डेयरी टुडे नेटवर्क,
शिमला, 30 मई 2020,
भारत में आवारा और लावारिस पशुओं की समस्या बहुत बड़ी है। शहरों, कस्बों, गांवों में बड़ी संख्या में लावारिस पशु यहां-वहां घूमते हुए दिख जाएंगे। इन लावारिस पशुओं में गायों की संख्या भी बड़ी तादात में होती है। दरअसल पशु के मालिक दूध का चक्र खत्म होने के बाद गायों को यूं ही लावारिस छोड़ देते हैं। इन लावारिस पशुओं को जब खुला छोड़ दिया जाता है तो उनको न तो छत मिल पाती है और न ही चारा। लेकिन हिमाचल प्रदेश की सरकार ने ऐसे पशु मालिकों पर नकेल कसने के लिए विशेष पहल शुरू की है। राज्य सरकार ने प्रदेश में 22 लाख गायों और भैंसों की ईनैप टैगिंग करने का निर्णय लिया है। पशुओं की महज टैगिंग ही नहीं होगी बल्कि इन पशुओं को मालिक के आधार से लिंक भी किया जाएगा। यह इसलिए किया जाएगा ताकि पशुओं को लावारिस छोड़ने वालों को दबोचा जा सके।
दरअसल पशुओं की टैगिंग करने की केंद्र सरकार की योजना चल रही है। इस योजना को हिमाचल प्रदेश में शीघ्र लागू करके पशुओं खासकर गायों-भैंसों की टैगिंग की जाएगी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पहले चरण में 22 लाख गायों और भैंसों को कवर किया जाएगा। इनके मालिकों का पूरा लेखा-जोखा पशुपालन विभाग रखेगा। अतिरिक्त मुख्य सचिव पशुपालन विभाग संजय गुप्ता के मुताबिक प्रदेश में साढ़े 14 हजार लावारिस पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था की जाएगी। इसके लिए प्रदेश मंत्रिमंडल ने प्रति पशु 500 रुपये प्रति माह देने का फैसला लिया है। गोसदनों में रहने वाले पशुओं के चारे को वित्तीय मदद नहीं मिलती थी। पहली बार प्रति पशु प्रतिमाह 500 रुपये मिल पाएंगे।
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