डेयरी टुडे नेटवर्क,
कुरुक्षेत्र, 13 अक्टूबर 2017,
खेती इतनी भी बुरी नहीं है कि जितना इसका नाम खराब कर दिया है। दरअसल, जो भी व्यक्ति थोड़ी बहुत समझ बूझ से और धैर्य से खेती करे, तो हरियाणा के हरबीर सिंह की तरह करोड़ों में कमाई कर सकता है। हरियाणा में खेती चोखी कमाई का जरिया बनता जा रहा है। हम आपको कुरुक्षेत्र जिले के एक ऐसे ही किसान से रूबरू करा रहे हैं, जो महज कुछ एकड़ में खेती कर सालाना करोड़ों रुपए की कमाई कर रहा है।
हम बात कर रहे हैं कुरुक्षेत्र जिले के गांव शाहाबाद में रहने वाले किसान हरबीर सिंह की। हरबीर ने मास्टर डिग्री लेने के बाद नौकरी नहीं की और खेती में ज्यादा रूचि दिखाई। इसी का नतीजा है कि आज वे करोड़पति किसान हैं।
2005 में हरबीर ने सिर्फ 2 कनाल क्षेत्र में 1 लाख रूपये की लागत से सब्जियों की नर्सरी लगाई। इससे उन्हें अच्छा-खासा फायदा होने लगा। उन्होंने इसके बाद और जमीन खरीदी। अब 2015 में 11 एकड़ खेत में हरबीर सिंह की नर्सरी है, जिससे सालाना लगभग 3 करोड़ का लाभ होता है।
हरबीर सिंह के मुताबिक उन्होंने वैज्ञानिक तरीके से खेती शुरु की थी। उन्होंने टमाटर, गोभी, हरी मिर्च, प्याज, शिमला मिर्च, बैंगन सहित अन्य पौध तैयार की। पौध अच्छी निकली तो यूपी, हिमाचल, हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों के किसान पौध खरीदने के लिए आने लगे।
अब उनकी मिर्च की पौध इटली जाती है। पिछले दो साल से लगभग 20 हजार पौधे इटली भेजते हैं। उन्होंने अपनी नर्सरी को बिल्कुल हाईटेक बना दिया है। उनका दावा है कि उनकी 16 एकड़ की नर्सरी में एक भी पौधा बीमारी वाला नहीं है। पौध की कीमत 45 पैसा प्रति पौधा से लेकर 1.50 रुपये प्रति पौधा वैरायटी के साथ तय की गई है।
इंटरनेशनल बी-रिसर्च एसोसिएशन के वो सदस्य भी हैं। साल 2004 में एसोसिएशन की ओर से हरबीर सिंह इंग्लैंड दौरे पर गए थे। नर्सरी के अलावा बहरबीर ने साल 1996 में 5 बॉक्स से मुधमक्खी पालन का काम शुरू किया था। अब वो 470 बॉक्स मधुमक्खी पालन करते हैं।
क्षेत्र में हरबीर की नर्सरी बहुत मशहूर है। यही वजह है कि एडवांस बुकिंग के बिना हरबीर की नर्सरी से तुरंत पौधा मिल पाना बहुत मुश्किल है। पौध को खरीदने से पहले कम से कम 3 दिन पहले एडवांस बुक करवाना पड़ता है। 3 दिन के बाद ही पौध मिल पाता है। इस वजह से हरबीर सिंह के फार्म हाउस पर लोगों की भीड़ लगी रहती है। लेकिन इसी वजह से उनको करोड़ों की कमाई भी होती है।
हरबीर सिंह ने बताया कि इस बार उन्होंने ताइवान से पपीते का बीज मंगाया और यहां 50 हजार पौधे तैयार किए हैं। इन पौधों को वे खुद भी एक एकड़ में लगाएंगे, ताकि पौध लेने आने वाले किसानों को सैंपल दिखा सकें। उन्होंने बताया कि मुख्य सीजन अक्टूबर से मार्च तक होता है।
हरबीर सिंह की नर्सरी में एक-दो नहीं बल्कि 121 महिला- पुरूष काम पर लगे हुए हैं। पिछले साल उन्होंने 4 करोड़ पौध बेचे थे, जबकि इस बार ये लक्ष्य 10 करोड़ पौधे बेचने का है।
(साभार-उन्नत खेती)
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Very nice sir
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