डेयरी टुडे नेटवर्क,
भरतपुर/धौलपुर, 31 दिसंबर 2017,
राजस्थान के भरतपुर-धौलपुर जिलों में दूध की आवक अधिक होने के कारण डेरी की ओर से निर्णय लिया गया है कि लोगों को आने वाली एक जनवरी से सरस दूध 3 रुपए लीटर सस्ता मिलेगा। घी की डिमांड घटने और जीएसटी 5 से बढ़कर 12 फीसदी होने से घाटे की भरपाई के लिए दुग्ध उत्पादक कंपनियों ने दूध कारोबारियों का मुनाफा छीन लिया है। कंपनियां दूधियों से 32 की जगह अब 25 रुपए प्रति लीटर में दूध खरीद रही हैं। इसका सीधा असर भरतपुर-धौलपुर दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड के सामने आया है। संघ के पास दूध कलेक्शन इतना बढ़ गया है कि उसे रखने तक की जगह ही नहीं बची है।
अभी संघ के पास करीब 30 हजार लीटर दूध प्रतिदिन रहा है, जो पिछले साल के मुकाबले चौगुना है। पिछले साल लगभग 7 हजार लीटर दूध आ रहा था। टेंकरों खाली करने के लिए दुग्ध संघ के पास इंतजाम नहीं हैं। प्लांट में तीन सायलो की व्यवस्था नहीं है। इस कारण ज्यादा परेशानी है। एक्सपर्ट कहते हैं कि ऐसी स्थिति में दूध का साल्ट बैलेंस डिस्टर्ब हो जाता है। इससे दूध के स्वाद पर असर पड़ सकता है। दुग्ध संघ ने एक सप्ताह में दूसरी बार एक जनवरी से दूध के भाव कम करना तय किया है। इसका असर सीधा-सीधा पशुपालक पर रहा है। इस कारण पिछले दिनों दूधियों ने आंदोलन की घोषणा भी की थी जिसके चलते जिले भर के उपभोक्ताओं को दूध की किल्लत का सामना करना पड़ा था।
संघने दूध की आवक को देखते हुए एक जनवरी से आगरा में दूध भेजने का निर्णय लिया है। इस संबंध में कुछ पार्टियों से बात हुई है। इसके अलावा दुग्ध संघ करीब महीने भर से भी मथुरा दूध भेज रहा है। इसके अलावा हाथरस में भी दूध भेजा जा रहा है। इसके अलावा संघ दूध का पाउडर बना रहा है तथा घी बनाने के काम में ले रहा है। फिर भी दूध की बिक्री यथावत है।
कंपनियोंद्वारा दिए गए इस बोझ से जिले के 8 हजार से अधिक दूधिए प्रभावित हुए हैं। क्योंकि दुग्ध संघ ने भी खरीद की रेट गिरा दी हैं। पिछले 15 दिन में 65 रुपए किलो फेट तक की कमी है। दुग्ध संघ पशु पालकों से अभी 475 रुपए प्रति किलो फेट की दर से दूध खरीद रहा है। जबकि जून के महीने में दुग्ध संघ ने 615 रुपए प्रति किलो फेट की दर से दूध खरीदा था। प्राइवेट डेयरी प्लांट में यह दाम 460 रुपए प्रति किलो फेट हैं। फिलहाल 28 रुपए लीटर दूध की खरीद की जा रही है। इस वजह से ज्यादा पशुपालक प्राइवेट की जगह दुग्ध संघ को दूध देने लगे। इस कारण दूध कलेक्शन रोजाना 30 हजार लीटर तक पहुंच गया। दूध से घी का उत्पादन कर रही कंपनियों को 12 फीसदी वस्तु सेवाकर देना पड़ रहा है। इसके चलते दुग्ध उत्पादक कंपनियों ने जीएसटी का घाटा पूरा करने के लिए दूध के रेट सात से नौ रुपए लीटर तक कम कर दिए हैं।
^प्रतिदिन 28 से 30 हजार लीटर दूध की खरीद कर रहे हैं। बिक्री बमुश्किल 7 हजार लीटर की है। एक जनवरी से बिक्री रेट 3 रुपए लीटर कम कर रहे हैं। निजी कंपनियों द्वारा दूध खरीद कम किए जाने से ऐसे हालात पैदा हुए हैं। ओपीमाहेश्वरी,, एमडी, भरतपुर दूध उत्पादक सहकारी संघ लि.
संघने सरस दूध के भावों में एक जनवरी से तीन रुपए घटाने का निर्णय लिया है। यह एक सप्ताह में दूसरी बड़ी गिरावट है। एक जनवरी से सरस गोल्ड का भाव 46 रुपए लीटर, टोंड का भाव 35 रुपए तथा डबल टोंड मिल्क 33 रुपए लीटर उपभोक्ताओं को मुहैया होगा। इससे पहले 25 दिसंबर से इन तीनों के भाव में दो रुपए लीटर की कमी की थी। इस संबंध में सभी बूथ संचालकों को सूचना दे दी गई है।
यदिटैंकर में दूध पाश्चुराइज्ड है तो उसे 5 दिन तक रखा जा सकता है, लेकिन यदि दूध सिर्फ शीतलीकृत यानी 4 डिग्री पर ठंडा करके लाया गया है तो खराब नहीं होता, लेकिन उसका साल्ट बैलेंस यानी लवण डिस्टर्ब हो जाता है। ऐसे दूध के टैंकर को 12 घंटे में प्रोसेस करना जरूरी होता है। इससे दूध के स्वाद में अंतर जाता है। इसके फेट एसएनएफ पर तो फर्क नहीं पड़ता, लेकिन उससे अरोमा प्रभावित होता है। दूध की ताजगी पर असर पड़ता है। सेहत के नजरिए से भी यह सही नहीं है।
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