नवीन अग्रवाल, डेयरी टुडे नेटवर्क,
कैथल (हरियाणा), 26 जुलाई 2020,
डेयरी फार्मिंग को अगर पूरी प्लानिंग और प्रोफेशनल तरीके से किया जाए तो इसमें किसी भी और बिजनेस से अधिक कमाई होती है। डेयरी टुडे में हमारी कोशिश ऐसे ही प्रगतिशील डेयरी फार्मर्स (Progressive Dairy Farmers) की सफलता की कहानी (Success Story) आपके सामने लाने की होती है। आज ‘डेयरी के सुल्तान’ में हम लेकर आए हैं हरियाणा के कैथल के प्रगतिशील डेयरी किसान बलिंदर सिंह ढुल। बलिंदर ने अपने छोटे भाई जसविंदर ढुल के साथ मिलकर कैथल में डेयरी फार्मिंग, मिल्क और डेयरी प्रोडक्ट्स की बिक्री का जो मॉडल खड़ा किया है, वो एक मिसाल है।
जहां दूध-दही का खाना, नंबर वन हरियाणा, जी हां हरियाणा राज्य की यही पहचान है। और प्रोफेशनल डेयरी फार्मर बलिंदर सिंह ढुल अपनी मेहनत और काबिलियत के बल पर इस कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं। बलिंदर बताते हैं कि जब वो ग्रेजुएशन के बाद एमए की पढ़ाई कर रहे थे, तभी वे नौकरी करने के बजाए अपना ही कुछ काम करना चाहते थे। चूंकि बलिंदर का परिवार खेती-बाड़ी की पृष्ठभूमि से जुड़ा है, गांव में उनके पास खेत भी हैं और पहले पशुपालन भी होता। इसलिए बलिंदर ने सोचा क्यों न पशुपालन और डेयरी फार्मिंग के क्षेत्र में ही किस्मत अजमाई जाए। बलिंदर ढुल ने बताया कि कैथल शहर से थोड़ी दूर पर ही उनका पैतृक गांव हैं, जिसका नाम है हरसोला। गांव में बलिंदर की 8 एकड़ खेती की जमीन थी। बलिंदर ने इसी जमीन पर डेयरी फार्म खोलने का फैसला कर लिया। इसके लिए उन्होंने कैथल के कृषि ज्ञान केंद्र से डेयरी फार्मिंग की ट्रेनिंग ली और फिर फरवरी 2014 में 5 मुर्रा भैंस खरीद कर एक एकड़ जमीन पर डेयरी फार्म शुरू कर दिया। बलिंदर के इस फैसले का उनके रिश्तेदारों ने खूब मजाक उड़ाया, लेकिन उन्होंने अपना हौसला नहीं खोया और पूरी मेहनत के साथ डेयरी फार्म को बढ़ाने में लगे रहे।
युवा डेयरी किसान बलिंदर ढुल की मेहनत का ही नतीजा था कि धीरे-धीरे डेयरी फार्म आस-पास के इलाकों में फेमस हो गया और उनके फार्म के क्वालिटी मिल्क की डिमांड बढ़ने लगी। डेयरी फार्मिंग से बिजनेस से कमाई बढ़ने के साथही प्रगतिशील डेयरी किसान बलिंदर ढुल का जोश बढ़ता गया और उन्होंने पशुओं की संख्या बढ़ाना शुरू कर दिया। आज बलिंदर ढुल के डेयरी फार्म में 90 अच्छी नस्ल की मुर्रा भैंस हैं, जबकि 63 अच्छी और क्रास ब्रीड नस्ल की गाय हैं। इसके साथ ही बलिंदर के डेयरी फार्म में बड़ी संख्या में अच्छी नस्ल की बछड़ियां भी हैं।
पांच मुर्रा भैंसों से शुरू हुआ बलिंदल ढुल का सफर आज जहां 150 से अधिक दुधारु पशुओं तक पहुंच गया है, वहीं दूध का उत्पादन भी 600 लीटर प्रतिदिन होता है। सर्दियों के समय में दूध का उत्पादन और बढ़ जाता है। डेयरी टुडे से बातचीत के दौरान युवा डेयरी किसान बलिंदर ढुल ने बताया कि वो अपने फार्म में पशुओं की देखभाल से कभी समझौता नहीं करते हैं। पशुओं को चारा, दाना आदि खिलाने का पूरा ध्यान रखा जाता है। पशुओं के लिए हरा चारा वो अपने खेत में ही उगाते हैं साथ ही पशुओं के लिए दाना भी खुद तैयार करवाते हैं। बलिंदर के मुताबिक पशुओं के दाने में सरसों की खली, बिनौला, सोयाबीन, मक्का, गेहूं, मिनरल मिक्सर समेत तमाम चीजें मिलाते हैं। इस दाने को खाने से जहां गाय और भैंस सेहतमंद रहती हैं, वहीं