डेयरी टुडे नेटवर्क
अमृतसर, 23, सितंबर 2017,
अमृतसर शहर की सबसे बड़ी खोये की मंडी लोहगढ़ हमेशा ही विवादों में रही है। हर बार की तरह इस बार भी जब सेहत विभाग की टीम ने शुक्रवार सुबह खोया मार्केट में रेड की तो वहां व्यापारी अड्डे छोड़ कर भाग खड़े हुए। हालांकि इस दौरान टीम ने दो व्यापरियों गुलजारी लाल और शविंदर सिंह को पकड़ भी लिया और दोनों के खोये के सेंपल ले लिए। वहीं जिला सेहत अधिकारी डॉ. लखबीर सिंह ने कहा कि दुकानें छोड़ कर भागे दुकानदारों का खोया उन्होंने जब्त कर डिस्ट्रॉय करवा दिया है। उन्होंने बताया कि उनका भागना साफ दर्शाता है कि खोये में मिलावट थी। हालांकि यहां सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि खोये के सैंपल दशहरे से पहले भरे गए हैं और इनकी रिपोर्ट दीपावली के बाद आएगी, क्योंकि जांच चंडीगढ़ स्थित राज्य की एकमात्र लैब में होगी। तब तक तो शहर के लोग मिलावटी मिठाइयां खा चुके होंगे।
5 गुना मांग बढ़ती है, पर दूध उत्पादन उतना ही
त्योहारों के सीजन में खोये (मावा) की मांग पांच गुना तक बढ़ जाती है। इस बढ़ी हुई मांग से ही मिलावट का खेल शुरू हो जाता है। इसके अलावा दुकानदारों का ज्यादा पैसा कमाने का लालच हमारी सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहा है। जिन्हें हम खोये की बनी मिठाई समझकर खा रहे हैं, असल में वे शकरकंदी, सिंघाड़े के आटे, आलू और मैदे का मिश्रण है। इनमें केमिकल वनस्पति घी भी मिलाया जाता है। नकली खोये में स्टार्च, आयोडीन और आलू इसलिए मिलाया जाता है ताकि वजन बढ़े और मुनाफा दोगुना हो जाए। शहर में दूध के उत्पादन की बात करें तो यह 20 हजार मिलियन लीटर प्रति वर्ष से ज्यादा है।
अकेले वेरका प्लांट में दूध की कैपेसिटी ही 50 हजार लीटर प्रति दिन है। फेस्टिवल सीजन में मांग काफी अधिक बढ़ जाती है, लेकिन प्रोडक्शन को बढ़ा पाना नामुमकिन है। इन दिनों बाजारों में आने वाला खोया खुद में ही सवाल खड़े कर रहा है। पिछले सालों की बात करें तो सेहत विभाग ने 20 क्विंटल के करीब खोया ऐसा पकड़ा था, जिसपर किसी ने मालिकाना हक ही नहीं जताया। पिछले साल सुल्तानविंड रोड पर पकड़ी गई नकली खोये की फैक्टरी ने सच सभी के सामने ला दिया था।
पूरे पंजाब में सैंपल टेस्टिंग के लिए सिर्फ एक लैब
पूरे पंजाब में फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट के अंतर्गत खाद्य सामग्रियों की जांच के लिए मात्र एक ही कैमिकल टेस्टिंग लैब है, जो चंडीगढ़ में है। पूरे पंजाब से गए सैंपलों का लोड वहां इतना अधिक होता है कि मिठाइयों के सैंपलों की रिपोर्ट हमें तब मिलती है, जब उस लॉट की मिठाई पूरा अमृतसर खा चुका होता है। दो माह पहले शहर की प्रतिष्ठित मिठाई की दुकानों से सेंपल लिए गए थे, जिनकी रिपोर्ट आज तक पेंडिंग है।
नकली खोये के खिलाफ बड़े स्तर पर कार्रवाई शुरू करेंगे-जिला स्वास्थ्य अधिकारी
जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. लखबीर सिंह ने कहा कि सरकारकी हिदायतों के अनुसार सेहत विभाग सेंपलिंग कर रहा है। अभी कैमिकल से पकाए फ्रूट और सिंथेटिक दूध के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। जल्द ही नकली खोये के खिलाफ भी बड़े स्तर पर कार्रवाई शुरू की जाएगी। पिछले दिनों लिए गए सैंपलों की रिपोर्ट भी जल्द आएगी। पूरे पंजाब में एक लैब है, जहां यह टेस्ट होते हैं।
नकली खोये को ऐसे पहचानें
– असली खोया पानी में डाला जाए तो वह आसानी से घुल जाता है और मिलावट होगी तो वह पानी में पूरी तरह से नहीं घुलेगा।
– असली खोये से कच्चे दूध का स्वाद आएगा, लेकिन नकली में ऐसा नहीं होगा।
– थोड़ा सा खोया खाकर देखें, दाने मुंह में आएं तो वे नकली हो सकता है।
– असली खोया मुंह में चिपकता नहीं, जबकि नकली चिपकेगा।
– थोड़ा सा मावा हाथ पर रगड़ें। अगर असली है देसी घी जैसी खुशबू आएगी, लेकिन नकली में ऐसा नहीं होगा।
– खोया में थोड़ी चीनी मिलाएं और गर्म करें। अगर खोया पानी छोड़ने लगे तो वे नकली है।
अमृतसर में खोये की सबसे बड़ी मंडी लोहगढ़ में लगती है और यहां आया खोया मात्र दो घंटे में ही बिक जाता है। हर साल सेहत विभाग यहां रेड करता है, लेकिन यहां खड़े विक्रेता अपना खोया वहीं छोड़ भाग जाते हैं। यहां दुकानें खोल बैठे आढ़ती भी इसकी जिम्मेदारी नहीं लेते। उन्होंने अपनी दुकानों पर साफ लिख रखा है कि यहां खोये की मात्र तुलाई होती है।
247 में से 156 सेंपल हुए थे फेल
सेहत विभाग ने पिछले साल 247 खोये और उससे बनी मिठाइयों के सैंपल लिए थे, लेकिन हैरानी होगी कि उनमें से 156 फेल हो गए थे। इसका मतलब है कि जो मिठाई हमने पिछले साल खाई, उसमें से 63.15 प्रतिशत खोया नकली था।
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