डेयरी टुडे नेटवर्क,
रायपुर, छत्तीसगढ़, 23 मई 2018
छत्तीसगढ़ के बलोद जिले में स्थापित पहले दूध संयंत्र का उद्घाटन पांच जून को मुख्यमत्री डॉ रमन सिंह करने वाले हैं। इस संयंत्र में पुणे से लाकर 64 लाख की मशीनों की स्थापना की गई है, ये मशीनें बता देंगी कि दूध में कितना पानी है और कितना दूध है।
गंगा मैय्या सहकारी समिति के जरिए गांव-गांव के पशुपालक यहां 30 रुपए प्रति किलो के भाव से दूध बेचेंगे। जिस दूध में पानी मिला रहेगा, उसे ये मशीन रिजेक्ट कर देगी। तय है कि बिना पानी मिले ही दूध यहां बेचा जा सकेगा। फिर उसी दूध को बारीकी से शुद्ध (बैक्टीरिया मुक्त) करने अलग अलग मशीनों में डाला जाएगा। जिसके बाद इस शुद्ध दूध को लोगों को 40 रुपए प्रति लीटर के भाव से बेचा जाएगा। यहां आधा लीटर का पैकेट 20 रुपए में मिलेगा। समिति ने दूध का नाम दूध गंगा रखा है। इससे अब आने वाले दिनों में ग्राहकों को दिया जाएगा। लोगों को मिलावटी दूध से मुक्ति मिलेगी।
खनिज न्यास निधि के तहत दूध संयंत्र भवन का निर्माण 19.56 लाख में किया गया है। बाकी करीब 64 लाख से मशीनें लगी है। एक-एक मशीन की कीमत 10 से 15 लाख की है। बिजली गुल होने से काम बंद न हो इसलिए जनरेटर लगाया गया है। मशीनों को ठंडा रखने के लिए चिलर मशीन भी लगी है। अब प्लांट के बगल में यहां से निकलने वाले गंदे पानी को शुद्ध करने के लिए आठ लाख से जल शुद्धिकरण संयंत्र बनाया जा रहा है।
पशु चिकित्सा विभाग अफसर टीडी देवांगन ने बताया दो स्टोरेज टैंक हैं जिसकी क्षमता 3000 लीटर है। बैक्टीरिया मुक्ति के बाद इन्हीं दो टैंकरों में दूध भरेंगे। जिन्हें पैकेजिंग मशीन से आधा लीटर के पैकेट में भरने के बाद बिक्री के लिए कोल्ड रूम में 2 से 8 डिग्री के तापमान में रखा जाएगा।
गांव से बेचने आए लोगों से दूध खरीदकर एक कैन में भरा जाएगा। यहां से दूध तीन पाइप के जरिए होमो जेनाइम मशीन में जाएगा। जहां वह बैक्टीरिया को नष्ट कर दूध शुद्ध करेगा। फिर दूध स्टोरेज टैंक में जमा होगा। यहां से पैकेजिंग मशीन में पाइप से सीधा पैकेट बनकर निकलेगा।
(साभार-दैनिक भास्कर)
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