दुग्ध का उत्पादन भी बढ़ जाता है। बलिंदर ने बताया कि वो पशुओं के स्वास्थ्य की देखभाल पर भी खासा ध्यान देते हैं। डेयरी फार्म में पशुओं को रखने के लिए काफी बड़े क्षेत्र में शेड बना हुआ है। उन्होंने बताया कि पशुओं को सिर्फ मिल्किंग और चारा खिलाने के लिए बांधा जाता है बाकी वक्त गाय और भैंस पूरे फार्म में खुले घूमते हैं। बलिंदर ने अपने फार्म पर 7.5 किलोवाट का सोलर प्लांट लगाया है। उनके फार्म पर 4 मिल्किंग मशीन (Milking Machine) हैं और 1200 लीटर का बल्कि मिल्क कूलर(BMC) भी लगा है।
31 वर्ष के प्रगतिशील डेयरी किसान बलिंदर ढुल ने बताया कि उनके फार्म में औसतन 600 लीटर दूध का रोजाना उत्पादन होता है। बलिंदर ने बताया कि वे गाय का दूध नेस्ले इंडिया कंपनी को 35 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से बेचते हैं, जबकि भैंस का दूध सीधे एक कंपनी को देते हैं, जो डेयरी प्रोडक्ट बनाकर बेचती है। 7.5 एसएनएफ वाले भैंस के दूध के उन्हें 60 रुपये प्रतिलीटर मिलते हैं। इनता ही नहीं बलिंदर ने ‘Village Proud’ नाम से अपना डेयरी ब्रांड भी रजिस्टर कराया है और इसी नाम से अपने फार्म का दही बनाकर मार्केट में बेचते हैं। बलिंदर ने डेयरी प्रोडक्ट बनाने के लिए एनडीआरआई करनाल से ट्रेनिंग भी ली है। बलिंदर के मुताबिक उन्हें सारा खर्च निकाल कर हर महीने दो से ढाई लाख रुपये की बचत होती है। डेयरी फार्मिंग के कार्य में बलिंदर के छोटे भाई जसविंद ढुल भी बराबर साथ देते हैं। फार्म पर कुछ लेबर को भी रखा गया है और दोनों भाई मिलकर फार्म का बेहतर तरीके से संचालन करते हैं। बलिंदर ढुल का कहना है कि वे जल्द ही कैथल में अपना स्वीट काउंटर खोलने वाले हैं, जहां वे अपने फार्म के दूध की मिठाइयां बनाकर बेचेंगे। बलिंदर के मुताबिक कोरोना महामारी के चलते पिछले महीनों में काफी नुकसान हुआ है लेकिन अब हालात धीरे-धीरे ठीक हो रहे हैं।
बलिंदर ढुल अपने फार्म में सिर्फ दूध का उत्पादन नहीं करते बल्कि गाय की नस्ल सुधारने के काम भी लगे हुए हैं। बलिंदर ने एचएफ गायों के लिए अमेरिका से सीमन मंगाया है और उनके मुताबिक इससे तैयार हुईं बछड़ियां आने वाले वक्त में रोजाना 35 से 40 लीटर तक दूध देंगी। बलिंदर के ब्रीडिंग के क्षेत्र में काम को देखते हुए अब आस-पास के गांव के लोग भी उससे सलाह लेने आते हैं।
सफल डेयरी किसान बलिंदर सिंह ढुल के मुताबिक आज बाजार में शुद्ध दूध की कमी है, लोग शुद्ध दूध की कुछ भी कीमत देने को तैयार है। बलिंदर इस क्षेत्र में आने वाले युवाओं को भी अपने अनुभव से पूरी जानकारी देते हैं। उनका कहना है कि बड़ी संख्या में हरियाणा, पंजाब और दूसरे राज्यों से लोग उनसे डेयरी फार्मिंग के बारे में जानकारी लेने आते हैं, और वे उन्हें डेयरी फार्मिंग की पूरी इकोनॉमिक्स समझाते हैं। बलिंदर के मुताबिक डेयरी फार्म शुरू करने वालों को शुरुआत में दूध सीधे ग्राहकों को बेचना चाहिए, इससे अच्छे रेट मिलते हैं। इसके साथ ही डेयरी फार्म की शुरुआत में शेड आदि बनाने पर अधिक खर्च नहीं करना चाहिए, बल्कि अच्छी नस्ल के पशुओं पर खर्च करना चाहिए। इसके साथ ही पशुओं के फीड का पूरा ध्यान रखना चाहिए और उनके लिए चौबीस घंटे पानी की सुविधा होनी चाहिए।
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Beffulo
Bahot acha sar aap ne aap ka bijnes badne ke liye