सभार- अमर उजाला
गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) को लागू होने में चंद दिन बचे हैं। ऐसे में आइसक्रीम के शौकिनों के लिए बुरी खबर है। जीएसटी में सरकार ने सभी प्रकार की ब्रांडेड आइसक्रीम पर टैक्स की सर्वाधिक मार मारी है। बिस्किट के समान आइसक्रीम पर सरकार ने 18 फीसदी टैक्स लगाया है। इससे आप लोगों के लिए कुल्फी से लेकर के सॉप्टी और फैमिली पैक खरीदना महंगा हो जाएगा।
केंद्र सरकार ने आइसक्रीम को बनाने में प्रयोग होने वाले कच्चे माल दूध और चीनी पर टैक्स नहीं लगाया है। हालांकि कई कंपनियां आइक्रीम को फ्रोजन डेजर्ट के तौर पर बेचती हैं, जिसमें रिफाइंड तेल का इस्तेमाल भी होता है उस पर इससे कम टैक्स लगाया है। टैक्स लगने से आइसक्रीम के कच्चे माल में 35-40 फीसदी की बढ़ोतरी हो गई है।
सरकार के इस फैसले से आइसक्रीम इंडस्ट्री में रोष व्याप्त है। देश में कई सरकारी और प्राइवेट कंपनियां हैं, जो आइसक्रीम बेचने के कारोबार में लगी हुई हैं। इनमें मदर डेयरी, अमूल, क्रीमबेल, वाडीलाल और क्वालिटी वॉल्स प्रमुख हैं। इसके अलावा कई विदेशी और छोटी कंपनियां भी आइसक्रीम के कारोबार में लगी हुई हैं।
जीएसटी के लागू होने से पहले अभी आइसक्रीम इंडस्ट्री पर 12.5 फीसदी टैक्स लगता है, जो कि सरकार वैट के तौर पर वसूलती हैं। इसके अलावा सरकार एक्साइज ड्यूटी भी लगाती है, जो हर राज्य में अलग-अलग है।
इंडस्ट्री का तर्क है कि वो किसानों को दूध के सबसे ज्यादा दाम देती है, फिर भी इतना टैक्स लगाना जरुरी नहीं है। इससे किसानों को भी नुकसान होगा।
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