जयपुर,26 जुलाई 2017,
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अन्तर्गत गिर गाय के संरक्षण विकास को लेकर प्रदर्शन इकाई के डेयरी फार्म का शुभारंभ मंगलवार को कृषि विश्वविद्यालय जोबनेर के कुलपति डॉ. प्रवीण सिंह राठौड़ ने किया। डॉ. राठौड़ ने गौ पूजन, नंदेश्वर दर्शन आरती के साथ इकाई का शुभारंभ करते हुए कहा स्वदेशी दुधारू गिर गाय के पालने से पशुपालकों को उत्तम गुणवत्ता तथा 4.5 से 5.0 प्रतिशत वसा युक्त दूध प्राप्त होगा। गाय की विशेषताओं की जानकारी देते हुए पशुपालकों को नस्ल सुधार के लिए तथा गिर गाय पालन को बढ़ावा देने के लिए पशुपालकों को केन्द्र पर सुविधा उपलब्ध होने की जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि अर्ध शुष्क जलवायु में कम लागत पर अधिक उत्पादन के लिए पशुपालकों को पौष्टिकता वाला दूध प्राप्त करने के लिए गिर नस्ल की गाय को पालना चाहिए। कम लागत में अधिक दूध मिलने से पशुपालकों को आर्थिक फायदा भी होगा। कृषि महाविद्यालय अधिष्ठाता डॉ. आर.सी. कुमावत ने इस नस्ल की गाय की उपयोगिता के साथ क्षेत्र के किसानों को सांड प्राप्त कर नस्ल सुधार के लिए प्रोत्साहित किया तथा पशुपालकों को शुद्ध देशी नस्ल की गाय पालन के लिए गिर नस्ल की ओर ध्यान देना चाहिए तथा दूध उत्पादन का लाभ लेकर आर्थिक लाभ भी प्राप्त करना चाहिए। योजना के प्रमुख अन्वेषक विभागाध्यक्ष डॉ. रामप्रसाद जाट ने देशी नस्ल की गिर गाय की विशेषता बताते हुए कहा उभरा हुआ सिर, अर्धचन्द्राकार सींग तथा लम्बे घुमावदार कान, पूर्ण विकसित थन इसकी विशेषता है। साथ ही इस गाय में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी होने की जानकारी दी।
इस मौके पर योजना का उद्देश्य बताते हुए कहा कि देशी दुधारू गिर गाय का संरक्षण, संवर्धन विकास के साथ वैज्ञानिक पद्धतियों द्वारा आवास, आहार स्वास्थ्य प्रबंधन से दूध उत्पादन वृद्धि कर उन्नत नस्ल को बढ़ावा देना है। इन गायों के औसतन दूध उत्पादन 8 से 14 लीटर प्रतिदिन प्राप्त किया जा सकता है। योजना के तहत डेयरी में 11 गिर गायें उनके बछड़े तथा दो सांडों को लाया गया है। इस मौके पर प्रो. बी.एल. ककरालिया, कल्पना चौधरी, ओम सोनी, प्रो. अतहरूद्दीन कुरैशी, डॉ. महेश दत्त शर्मा, युद्धवीरसिंह, एस.पी. मिश्रा, मालीराम सैनी, सीताराम जांगिड़ राजू कुमावत सहित अन्य लोगों ने प्रदर्शनी का अवलोकन किया।
साभार-दैनिक भास्कर
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गिर गाय डेयरी फामँ लगाना है
मुझे गिर गाय का डेरी प्लांट लगाना है