डेयरी टुडे नेटवर्क,
करनाल, 10 नवंबर 2021,
राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान करनाल (NDRI) ने हाई प्रोटीन आइसक्रीम तैयार की है। अनुसंधान वैज्ञानिकों के इस कार्य में सफलता हासिल करने में तीन वर्ष लगे हैं। इस आइसक्रीम की विशेषता यह है कि इसमें सामान्य आइसक्रीम से 150 प्रतिशत ज्यादा प्रोटीन है। सामान्य आइसक्रीम में प्रोटीन की मात्रा 4 प्रतिशत होती है। जबकि हाई प्रोटीन आइसक्रीम में प्रोटीन की मात्रा 10 प्रतिशत है। दूध में पाए जाने वाले प्रोटीन से निर्मित यह आइसक्रीम खिलाड़ियों के स्वास्थ्य, मजबूत एवं हष्ट-पुष्ट शरीर के लिए बहुत फायदेमंद रहेगी। आने वाले समय में संस्थान इस तकनीक का व्यवसायीकरण करेगा।
संस्थान के निदेशक डा. मनमोहन सिंह चौहान ने कहा कि स्वस्थ जीवन के लिए एक व्यस्क व्यक्ति को अपने वजन के प्रति किलो के हिसाब से एक ग्राम प्रोटीन रोजाना चाहिए। यदि आदमी का वजन 100 किलो है तो सौ ग्राम प्रोटीन उसकी खुराक में होना आवश्यक है। जबकि स्थिति यह है कि देश में वर्तमान में 18 वर्ष के आयु वर्ग में प्रोटीन की खपत 0.6 ग्राम प्रति किलोग्राम शारीरिक वजन है। इस उत्पाद को विकसित करने की प्रक्रिया में कोई असामान्य बदलाव नहीं किया गया है। इस तकनीक को छोटा, मध्यम व बड़ा डेरी व्यवसायी आसानी से अपना सकता है। इस उच्च प्रोटीन मात्रा वाली आइसक्रीम का उत्पादन शुल्क सामान्य आइसक्रीम से केवल तीन रुपये प्रति 100 मिलीलीटर अधिक आता है। देश में करीब 38 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जिनको खुराक में पूरी मात्रा में प्रोटीन नहीं मिलता। बच्चों को स्वस्थ बनाने में व्हे प्रोटीन के इस्तेमाल के दूरगामी परिणाम होंगे।
उन्होंने कहा कि आइसक्रीम को हर आयु वर्ग में पसंद किया जाता है। भारत में आइसक्रीम का व्यापार वर्ष 2020 में करीब 20 हजार 140 करोड़ रुपये रहा है। वर्ष 2026 तक 44 हजार 200 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। उपभोक्ताओं की उच्च मांग के मद्देनजर संस्थान ने उच्च प्रोटीन मात्रा वाली आइसक्रीम विकसित की है।
संस्थान के डेरी टेक्नालॉजी प्रभाग के वैज्ञानिक डा. अब्दुल हुसैन शेख, डा. वृतधामा प्रसाद, डा. योगेश खेतरा तथा शोधकर्ता छात्रा कुमारी सुचिस्मिता राय व कुमारी सोनम की टीम नई आइसक्रीम विकसित करने के अनुसंधान कार्य में जुटे। टीम ने व्हे प्रोटीन के मिश्रण से निर्मित आइसक्रीम के जायके व गुणवत्ता पर चुनौतियों को पार किया और सफलता प्राप्त की। डेरी प्रौद्योगिकी विभाग की प्रमुख डा. लता सबीखी व संयुक्त निदेशक अकादमिक डा. एके सिंह व डा. आरआरबी सिंह ने इस अनुसंधान कार्य की सतत निगरानी की।
वैज्ञानिक डा. अब्दुल हुसैन शेख ने बताया कि नई विकसित आइसक्रीम में 10 प्रतिशत फैट, 10 प्रतिशत प्रोटीन, 15 प्रतिशत चीनी, पानी, हवा व अन्य मिश्रण हैं। दूध से पनीर व छैना बनाते समय जो पानी बचता है उसे व्हे कहते हैं। कुछ उद्योग व्हे को फिल्टर करके व्हे प्रोटीन को अलग निकाल कर ड्राई करत हैं। उससे व्हे प्रोटीन पाउडर बनता है जिसे व्हे प्रोटीन आइसोलेट कहा जाता है। इस पाउडर का मिश्रण आइसक्रीम में वैज्ञानिक विधि से किया गया है।
(साभार-अमर उजाला)
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