डेयरी टुडे नेटवर्क,
नई दिल्ली, 1 जून 2018,
भारत दुनिया का नंबर एक दुग्ध उत्पादक देश है। भारत में प्रति वर्ष करीब 165 मिलियन टन दुग्ध उत्पादन होता हे। पूरी दुनिया में 1 जून को विश्व दुग्ध दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत ने बीते एक दशक में दुग्धउत्पादन में जबरदस्त तरक्की की है।
दूध उत्पादन में वैश्विक स्तर पर भारत के बाद अमेरिका (107.5 मिलियन टन ) और उसके बाद चीन (36.5 मिलियन टन) का नंबर आता है। यूरोपीय यूनियन के सभी देश जितने दूध का उत्पादन करते हैं भारत अकेले उतना दूध पैदा होता है। एक कैलकुलेश के मुताबिक, दूध का हर 5वां ग्लास भारत में उत्पादित होता है।
भारत के दुग्ध उत्पादन में बढ़ोतरी की रफ्तार विश्व के औसत से करीब तीन गुना ज्यादा है। जहां विश्व दुग्ध उत्पादन की औसत विकास दर 2.1% है वहीं भारत की दूध उत्पादन में वार्षिक विकास दर 6.3% है। सन 1990-91 में भारत में केवल 53.9 मिलियन टन दूध का उत्पादन हुआ था जो 2016-17 में बढ़कर 165.4 मिलियन टन हो गया। वर्ष 1990-91 में प्रति व्यक्ति दुग्ध उपलब्धता 176 ग्राम थी जो 2014-15 में बढ़कर 322 ग्राम और 2016-17 में 355 ग्राम हो गई। इस मामले में विश्व औसत 294 ग्राम (वर्ष 2013) है।
प्रोडक्शन बढ़ने के साथ ही उत्पादकों की आय भी बढ़ रही है। पशुपालन डेयरी और मत्स्यपालन विभाग के मुताबिक, दूध उत्पादकों की आय में 2011-12 से 2014-17 के बीच 23.77% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है दूध सहकारिताओं ने गत 15 वर्षों में उत्पादित होने वाले दूध के पांचवें हिस्से को पारंपरिक और मूल्य वर्धक उत्पादों में परिवर्तित कर दिया है जिससे की आय में 20% तक का इजाफा हुआ है। 2021-22 तक ऐसे उत्पादों का बाज़ार में हिस्सा बढ़ कर 30% तक हो जाने की सम्भावना है। कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने हाल ही में करनाल स्थित राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के 16वें दीक्षांत समारोह में कहा था कि पिछले तीन साल में भारत में दूध के उत्पादन में 20 फीसदी का इजाफा हुआ है। भारत पिछले 20 वर्षो से दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बना हुआ है।
सरकार देसी नस्लों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए 28 जुलाई 2014 को राष्ट्रीय गोकुल मिशन प्रारंभ किया गया है। इस योजना के तहत 31 मार्च 2018 तक राज्यों में 546.15 करोड़ रुपए की राशि जारी की जा चुकी है। इसके अलावा 2016 में सरकार ने गाय के दूध के उत्पादन में सुधार के लिए बड़ी पहल शुरू की है। डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी (DBT) से मिली जानकारी के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट के तहत वह कम से कम 40 स्थानीय नस्लों पर अध्ययन करेगा।
एग्री बिजनेस एक्सपर्ट विजय सरदाना के मुताबिक, भारतीय डेयरी इंडस्ट्री के आगे बड़ी चुनौतियां भी हैं। हमें आज से ही 2025 के बारे में तैयारी शुरू करनी होगी, वरना उस वक्त हमारे पास बाजार तो बहुत बड़ा होगा मगर हम जरूरत के हिसाब से सप्लाई नहीं कर पाएंगे। सरदाना के मुताबिक, आने वाले समय में लोगों की परचेसिंग पावर बढ़ेगी और न्यूट्रीशन पर फोकस होगा, दूध की डिमांड और बढ़ेगी। जनसंख्या भी तब तक बढ़कर 1.40 अरब हो जाएगी। शहरों के साथ-साथ गांवों में भी आबादी बढ़ेगी और जब गांवों में आबादी बढ़ती है तो खेत छोटे होते हैं। जमीन की उत्पादकता भी घट रही है। जो भी खेत है उसी में देश की 1.40 करोड़ आबादी का पेट भरने के लिए अनाज भी पैदा करना होगा। आजादी के वक्त हर आदमी के हिस्से में 5000 टन पानी था जो आज घटकर 1700 टन रह गया है, आने वाले वक्त में पानी की किल्लत भी बढ़ेगी। पानी और चारे के बिना दूध उत्पादन संभव नहीं है और आने वाले वक्त में इन दोनों की किल्लत हो जाएगी।
किसानों को जमीन की सेहत पर अभी से पूरी ईमानदारी से जुटना होगा। सॉइल हेल्थ कार्ड बेहद जरूरी है। इससे आपको पता चल जाएगी कि जमीन को किस तरह के पोषण की जरूरत है। इसके बाद हम सभी ये जिम्मेदारी बनती है कि पानी बचाने के जो भी उपाय हो सकते हैं उन्हें अपनाएं। सरदाना के मुताबिक, आने वाले समय में उत्पादक अच्छा प्रॉफिट कमा पाएगा जिसके पास चारा और पानी होगा। इसके अलावा हमें ऐसी तकनीकों को खोजना और अपनना होगा जिनकी लागत कम हो और मुनाफा ज्यादा।
(साभार-मनी भास्कर)
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