओं के आतंक की वजह से कई किसानों ने खेती करना भी छोड़ दिया है।
किसान और ग्रामीणों का कहना है कि सरकार कहती है कि गौवंश को गोशालाओं में छोड़ना चाहिए। लेकिन गोशाला से संचालक अपनी मर्जी से गायों को रखते हैं, जबकि इन गोशालाओं को सरकार से अनुदान भी मिलता है। लेकिन इन गोशाला संचालकों पर किसी की नहीं चलती है। सरकार और अधिकारियों को भी ये पता है लेकिन कोई भी कुछ नहीं करता है। अब हालत ये है कि किसानों ने इनके आतंक से खेतों में फसल बोना ही छोड़ दिया है। क्योंकि बीकानेर जिले में धीरे-धीरे लावारिस पशुओं के झुंड में हजारों की संख्या में गाय-बैल शामिल हो गए हैं। जब ये जानवर किसी खेत में घुसते हैं तो वहां फसल का नामोनिशान मिटा देते हैं।
स्थानील लोगों का कहना है कि गोरक्षा के नाम पर राजनीति करने वालों को इस समस्या पर भी ध्यान देना चाहिए और इन लावारिस गौवंश के पेट भरने का कोई इंतजाम करना चाहिए, जिससे किसानों की खेती बच सके और इन पशुओं का भी कल्याण हो सके।
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