अमेरिकी टेक्नोलॉजी ‘सेक्स सॉर्टेड सीमेन’ से बढ़ेगी गायों की संख्या, देश में खुलेंगी 13 लैब

डेयरी टुडे नेटवर्क,
नई दिल्ली, 5 सितंबर 2019,

केंद्र सरकार देश में गायों की नस्ल सुधारने और दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए हर संभव कोशिश में लगी है। केंद्रीय डेयरी, पशुपालन और मत्स्य मंत्रालय (Dairy Ministry) ने भारत के पशुधन में दुधारू गायों की संख्या बढ़ाने के लिए अमेरिकी तकनीक अपनाने का निर्णय लिया है। इसके तहत देश में गायों के जन्म को बढ़ावा दिया जाएगा और बछड़ों की बढ़ती संख्या को भी नियंत्रित किया जाएगा। इस अमेरिकी तकनीक को सेक्स सॉर्टेड सीमेन ने नाम से जाना जाता है। News18Hindi की खबर के मुताबिक केंद्र सरकार राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत देशभर में इसके लिए 13 अत्याधुनिक लैब बना रहा है। इनमें सालाना करीब 40 लाख सीमेन तैयार किए जाएंगे।

सेक्स सॉर्टेड सीमेन बछिया के जन्म की गारंटी

सेक्स सॉर्टेड सीमेन (Sex sorted semen) तकनीक में एक्स और वाई क्रोमोसोम का अनुपात संतुलित कर नर और मादा की जन्म दर को नियंत्रित किया जाता है। सीमेन में एक्स और वाई दोनों ही तरह से क्रोमोसोम होते हैं। इसमें बिना सॉर्टेड कर के सीमेन ट्रांसप्लांट करने के हालत में बछड़ों के जन्म दर को नियंत्रित नहीं किया जा सकता था। लेकिन अमेरिका, कनाडा जैसे विकसित देशों में ईजाद की गई इस नई तकनीकि से दोनों एक्स-वाई क्रोमोसोम को अलग कर दिया जाता है। गर्भाधान करने के लिए लैब में विकसित विशेष सीमेन एक्स-एक्स क्रोमोसोम वाले सीमेन के साथ गर्भाधान कराया जाता है। इससे बछड़ा पैदा होने की संभावना खत्म हो जाती है।

देसी नस्ल की गायों की संख्या बढ़ाने की कवायद

उत्तराखंड के ऋषिकेश और पुणे में इस तरह की लैब पहले ही शुरू हो चुकी है। इन विशेष लैबों में उत्तरी अमेरिका के देशों में पाई जाने वाली होलिस्टियन फ्रीशियन और जर्सी नस्ल की गायों की संख्या बढ़ाने के लिए सीमेन डेवलप किया जा रहा है। डेयरी मिनिस्ट्री के अधिकारियों के मुताबिक अब इसका इस्तेमाल साहिवाल, हरियाणा, रेड सिंधी, राठी और गिर जैसी देसी नस्ल की गायों की संख्या बढ़ाने में होगा।

ऋषिकेश और पुणे में तैयार हो चुकी हैं विशेष लैब

मौजूदा समय में देश का पहला सेक्स सॉर्टेड सीमेन सेंटर उत्तराखंड के ऋषिकेश के श्यामपुर और महाराष्ट्र के पुणे जिले के उरूली कंचन में खोला गया है। इसके साथ ही देशभर के अलग-अलग राज्यों में कुल 13 सेंटर खोलने का काम हो रहा है। जिसमें उत्तर प्रदेश के हापुड़ के बाबूगढ़, पंजाब के नाभा, हरियाणा के हिसार, गुजरात के पाटन, तेलंगना के करीमनगर, तमिलनाडु के ऊटी में मध्यप्रदेश के भापोल में और महाराष्ट्र के औरंगाबाद के साथ ही हिमांचल प्रदेश के पालमपुर में सेंटर तैयार किए जा रहे हैं।

हर वर्ष 40 लाख सीमेन डोज तैयार की जाएंगी

इनको लैब को खोलने में केंद्र सरकार के पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की तरफ से कुल लागत का 60 फीसदी हिस्सा राज्यों को मदद के तौर पर दिया जा रहा है। इस तरह के एक केंद्र खोलने में करीब 50 करोड़ का खर्च आता है। वहीं राज्य सरकारों के तरफ से बाकी का 40 फीसदी हिस्सा देना होगा। सेक्स सॉर्टेड सिमेन की कीमत किसानों को करीब 650 रुपये प्रति यूनिट देना होगा। शुरुआती दौर में इन सेंटरों से हर साल 3 लाख प्रति यूनिट सीमेन तैयार किया जाएगा। यानि सभी केंद्रों को मिलाकर सालाना 39 से 40 लाख यूनिट सीमेन पैदा किया जाएगा। मंत्रालय का लक्ष्य है कि आईवीएफ तकनीकि से होने वाले गर्भाधान का कम से कम 5 फीसदी इस तकनीकि से हो। इससे पशुधन के लिंगानुपात को नियंत्रित कर गायों की संख्या बढ़ाने में मदद मिलेगी।

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  • Did you have information about Level sorting being fallowed.
    .2.sex sorted semen claims 20% conception rate. Who is accountable for loss of four To Five reproductive cycles. Who will compensate loss of milk of 84-105 days and cost about 20000.
    During sorting process sperm under goes mutation and may deform the next progeny.
    5.In India is have 13 Cr cattle population and and 5 dose per conception means 65 CT doses are required as against government is producing Only40 lag doses. How does Government is providing sex sorted semen To all. If not it is influence malpractice in society and production of male calves will continue, again Male calf issue remains unsolved.

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