गुजरात में गायों की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार ने नई पहल शुरू की है। गुजरात में दुधारू गायों पर नजर रखने के लिए सरकार उनमें जीपीएस चिप लगाने की तैयारी कर रही है। सरकार की तरफ से इस प्रॉजेक्ट को मंजूरी मिल चुकी है। इस प्रॉजेक्ट के लिए सरकार ने 2.78 करोड़ रुपये देने के लिए मंजूरी दे दी है। इस प्रॉजेक्ट के पहले चरण में 50 हजार गायों में रेडियो फ्रिक्वंसी आइडेंटिफिकेशन डिवाइस (आरएफआईडी) लगाई जाएंगी। डिवाइस में गाय का आइडेंटिफिकेशन नंबर, जन्मतिथि, हेल्थ रिकॉर्ड और प्रवासन से संबंधित जानकारियां भी होंगी। खबरों के मुताबिक आरएफआईडी किट में माइक्रोचिप होगी जिसे गाय के कान में लगाया जाएगा, इसमें रेडियो फ्रिक्वंसी डिवाइस और गोसेवा ऐप्लिकेशन होंगी। माइक्रोचिप में गाय से संबंधित नस्ल, आयु, दूध की मात्रा और मालिक का नाम जैसी जानकारियों को स्टोर करके रखा जा सकेगा।
गुजरात गोसेवा व गोचर विकास बोर्ड (जीजीजीवीबी) राज्य की ज्यादा से ज्यादा दूध देनेवाली गायों को GPS माइक्रोचिप लगाने का काम कर रहा है। प्रॉजेक्ट को लागू कराने के लिए बोर्ड ने गुजरात इन्फो पेट्रो लिमिटेड के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर दस्तखत किए हैं। इसके अलावा बेंगलुरु स्थित आईटी कंपनी नैनो कर्नेल को भी इस काम में शामिल किया गया है। बोर्ड के मुताबिक 200 से ज्यादा गोशालाओं में आइडेंटिफिकेशन का काम शुरू कर दिया है और अगस्त के अंत तक यह काम पूरा कर लिया जाएगा। द टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक पशुपालन से संबंधित राज्य के मंत्री बचू खबद ने कहा कि गायों की सुरक्षा के मामले में गुजरात सबसे आगे है। उन्होंने कहा, इस प्रॉजेक्ट से राज्य की स्वस्थ्य दुधारू गायों की संख्या बढ़ाने में मदद मिलेगी। गायों की सुरक्षा और संरक्षण के प्रति गुजरात की प्रतिबद्धता दिखाने के लिए यह कदम उठाया गया है।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने गायों की सुरक्षा और देखरेख को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अहम योजना की जानकार दी थी। सरकार ने कहा था कि वह गायों के लिए भी आधार कार्ड जैसी योजना लागू करना चाहती है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया था कि वह यूआईडी जैसी व्यवस्था के जरिए गायों की लोकेशन का पता करना चाहती है। इससे गाय की नस्ल, उम्र, रंग, के बारे में पता लग जाएगा। साथ ही इससे गाय की तस्करी पर भी रोक लगेगी।
साभार-जनसत्ता.कॉम
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