डेयरी टुडे नेटवर्क,
चंडीगढ़/नई दिल्ली, 28 मार्च 2020,
कोरोना लॉकडाउन की वजह से देश के सभी राज्यों में डेयरी कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ है। कर्फ्यू की वजह से गांवों से दूध शहरों तक नहीं पहुंच पा रहा है। कोरोना के खिलाफ जंग के लिए पंजाब में काफी पहले ही कर्फ्यू लगा दिया गया था। अब पंजाब में भी इस कर्फ्यू का असर दुग्ध उत्पादक किसानों पर पड़ने लगा है। पंजाब में कर्फ्यू के कारण सभी बाजार, होटल, मिठाई की दुकानें पूरी तरह से बंद हैैं। इससे प्रदेश में दूध की मांग काफी गिर गई है। इस बीच मांग नहीं होने से प्राइवेट डेयरी मालिकों ने Dairy Farmer’s से दूध लेना बंद कर दिया है, जिससे उनके सामने चुनौती बढ़ गई है। इस हालत में दूध उत्पादक किसान बेहद परेशान हैं और उनको कुछ समझ में नहीं आ रहे दूध का क्या करें। जाहिर है ऐसे में पंजाब में दूध खरीदने का सारा दबाव Verka पर आ गया है।
मोरिंडा की डेयरी में दूध ले जाने वाले रिंकू ने बताया कि पूरी मंडी में अब कोई दुकानदार दूध लेने को राजी नहीं है। जिन घरों से वह दूध उठा रहे थे उनको मना करना पड़ रहा है। चंडीगढ़ से 25 किलोमीटर दूर गांव बड़वाली के राणा बड़वाली ने बताया कि उनका रोज करीब 40 लीटर दूध खराब हो रहा है क्योंकि वेरका भी अब पूरा दूध नहीं उठा रहा है। उनके पास हर रोज करीब 80 लीटर दूध होता है, लेकिन वेरका सिर्फ 40 लीटर ले रहा है। शेष दूध वह अपने रिश्तेदारों में बांट रहे हैं या फिर पशुओं को ही पिला रहे हैं। रोजाना 1500 रुपये तक नुकसान हो रहा है।
वेरका कोऑपरेटिव सोसायटी के प्रधान गांव बड़वाली के पंच सौदागर सिंह ने बताया कि वेरका के सभी सदस्यों का दूध लिया जा रहा है। दैनिक जागरण की खबर के अनुसार अब प्राइवेट डेयरियां किसानों से दूध नहीं ले रही हैं, इसलिए कुछ किसानों को काफी दिक्कतें आ रही हैैं। किसान वेरका सेंटर पर दूध डालने का दबाव बना रहे हैं। हमने अपनी सोसाइटी में बात रखी है। सोसाइटी इस शर्त पर तैयार हो सकती है कि किसान कर्फ्यू हटने के बाद भी सहकारी सेंटर पर ही दूध सप्लाई करें।
एक और दिक्कत आने वाली है कि किसानों को अभी उठाए जा रहे दूध की पेमेंट कैसे की जाएगी? बैंकों का काम बंद है और गांव-गांव में पेमेंट पहुंचाना बड़ी समस्या है। यही नहीं, पशुओं के लिए चारा लाना भी एक बड़ी समस्या है। गांव डडीयाना के अवतार सिंह ने बताया कि जिन डेयरी वालों के पास चारे के लिए साइलोस बनाए हुए हैं उनका काम तो फिलहाल ठीक चल रहा है। जो किसान फीड खरीद कर काम चलाते हैं, उनकी दिक्कत बढ़ रही है।
पंजाब डेयरी डेवलपमेंट के डायरेक्टर इंदरजीत सिंह ने बताया कि अभी तीन-चार दिन दिक्कत और रह सकती है। राज्य सरकार ने दूध की सप्लाई के लिए मात्र दो घंटे का समय ही दिया है। दोधी गांव से दूध एकत्रित करके उसे शहरों में दो घंटे के अंदर नहीं बेच सकते। हमने राज्य सरकार को कहा है कि इसके लिए कर्फ्यू में ढील चार घंटे की दी जाए। इसके अलावा दो-तीन दिन बाद प्राइवेट प्लांट दूध उठाना शुरू कर देंगे। सभी संबंधित लोगों को पास जारी कर दिए गए हैं। इससे 50 लाख लीटर दूध की खपत होने लग जाएगी।
सहकारिता विभाग के मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा कि सहकारी सदस्यों का पूरा दूध उठाने के लिए वेरका वचनबद्ध है। फिलहाल प्राइवेट दोधियों का दूध वह नहीं उठा पाएंगे। आखिर किसानों को भी यह समझना होगा कि वेरका अपनी क्षमता से ज्यादा दूध नहीं ले सकता।
मिल्कफेड के एमडी कमलदीप सिंह संघा ने कहा कि वेरका द्वारा पूरा दूध न उठाने की बात गलत है। उन्होंने कहा कि वेरका की खरीद क्षमता पीक सीजन में भी 26 लाख लीटर की है। जबकि कर्फ्यू व लॉकडाउन के कारण मांग में कमी आने के बावजूद हमने 25.13 लाख लीटर दूध उठाया है, जो टारगेट के आसपास ही है। संघा के मुताबिक पहले एक-दो दिन को छोड़कर अब मांग 10.30 लाख लीटर के आसपास पहुंच चुकी है, जबकि पीक सीजन के दौरान यह 11 लाख लीटर थी। 15 लाख लीटर से सूखा दूध पाउडर बनाया जा रहा है, ताकि गर्मियों के सीजन के दौरान जब दूध की कमी हो जाती है तो इससे उसे पूरा किया जा सके।
*रोजाना उत्पादन 360 लाख लीटर
*गांवों में खपत 180 लाख लीटर
*वेरका के 9 प्लांट और 26 प्राइवेट प्लांट लेते हैं 80 लाख लीटर
*दूधिया लेते हैं 80 लाख लीटर
*20 लाख लीटर की बनती हैं मिठाइयां और अन्य डेयरी उत्पाद
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