कहीं बाजार हथियाने की लड़ाई का नतीजा तो नहीं “गोपाल जी ” के डेयरी प्लांट पर छापा ?

BY नवीन अग्रवाल
नोएडा, 30 जुलाई 2017,

हापुड़ में “गोपाल जी ” के डेयरी प्लांट पर प्रशासन के छापे और करीब 6 करोड़ का नकली मिल्क पाउडर मिलने के बाद डेयरी इंडस्ट्री में हड़कंप मच गया है, हालांकि प्रशासन ने बरामद मिल्क पाउडर को जांच के लिए भेजा है, लेकिन इस छापेमारी से आंनदा ब्रांड को बड़ा झटका लगा है। दिल्ली-एनसीआर में गोपाल जी एक बड़ा नाम है, इसके आनंदा ब्रांड के दूध, पनीर, दही, मिल्क पाउडर, देसी घी की डिमांड काफी ज्यादा है। बताया जाता है कि मदर डेयरी और अमूल के बाद डेयरी मार्केट में आनंदा का नाम आता है और ग्राहकों के बीच इसके उत्पादों को काफी पसंद किया जाता है।

दिल्ली-एनसीआर में नंबर एक बनने की जंग

डेयरी उद्योग के जानकार अश्वनी कुमार के मुताबिक दिल्ली, गाजियाबाद, नोएडा, गुड़गांव, फरीदाबाद, मेरठ का बाजार डेयरी के लिहाज से काफी अहम है। इसकी मुख्य वजह ये है कि यहां एक बड़ी आबादी रहती है और ज्यादातर लोग संपन्न हैं और ब्रांडेड डेयरी उत्पादों को पसंद करते हैं। इसीलिए दिल्ली-एनसीआर में हर डेयरी कंपनी अपनी जड़ें जमाना चाहती है, क्योंकि यदि एक बार यहां का मार्केट पकड़ में आ गया तो फिर कंपनी का बिजनेस रॉकेट की तरह आगे बढ़ता है।

छापे के पीछे बाजार हथियाने की होड़ तो नहीं?

डेयरी इंडस्ट्री से जुड़े सूत्रों के मुताबिक करीब एक साल से कानपुर और पूर्वी यूपी की एक बड़ी डेयरी कंपनी दिल्ली-एनसीआर में बिजनेस फैलाने में लगी है और ये कंपनी आक्रामक प्रचार अभियान के जरिए कुछ हद तक उपभोक्ताओं के बीच अपनी जगह बनाने में कामयाब भी हुई है। डेयरी इंडस्ट्री के एक बड़े शख्स ने अपना नाम ना छापने की शर्त पर बताया है कि गोपालजी के प्लांट पर छापा इसी बाजार हथियाने की होड़ का नतीजा हो सकता है। क्योंकि ये सभी को पता है कि त्योहारी सीजन से पहले सभी बड़ी डेयरी कंपनियां स्टॉक बनाकर रखती हैं, तभी दशहरा, दुर्गापूजा और दीवापली जैसे बड़े त्योहारों के मौके पर दूध, पनीर और खासकर मावा की डिमांड को पूरा कर मुनाफा कमाया जा सकता है। और इन दिनों जीएसटी के चक्कर में थोक मार्केट में डेयरी पाउडर और देसी घी जैसे उत्पादों की डिमांड भी कम है, इस वजह से भी कंपनियों के पास स्टॉक भरा पड़ा है।

कंपनियों की आपसी प्रतिस्पर्धा में आम हैं ऐसी हरकतें

बड़ी कंपनियों के कारोबारी तरीकों पर पैनी नजर रखने वाले वरिष्ठ आर्थिक पत्रकार राजेश रपरिया के मुताबिक बाजार हथियाने के लिए बड़ी कंपनियां मुहब्बत और जंग में सब जायज के फार्मूले पर काम करती हैं। उन्होंने बताया कि एक जमाना था जब बॉम्बे डाइंग और रिलायंस के बीच इसी तरह की जंग चला करती थी और दोनों कंपनियां एक दूसरे की पोल खोलने के साथ ही प्रशासनिक मशीनरी के जरिए इसी तरह के छापेमारी कराने में लगी रहती थीं। क्यों कि अपना बिजनेस चमकाने के लिए तमाम कंपनियां अपने प्रोडक्ट की तो आक्रामक मार्केटिंग करती ही हैं साथ ही प्रतिस्पर्धा में आगे निकलने के लिए प्रतिद्वंदी कंपनियों के ब्रांड को बदनाम करने की कोशिश भी करती है।

जाहिर है ऐसे में “गोपाल जी ” के डेयरी प्लांट पर छापे में ऐसी किसी भी संभावना से इनकार भी नहीं किया जा सकता है। और अगर ये सही साबित होता है तो आने वाले दिनों में इस तरह की छापेमारी की कार्रवाई और भी देखने को मिल सकती है।

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