डेयरी टुडे नेटवर्क,
नई दिल्ली, 27 फरवरी 2018,
भारतीय बाजार में दूध और डेयरी प्रोड्क्ट्स को लांच करने के अमेरिका के प्रयासों को झटला लगा है। भारत ने फिलहाल अपने यहां अमेरिका के डेयरी उत्पाद बेचने की अनुमति देने से मना कर दिया है। इसकी वजह जानकर आप हैरान रह जाएंगे। दरअसल अमेरिका में गायों को चारे में नान वेज खिलाया जाता है। इसी को लेकर भारत ने अमेरिका को डेयरी प्रोडक्ट लांच करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। भारत ने शर्त रखी है कि पहले उसे अपने यहां की गाय-भैंसों को शाकाहारी बनाना होगा। भारत सरकार ने साफ किया है कि नॉन वेज चारा खाने वाले जानवरों के मिल्क प्रोडक्ट्स स्वीकार नहीं किए जाएंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनकी सरकार इसे गैर जरूरी अड़ंगा मान रहा है। आपको बता दे कि अमेरिका ने हाल ही में आई ‘फॉरेन ट्रेड बैरियर रिपोर्ट-2017’ में इसका उल्लेख किया है।
‘फॉरेन ट्रेड बैरियर रिपोर्ट-2017’ के मुताबिक भारत ने डेयरी प्रोडक्ट्स के इंपोर्ट पर काफी कड़ी शर्तें थोपी हैं। वह इस बात पर जोर दे रहा है कि डेयरी प्रोडक्ट्स ऐसे जानवरों के दूध से तैयार किए जाएं जिन्होंने कभी मांस न खाया हो। अमेरिका का कहना कि भारत इसे अपने धर्म और संस्कृति से जोड़कर देख रहा है जबकि इसे ग्राहकों के ऊपर छोड़ देना चाहिए।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ‘फॉरेन ट्रेड बैरियर रिपोर्ट-2017’ में कहा गया है कि, भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक चिंताओं को देखते हुए अमेरिका ने 2015 में प्रोडक्ट्स पर लेबलिंग का सुझाव दिया था और प्रोडक्ट लेने या न लेने का फैसला कंज्यूमर पर छोड़ा जाए। मगर भारत अब तक इस सुझाव को खारिज करता आया है। हालांकि पिछले साल वह इस मामले पर आगे बातचीत जारी रखने के लिए राजी हुआ है।
फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया के कार्यकारी अधिकारी पवन कुमार अग्रवाल ने कहा कि अमेरिका अब यह सुनिश्चित करने को तैयार है कि वहां तैयार डेयरी प्रोडक्ट मांसाहारी दुधारू मवेशी से नहीं बना है। हालांकि यह कैसे सुनिश्चित होगा कि अमेरिका से जो मिल्क प्रोडक्ट भारत भेजा जा रहा है वह मांसाहारी मवेशी का नहीं है।
सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च ऑन गोट्स के वरिष्ठ वैज्ञानिक सुरवीर सिंह ने बताया कि अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में दुधारू मवेशी को नॉनवेज दिया जाता है। पशु-पक्षियों के मांस के बचे हुए और बेकार जाने वाले अंश जैसे आंतें, खून वगैरह प्रोटीन के रूप में चारे में मिला देते हैं। इससे मवेशी में दूध की मात्रा बढ़ जाती है।
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