डेयरी टुडे डेस्क,
भोपाल, 27 अगस्त 2017,
पत्रकारिता के विश्वविद्यालय से अपेक्षा की जाती है कि वहां छात्रों को इस विधा के हर पहलू से अवगत कराया जाएगा. अब पत्रकारिता की पढ़ाई से गाय का कोई सीधा नाता हो सकता है क्या? सवाल चौंकाने वाला है लेकिन भोपाल के माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (MCNUJC) में ये जल्दी ही हकीकत बनने वाला है. विश्वविद्यालय ने भोपाल के बांसखेड़ी में बनने वाले अपने नए परिसर में ‘गोशाला’ शुरू करने का फैसला किया है. अभी ये तय नहीं हुआ है कि गोशाला में कितनी गायों को रखा जाएगा.
पूरी संभावना है कि अगले साल अप्रैल तक ये गोशाला शुरू हो जाए. आजतक की खबर के मुताबिक विश्वविद्यालय के कुलपति बीके कुठियाला ने नए परिसर में ‘गोशाला’ बनाए जाने की पुष्टि की है. कुठियाला ने कहा, ‘नए परिसर में हमारे पास करीब 50 एकड़ जमीन है. इस जमीन में करीब 2 एकड़ जमीन ऐसी है जिसका कोई उपयोग नहीं किया जा सकता. ये सवाल आर्किटेक्ट्स के सामने रखा गया. कई सुझाव सामने आए, इनमें से एक सुझाव गोशाला बनाए जाने का भी था.’
जब कुलपति कुठियाला से सवाल किया गया कि गोशाला से उन छात्रों का क्या भला होगा जो मीडिया में अपना करियर बनाना चाहते हैं? इस पर उनका जवाब था, ‘पहली बात तो गोशाला से शुद्ध दूध, घी, मक्खन मिलेगा जिसे हॉस्टल में रहने वाले छात्रों को वितरित किया जाएगा. अगर छात्रों को बांटने के बाद भी दूध बचेगा तो उसे परिसर में रहने वाले स्टाफ सदस्यों को बांटा जाएगा. इसके अलावा ऑर्गेनिक खेती भी की जाएगी जिसमें गाय का गोबार खाद के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा. ये सबके फायदे वाली स्थिति होगी.’
कुठियाला ने कहा कि अगर छात्र गौसेवा करना चाहेंगे और गोशाला का प्रबंधन सीखना चाहेंगे तो विकल्प भी उनके लिए उपलब्ध रहेगा. जब कुठियाला से गोशाला शुरू करने की टाइमिंग को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, ‘हम कोई एक्स या वाई विचारधारा का अनुसरण नहीं करते. ये सिर्फ संयोग है कि ये फैसला (गोशाला खोलने का) ऐसे समय में लिया गया जब देश में राजनीति गाय के इर्दगिर्द केंद्रित है. हमारे लिए नया परिसर बनाया जा रहा है और उसमें अतिरिक्त जमीन है.’
विश्वविद्यालय के फैसले पर कांग्रेस प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने प्रतिक्रिया दी है कि कुठियाला अपने आरएसएस के आकाओं को खुश करने के लिए ऐसे बेतुके फैसले ले रहे हैं. चतुर्वेदी ने कहा, ‘वो आरएसएस आकाओं को खुश करने की कोशिश कर रहे हैं. पत्रकारिता विश्वविद्यालय के क्या मायने होते हैं? छात्रों को यहां पत्रकारिता सीखनी चाहिए या गौसेवा?’
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