करनाल।
पशु मालिक अब डेयरी में दूध देते समय गाय और भैंस के दूध में दूसरे पशुओं का दूध नहीं मिला सकेंगे। इस मिलावट के खेल में मंहगे दामों पर बिकने वाले मवेशियों के दूध में उन मवेशियों के दूध को मिला दिया जाता है, जिनका दूध सस्ते दामों पर मार्केट में उपलब्ध होता है। इससे खरीदने वाले को मनचाहे मवेशी का दूध नहीं मिल पाता है वहीं दूसरी ओर मिलावट के चलते सस्ते दूध की कीमत महंगे दामों पर चुकानी पड़ती है। इसे रोकने के लिए एनडीआरआई के वैज्ञानिकों डीएनए बेसड टेक्नोलोजी विकसित कर ली है, जो आपको बताएगी कि आप गाय, भैंस, भेड़, बकरी या ऊंटनी सहित पांच मवेशियो मेें से किसी मवेशी (पशु) का दूध पी रहे हैं और इस दूध में किस अन्य दूध को मिलाया गया है। एनडीआरआई ने इस टेक्नोलोजी को प्रादेशिक सहकारी डेरी फेडरेशन लिमिटेड लखनऊ को ट्रासंफर कर दिया है। डेरी फेडरेशन के गुणवता जांच विभाग के मैनेजर सुश्री शबनम चोपड़ा ने बताया कि वे इस टेस्ट का इस्तेमाल कन्नौज में लग रहे प्लांट में गाय के दूध की सुनिश्चितता जांचने के लिए करेंगे।
रिसर्च से पता चलेगा कितना प्योर है दूध
डॉ. सचिनंदन डे, डॉ. सुशील कुमार एवं डॉ. देवीका गौतम की संयुक्त टीम ने यह तकनीक ईजाद की जिससे यह जांचा जा सकेगा कि अमुक दूध में गाय, भैंस, भेड़, बकरी या ऊंटनी सहित पांच मवेशियों के दूध में से किस प्रजाति का दूध आपस में मिलाया गया है एवं किस अनुपात में मिलाया गया है? इस तकनीक के माध्यम से अगर पांच फीसदी से अधिक मिलावट की गई है तो उसका भी पता लगाया जा सकेगा। उन्होनें बताया कि यह टेस्ट दूध में डीएनए की पहचान करता है। जब गाय दुधारू पशु दूध देता है तो वह अपनी कोशिकाएं भी दूध में छोड़ देता है। इस टेस्ट में कोशिकाओं से डीएन निकाला जाता है तथा बाद में पीसीआर विधि द्वारा मात्र तीन-चार घंटे के टेस्ट से मिलावट का पता लगाया जा सकेगा।
घर में करना संभव नहीं यह टेस्ट
एनडीआरआई के निदेशक डा. आरआरबी सिंह ने कंपनी के संयोजक को बधाई दी और बताया कि हर मवेशी (पशु) के दूध में कुछ खास तरह के गुण मौजूद रहते हैं। जिसके चलते ग्राहक खास मवेशी के दूध को ही तवज्जो देता है। यह टेस्ट घर में करना संभव नहीं है। अभी डेरी उद्योगों में ही इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
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