जयपुर, 23 जुलाई 2017,
ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने की चाहत के चलते जयपुर डेयरी में चल रहे छाछ-दूध सप्लाई के टेंडर 4 माह बाद भी पूरे नहीं हो पा रहे हैं। अधिकारी कुछ ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए मनमर्जी कर रहे हैं। चहेती फर्म को टेंडर नहीं मिलने पर बार-बार टेंडर कर रहे हैं तो किसी को बिना कारण बताए टेंडर प्रक्रिया से बाहर कर रहे हैं। टेंडर जहां 4 माह पहले होने थे, वे 6 माह बाद भी पूरे नहीं हो पा रहे हैं। ऐसे में अधिकारी पुराने टेंडर की अवधि लगातार बढ़ा कर ठेकेदारों को फायदा पहुंचा रहे हैं।
डेयरी ने 4 माह पहले शहर के 57 जोन में छाछ-दूध सप्लाई के टेंडर निकाले थे। टेक्निकल बिड में दस्तावेज की जांच के बाद फाइनेंशियल बिड खोल कर वर्क ऑर्डर जारी करने थे, लेकिन अधिकारियों ने टेंडर लटकाए रखे। कम रेट देने वाले ठेकेदारों को वर्क ऑर्डर जारी नहीं किए, बल्कि चहेती फर्मों को फायदा पहुंचाने के लिए री टेंडर की योजना बनाते रहे।
कोर्ट पहुंचा मामला
अफसरों की देरी से मामला अब कोर्ट में पहुंच गया है। कोर्ट ने गुरुवार को डेयरी अधिकारियों िजन्होंने ठेकेदारों को बिना कारण बताए टेंडर प्रक्रिया से बाहर किया, उनकी वित्तीय निविदा खोल कर कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए। ताकि कोर्ट निर्णय ले सके। प्रक्रिया 2 अगस्त तक कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करनी है। वहीं फर्जी बैलेंस शीट के मामले में कोर्ट ने डेयरी को बैलेंस शीट की जांच के क्षेत्राधिकार से बाहर बताया है।
वहीं जयपुर डेयरी के एमडी एस सी गुप्ता का कहना है कि कुछ टेंडरों में फर्जी बैलेंस शीट लगाने का मामला सामने आया है, लेकिन बैलेंस शीट पर सीए की मोहर लगी है। ऐसे में इन ठेकेदारों से शपथ-पत्र लिया जा रहा है। जहां तक देरी की बात है तो कई टेंडर वापस किए गए हैं। इस वजह से समय लग रहा है।
साभार-दैनिक भास्कर
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