कमजोर मांग के चलते अमूल ने स्किम्ड मिल्क पाउडर के दाम घटाए, 7 फीसदी तक सस्ता हुआ

डेयरी टुडे डेस्क,
मुंबई, 23 अगस्त 2017,

स्किम्ड मिल्क पाउडर (दूध पाउडर) उत्पादकों ने कम मांग और आपूर्ति में भारी बढ़ोतरी के कारण अपने उत्पादों के दाम 6 से 7 फीसदी घटा दिए हैं। इस उद्योग की अगुआ गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ लिमिटेड (जीसीएमएमएफ) ने अपने उत्पादों के दाम 10 रुपये प्रति किलोग्राम तक घटा दिए हैं। जीसीएमएमएफ अपने उत्पाद अमूल ब्रांड के तहत बेचती है। कीमतों में इस कटौती के बाद इस समय एसएमपी की कीमतें 220 रुपये प्रति किलोग्राम के आसपास आ गई हैं।

एसएमपी की कीमतों में कमी इसकी मांग में भारी गिरावट का संकेत है। आमतौर पर त्योहारी सीजन के दौरान एसएमपी की मांग अच्छी होती है, लेकिन इस सीजन में अब तक मांग कमजोर रही है। जीसीएमएमएफ के प्रबंध निदेशक आर एस सोढी ने कहा, ‘उपभोक्ताओं की कमजोर मांग के कारण हमने सभी किस्मों के स्किम्ड मिल्क पाउडर की अधिकतम खुदरा कीमत (एमआरपी) में 6 से 7 फीसदी कमी की है। दूध आपूर्ति का नया सीजन शुरू होने से आने वाले महीनों में एसएमपी की कीमतें कमजोर रहने के आसार हैं।’

आम तौर पर दूध आपूर्ति का नया सीजन सितंबर में शुरू होता है और अक्टूबर एवं नवंबर में आपूर्ति अपने चरम पर पहुंच जाती है। इस सीजन में डेयरी कंपनियां अपने तरल दूध का प्रसंस्करण कर एसएमपी बनाती हैं, जिसकी अप्रैल और मई महीनों में कम आपूर्ति के समय आपूर्ति की जाती है।

हालांकि एसएमपी की कीमतों में गिरावट से किसानों को मिलने वाले दूध के दाम कम होने के आसार नहीं हैं क्योंकि डेयरी कंपनियां मार्जिन में कमी का बोझ खुद ही वहन करने की तैयारी कर रही हैं। गोवर्धन ब्रांड के दूध और चीज की उत्पादक पराग मिल्क फूड्स लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (रणनीतिक योजना) श्रीश उपाध्याय ने कहा, ‘दूध खरीद की लागत बढऩे से जून तिमाही में महाराष्ट्र की डेयरी कंपनियों का लाभ मार्जिन कम रहा है। हालांकि एसएमपी की कीमतों में कटौती से दूध की कीमतें घटने के आसार नहीं हैं।’

एडलवाइस सिक्योरिटीज की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल अप्रैल से जून तिमाही में प्रभात डेयरी की दूध खरीद की औसत कीमत 27.1 रुपये रही, जो पिछले साल की इसी तिमाही की तुलना में 5 फीसदी अधिक और इस साल की जनवरी से मार्च तिमाही की तुलना में 5 फीसदी कम रही। हालांकि इस समय डेयरी कंपनियों के लिए निर्यात बाजार में मौके नहीं हैं। इसकी वजह यह है कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में दूध पाउडर के दाम घरेलू बाजारों से 20 फीसदी कम हैं।
साभार-बिजनेस स्टैंडर्ड

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