डेयरी टुडे नेटवर्क,
करनाल, 24 अगस्त 2021,
हरियाणा के करनाल स्थित राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (NDRI) देसी नस्ल की गायों की संख्या बढ़ाने व उन्हें अधिक दुधारू बनाने की दिशा में तेजी से रिसर्च कर रहा है। एनडीआरआई में देसी नस्ल की गीर गाय की क्लोनिंग पर काम शुरू हो चुका है और तकनीक विकसित की जा रही है। उम्मीद है कि आने वाले समय में संस्थान में गीर गाय के क्लोन पशु तैयार होंगे।
इसके साथ ही एनडीआरआई में साहिवाल नस्ल की गाय पर आईवीएफ (टेस्ट ट्यूब बेबी) तकनीक पर काम करते हुए भ्रूण तैयार किए जा रहे हैं। साहिवाल के नौ गायों के गर्भाशय में भ्रूण प्रत्यारोपित कर दिए हैं। गाय का गर्भ काल नौ महीने नौ दिन का होता है। भ्रूण प्रत्यारोपण के बाद गर्भकाल पूरा होने पर साहिवाल गायों में आईवीएफ तकनीक के परिणाम आने शुरू हो जाएंगे। आपको बता दें कि साहिवाल गाय का उद्गम स्थल पंजाब, हरियाणा, पाकिस्तान का पंजाब व सिंध क्षेत्र है। यह देसी गाय दुधारू पशुओं में सबसे ऊपर है।
एनडीआरआई के निदेशक डा. मनमोहन सिंह चौहान ने कहा कि कोरोना काल में भी संस्थान के क्लोनिंग की दिशा में कार्य जारी हैं। दूधारू साहिवाल गाय का अंडा लेकर टेस्ट ट्यूब भ्रूण तैयार कर रहे हैं। इस कार्य के लिए ऐसे सांड के वीर्य का चयन किया गया जिसकी मां का 305 दिन में 4000 लीटर दूध देने का रिकार्ड है।
दूसरी ओर गीर नस्ल भी दुधारू मानी जाती है। गिर गाय के शरीर की कोशिकाएं लेकर क्लोन भ्रूण तैयार किए जा रहे हैं। तीन गीर गायों में भ्रूण प्रत्यारोपण कर दिया है। जाहिर है कि वर्ष 2009 में संस्थान ने हस्तनिर्मित क्लोनिंग तकनीक से पहली मुर्राह भैंस नस्ल की कटड़ी पैदा कर दुनिया को अचंभित कर दिया था। अब तक संस्थान में 24 क्लोन कटड़े व कटड़ी तैयार हो चुके हैं।
राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान की ओर से राज्य के पशुपालन विभाग के पशु चिकित्सा विशेषज्ञों को भी आईवीएफ तकनीक की जानकारी दी जाएगी। इसके लिए विभाग को संदेश भेजा गया है। इसका उद्देश्य तकनीक को बढ़ावा देकर उन्नत नस्लों को बढ़ाना है।
(साभार- अमर उजाला)
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नमस्कार सर
मुझे पशु पालन का प्रशिक्षण लेना है