जानिए एक ऐसी तकनीकि, जिससे बढ़ सकता है दूध का उत्पादन

FacebookFacebookTwitterTwitterWhatsAppWhatsAppGoogle+Google+ShareShare

डेयरी टुडे नेटवर्क,
नई दिल्ली, 3 मई 2018,

कुछ समय पहले भारत में दूध के उत्पादन से जुड़ी एक खबर खबर सुर्खियों में रही. इंडियास्पेंड की इस खबर में कहा गया था कि अगर भारत अपने 29.9 करोड़ दुधारू पशुओं के लिए चारा उपलब्ध नहीं करा पाता तो अगले चार सालों में उसे दूध का आयात करना होगा. इसके मुताबिक ज़मीन पर बढ़ते दबाव के कारण देशभर में चारागाह कम हो रहे हैं.

यह तो है आम चारे की स्थिति जो सिर्फ इन जानवरों का पेट भरने के लिए चाहिए. इससे आगे जाकर अगर इन पशुओं की उत्पादकता बनाए रखने के लिए ज़रूरी पोषक तत्वों यानी माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की बात की जाए तो पता चलता है कि ज़्यादातर छोटी खेती वाले किसानों के लिए यह कभी प्राथमिकता नहीं बन पाता. एग्रीकल्चर इकनॉमिक रिसर्च रिव्यू जर्नल में प्रकाशित एक शोध पत्र के मुताबिक भारत में दुधारू पशुओं की संख्या विश्व में सबसे ज़्यादा है. लेकिन भारत की कुल कृषि भूमि का मात्र पांच प्रतिशत हिस्सा जानवरों के लिए चारा उगाने में इस्तेमाल होता है. जानवरों के पोषण के लिए इतना चारा नाकाफी होने के कारण उनके पोषण की समस्या हमेशा बनी रहती है.

दूसरी तरफ, खाद्यान्न और सब्जियों की बर्बादी को लेकर भारत काफी बदनाम है. सीएसआर जर्नल की एक रिपोर्ट की मानें तो भारतीय उतना खाना बर्बाद करते हैं जितना ब्रिटेन इस्तेमाल करता है. रिपोर्ट कहती है कि भारत में उगाए जाने वाले कुल खाने का 40 फीसदी हिस्सा बर्बाद हो जाता है. अनाज, फल, सब्ज़ियों और पके हुए खाने की इस बर्बादी का कारण जानकारों के मुताबिक लॉजिस्टिक्स, स्टोरेज और आदत की समस्या है.सवाल उठता है कि जब तक इस समस्या को दूर करने का उपाय नहीं कर लिया जाता तब तक क्या बर्बाद हो रहे इस खाने का कोई इस्तेमाल किया जा सकता है. जवाब है हां.  न्यूज पोर्टल सत्याग्रह में छपी खबर के अनुसार   जोधपुर के निखिल बोहरा ने इस मामले में एक नई राह दिखाने वाला काम किया है. वे इस ‘एग्रीकल्चरल और अरबन वेस्ट’ का इस्तेमाल पशुओं को पोषण देने के लिए कर रहे हैं. उनके इस क्रांतिकारी विचार को काफी सराहा भी जा रहा है.

वेल्लूर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से बायोटेक्नोलोजी में इंजीनियरिंग कर के निकले निखिल बोहरा ने तय किया कि वे अपनी शिक्षा का ज़मीनी स्तर पर इस्तेमाल करेंगे. निखिल बताते हैं, ‘मेरा फाइनल ईयर प्रोजेक्ट न्यूट्रीशन पर था. वहां मैंने न्यूट्रीशन के लिए फंगल और बैक्टीरियल प्रोटीन के इस्तेमाल पर काम किया. उन्हीं दिनों से मैं सोचने लगा था कि इन सब तकनीकों को लैब से निकाल कर ज़मीन पर ले जाए जाने की ज़रूरत है.’

राजस्थान के जोधपुर जिले से आने वाले निखिल ने देखा था कि उनके इलाके में पशुओं के पोषण की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है और खासकर गर्मियों में समस्या और बढ़ जाती है जब पशुओं के पास सूखे चारे के अलावा खाने के लिए कुछ और नहीं होता. वे कहते हैं, ‘भारत दुनिया का सबसे बड़ा मिल्क प्रड्यूसर है. लेकिन इसलिए नहीं कि हमारे जानवर पहुत अच्छे और तंदरुस्त हैं. बल्कि इसलिए क्योंकि दुनिया में सबसे ज़्यादा पशु हमारे देश में हैं. एक तो इनकी नस्ल बहुत उन्नत नहीं है और दूसरे इन्हें कभी पूरा न्यूट्रीशन नहीं मिलता कि इनकी उत्पादकता का पूरा इस्तेमाल किया जा सके.’

निखिल आगे जोड़ते हैं, ‘एक तो यूं ही किसान को अपनी खेती से प्रॉफिट नहीं मिल रहा है. फिर वो ज़मीन का एक हिस्सा पशुओं के चारे के लिए दे. और वो चारा भी उनके न्यूट्रीशन के लिए काफी नहीं है. बाज़ार में उपलब्ध पशु आहार इतना महंगा है कि छोटे किसान उसे नहीं खरीद सकते. ऐसे में मैंने ये समझना शुरू किया कि किसानों को सस्ता और पोषक पशु आहार कैसे उपलब्ध कराया जा सकता है.’

