डेयरी टुडे नेटवर्क,
अलवर, 23 अक्टूबर 2017,
पशुपालकों और किसानों के वेलफेयर पर खर्च होने वाली रकम को मंत्रियों और विधायकों की खातिरदारी में खर्च करने के मामले में अलवर डेयरी चेयरमैन बन्नाराम मीणा की मुश्किल बढ़ती जा रही है। सहकारी समितियों भरतपुर के अतिरिक्त रजिस्ट्रार और उप रजिस्ट्रार सहकारी समितियां अलवर की संयुक्त जांच में दोषी पाए जाने के बाद रजिस्ट्रार अभय कुमार भी चेयरमैन बन्नाराम मीणा के लिखित जवाब को असंतुष्ट हैं। इस संबंध में अलवर डेयरी के चेयरमैन को 30 अगस्त को नोटिस जारी किया गया था जिसका जवाब उन्होंने 14 सितंबर को पेश किया था। बताया जा रहा है कि रजिस्ट्रार अभय कुमार जवाब में दी गई दलीलों से सहमत नहीं हैं। उन्हें अब व्यक्तिगत सुनवाई के लिए 23 अक्टूबर यानी सोमवार को शाम 4 बजे ऑफिस में पेश होने के लिए पत्र लिखा है। सुनवाई के बाद चेयरमैन के पद को लेकर रजिस्ट्रार की ओर से अंतिम निर्णय सुनाया जाएगा। मीणा राजस्थान सहकारिता सोसायटी अधिनियम 2001 की धारा 30 में दोषी पाए गए हैं।
आपको बता दें कि अलवर डेयरी में हो रहे भ्रष्टाचार और घोटाले का मामला विधानसभा में उठा था। डेयरी मंत्री ने सहकारिता रजिस्ट्रार को जांच के आदेश दिए थे। जांच में चेयरमैन और तत्कालीन एमडी अशोक गुप्ता को राजस्थान सहकारी सोसायटी अधिनियम 2001 की 55 के तहत धारा 30 एवं 57 में दोषी पाया गया है। रिपोर्ट में 15 दिसंबर 2016 को डेयरी परिषद में बने मंत्रियों के स्वागत में 4 लाख 42 हजार रुपए गलत तरीके से खर्च किए गए। कम दर वालों को टेंडर ना देकर ऊंची दर वालों को टेंडर दिए गए। इससे डेयरी को करीब 11 लाख 33 हजार का नुकसान हुआ है। दो साल में करीब 108 बार अधिकारी-कर्मचारियों के तबादले किए। उन्हें कुछ दिन बाद वापस लगा दिया गया। निलंबन और बहाली भी नियमानुसार नहीं किया गया। पुरानी समितियां बंद कर 363 नए संकलन केन्द्र खोल दिए गए, जो लक्ष्य से काफी ज्यादा है। पुरानी समितियों से बकाया राशि भी नहीं वसूली गई। रुडलमल भौंरेलाल और इशांत एंटरप्राइजेज के लाइसेंस 3 फरवरी को निरस्त किए, 4 फरवरी को बहाल कर दिए, जबकि डीलरशिप निरस्त करने का अधिकार आरसीडीएफ को हैं। मिलावट के आरोप में 6 अप्रैल 2016 को 27 समितियां बंद की गई। इसमें से 13 समितियों को फिर से शुरू कर दिया गया। बहाल भी नियमों के तहत नहीं किया गया। समितियों में को बंद करने और खोलने में रुपए का लेनदेन हुआ है।
राजस्थान सहकारी सोसायटी अधिनियम 2001 की तहत धारा 55 में जांच कराई जाती है। इसमें धारा 30 में चेयरमैन दोषी पाया जाता है तो उसे पद से हटाने की कार्रवाई होती है। वहीं धारा 57 में डेयरी के फंड का दुरुपयोग अनियमितता करने पर वसूली की जाती है।
(साभार-दैनिक भास्कर)
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