डेयरी टुडे नेटवर्क,
महासमुंद, 12 जुलाई 2020,
डेयरी फार्मिंग और पशुपालन ऐसा व्यवसाय है, जो किसानों की आर्थिक उन्नति का सबसे बड़ा साधन बनकर उभरा है। यदि कोई किसान खेती-बाड़ी के साथ डेयरी का काम भी करे तो उसकी आमदनी कई गुना बढ़ सकती है। यही वजह है कि किसानों की इनकम बढ़ाने के लिए सरकारें भी पशुपालन और डेयरी फार्मिंग पर विशेष जोर दे रही है। ‘डेयरी के सुल्तान’ में आज हम आपके सामने लेकर आए हैं छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के पिथौरा विकासखण्ड के ग्राम मुढ़ीपार के प्रगतिशील युवा किसान भोजराम पटेल की सफलता की कहानी। भोजराम पटेल ने अपनी मेहनत और लगन के बल पर खेती और डेयरी फार्मिंग से इनकम बढ़ाने के मंत्र को साबित कर दिखाया है। 35 साल के प्रगतिशील डेयरी किसान भोजराम पटेल सिर्फ 12वीं तक पढ़े हैं, लेकिन आज वे अपने इलाके ही नहीं पूरे राज्य में डेयरी फार्मिंग और खेती-किसानी के जरिए इनकम बढ़ाने के मामले में मिसाल बन चुके हैं।
सफल डेयरी किसान भोजराम पटेल पहले सिर्फ अपनी पैतृक खेती पर ही आश्रित थे। जीतोड़ मेहनत के बाद भी उन्हें अपने चार हैक्टेयर खेतों से मुश्किल से सालभल में 4 लाख रुपये की आमदनी होती थी। इनती कमाई में उनके परिवार की गुजर-बसर बेहद मुश्किल थी। लेकिन वर्ष 2016 में उन्हें सरकार की डेयरी उद्यमिता विकास योजना (DIDS) के बारे में पता चला। पशुधन विकास विभाग द्वार संचालित इस योजना के बारे में जानकारी एकत्र करने के बाद किसान भेजराम पटेल ने खेती के साथ पशुपालन और डेयरी फार्मिंग करने की भी ठानी। युवा किसान भोजराम पटेल ने बिना वक्त गंवाए अपने ब्लॉक के निकट में स्थि पशु चिकित्सा विभाग के दफ्तर से संपर्क कि और इस योजना के तहत डेयरी खोलने की बात कही। सरकार की डेयरी योजना से जुड़ी कागजी कार्रवाई पूरी होने के बाद भोजराम पटेल को डेयरी फार्म खोलने की कुल लागत यानि 12 लाख रुपये का 50% यानि आधी रकम के अनुदान की स्वीकृति मिल गई।
युवा किसान भोजराम पटेल ने वर्ष 2017 में ही सरकार की कौशल विकास योजना के तहत व्यवसायिक डेयरी फार्मिंग की ट्रेनिंग ली और इस बिजनेस की पूरी जानकारी हासिल की। भोजराम पटेल ने इससे पहले कभी भी पशुपालन नहीं किया था। उन्होंने इसमें पशुपालन विकास विभाग के अधिकारियों को पूरा सहयोग मिला, पशु उपचार, टीकाकरण, कृत्रिम गर्भाधान, पशु आहार आदि की पूरी जानकारी मिली। देखते ही देखते उनके डेयरी फार्म में दुग्ध उत्पादन बढ़ता गया। भोजराम पटेल बताते हैं कि अब उनके डेयरी फार्म पर उन्नत नस्ल की 30 दुधारू गाय हैं और 16 बछड़े-बछिया हैं। उन्होंने बताया कि उनके डेयरी फार्म पर रोजाना 220 लीटर दुग्ध उत्पादन होता है। वे इस दूध को सहकारी दुग्ध समिति को बेचते हैं और कुछ दुध स्थानीय स्तर पर भी बेचते हैं।
डेयरी किसान भोजराम पटेल ने बताया कि डेयरी से उन्हें हर साल करीब 8 लाख रुपये की इनकम होती है। यानि खेती-बाड़ी से 4 लाख रुपये की इनकम और डेयरी फार्मिंग से 8 लाख रुपये की आमदनी, कुल मिलाकर भोजराम पटेल अपनी मेहनत और सूझबूझ से हर साल 12 लाख रुपये यानि प्रतिमाह एक लाख रुपये कमा रहे हैं। भोजराम ने बताया कि उनके डेयरी फार्म से हर साल 60 ट्राली गोबर निकलता है, जिससे वे वर्मी कम्पोस्ट खाद तैयार करते हैं और खेती में इस्तेमाल करते हैं। अपनी कामयाबी से खुश भोजराम पटेल बताते हैं कि वे पशुओं के लिए मौसमी चारा और नेपियर घास का उत्पादन करते हैं।
डेयरी फार्मिंग के बिजनेस से युवा डेयरी किसान भोजराम पटेल बहुत खुश हैं। उनका कहना है कि अब डेयरी फार्मिंग और पशुपालन उनकी आमदनी का मुख्य जरिया बन गया है। भोजराम पटेल की इस कामयाबी के चलते उन्हें कई पुरस्कार और सम्मान भी प्राप्त हो चुके हैं। 2018 में कृषि विभाग ने भोजराम पटेल को प्रगतिशील पशुपालक के रूप में सम्मानित किया था। इतना ही नहीं एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट द्वारा 20 लाख रुपये की लागत की वर्मी कम्पोस्ट यूनिट के लिए भी उनके डेयरी फार्म को चयनित किया है।
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Krioya Bhojram patel ji ka contact available karwaye…..taki hum bhi unse sikh lekar karya kar sake……
Please
बहुत ही शानदार पटेल जी।। शुभकामनाएं।
Dairy Working Very Great…
बहुत ही बेहतरीन कामियाबी है पटेल जी आप की आप के नम्बर दीजिए