कॉलेज से निकल कर कुछ साल नॉन प्रॉफिट ऑर्गनाइज़ेशंस के साथ ज़मीन पर काम करने के बाद साल 2015 में निखिल ने क्रिमांशी टेक्नॉलजीज़ के नाम से एक कंपनी खोली. वे थोड़े संकोच के साथ बताते हैं कि इस अलग से नाम में उनके पिता, मां और बहन तीनों का नाम शामिल है. शुरुआत में उन्होंने सिर्फ रिसर्च की. फिर 2016 से उन्होंने पशु आहार का उत्पादन शुरू किया. इस प्रोजेक्ट को उन्होंने कैटल-मैटल नाम दिया.

निखिल बताते हैं, ‘पहले प्रयोग के तौर पर हमने कीमत में कमी लाने के लिए पशु आहार में इस्तेमाल होने वाली मक्का की मात्रा में कमी लाते हुए उसकी जगह विलायती बबूल की फलियों का इस्तेमाल किया. नतीजे काफी अच्छे रहे. गर्मियों में जब दूध की मात्रा काफी कम हो जाती है, उन दिनों हमने देखा कि दूध की मात्रा 20 फीसदी तक बढ़ी और फैट कंटेंट में भी सुधार आया.’लेकिन अगली समस्या थी कारोबारी मॉडल बनाने की. निखिल कहते हैं, ‘हमें तकनीकी काम आता था लेकिन बिज़नेस हमारे लिए नई चीज़ थी. प्रोडक्ट अगर लोगों तक पहुंचेगा ही नहीं तो फिर उसे बनाने का क्या फायदा? फिर 2017 में जयपुर में भारत सरकार और यूनाइटेड किंगडम के डिपार्टमेंट ऑफ इंटरनेशनल डिवेलपमेंट के इन्वेंट प्रोग्राम में हमारे स्टार्टअप को स्टार्टअप ओएसिस ने इन्क्यूबेट (शुरुआती पूंजी देना) करने का ऑफर दिया. तभी हमें अपनी पहली फंडिंग भी मिली. उसके बाद से हम बस और आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं.’

इन दिनों निखिल मंडी और अन्य इसी तरह के ‘अरबन और एग्रीकल्चरल वेस्ट’ को पशु आहार बनाने में इस्तेमाल कर रहे हैं. साथ ही वे रिसर्च भी कर रहे हैं कि राज्य या स्थान विशेष में किन-किन जंगली वनस्पतियों और बेकार सामान को पशु आहार के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. उनके इस काम के लिए उन्हें यूनाइटेड नेशंस इंडस्ट्रियल डिवेलपमेंट ऑर्गनाइज़ेशन के एक्सपो मिलानो 2015 में इंटरनेशनल एग्रीबिज़नेस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. 2016 में वे कॉमनवेल्थ यूथ अवॉर्ड के फाइनलिस्ट रहे और 2018 में उन्हें फोर्ब्स पत्रिका की ‘30 अंडर 30’ नामक सूची में भी शामिल किया गया है.

आगे के रास्ते की बात करने पर निखिल कहते हैं, ‘अभी पिछले महीने राजस्थान आइटी डे पर हुए ग्रीनाथन में हमारे प्रोजेक्ट को दस लाख रुपए का सेकेंड प्राइज़ मिला. हमारे लिए वेस्ट से न्यूट्रीशन के इस प्रोजेक्ट को सरकार से थोड़ी भी मदद मिलना एक पॉज़िटिव साइन है. हम आगे भी सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहेंगे. इसके अलावा हमारे जैसे उद्देश्य वाली अन्य कंपनियों और ऑन्टरप्रिन्योर्स के लिए भी हमारे दरवाज़े खुले हुए हैं.’ वे आगे जोड़ते हैं, ‘अभी तो हमने पंख खोले हैं. आसमान सामने है, और उड़ान अभी बाकी है.’

(साभार-सत्याग्रह पोर्टल में छपी प्रदीपिका सारस्वत की रिपोर्ट)

Editor

Recent Posts

डेयरी स्टार्टअप Doodhvale फार्म्स ने निवेशकों से जुटाए 25 करोड़ रुपये, कारोबार बढ़ाने में होगा इस्तेमाल

डेयरी टुडे नेटवर्क, नई दिल्ली, 22 नवंबर 2024, डेयरी स्टार्टअप दूधवाले फार्म्स ने कारोबार बढ़ाने…

4 weeks ago

दिल्ली-एनसीआर में लॉन्च हुआ Nandini Milk, मदर डेयरी और अमूल को मिलेगी टक्कर

नवीन अग्रवाल, डेयरी टुडे नेटवर्क, नई दिल्ली, 21 नवंबर 2024, दिल्ली-एनसीआर के बाजार में कर्नाटक…

1 month ago

दिल्ली में AMUL और Mother Dairy के सामने चुनौती खड़ी करेगी कर्नाटक की नंदिनी डेयरी

नवीन अग्रवाल, डेयरी टुडे नेटवर्क, नई दिल्ली, 20 नवंबर 2024, कर्नाटक का नंदिनी मिल्क ब्रांड…

1 month ago

पंजाब सरकार डेयरी फार्मिंग को बढ़ावा देने के लिए जल्द लेकर आएगी नई परियोजना

डेयरी टुडे नेटवर्क, चंडीगढ़, 19 नवंबर 2024 पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान राज्य में डेयरी…

1 month ago