बिहार सरकार देशी नस्ल की गाय को देगी बढ़ावा

डेयरी टुडे नेटवर्क,
पटना, 11 जुलाई 2017

राज्य सरकार देशी नस्ल की गाय को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक योजना पर काम कर रही है. देशी नस्ल की गिर और सहिवाल गाय को बढ़ावा मिलेगा. देशी नस्ल की गाय का दूध स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से अधिक लाभकारी होता है.

हाल के वर्षों में राज्य में क्रास ब्रीड गायों की तुलना में देशी नस्ल की गायों की संख्या में कमी आयी है. राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत देशी नस्ल को बढ़ावा देने के लिए डुमरांव में 18 करोड़ की लागत से एक बुल सेंटर बनाने की योजना है. इस दिशा में काम चल रहा है. आर्थिक दृष्टिकोण से देशी नस्ल की गाय लाभकारी नहीं होती है. इनसे दूध भी कम मिलता है. यही कारण है कि लोग जर्सी या क्रासब्रीड गाय पालने लगे. जानकार कहते हैं कि क्रासब्रीड गायें हमारी आवोहवा के अनुकूल अबतक नहीं हो पायी है. चूंकि इनसे दूध अधिक मिलता है इसलिए लोग पालते हैं.

देश की दो प्रमुख देशी नस्ल गिर को इस्राइल और सहिवाल को ब्राजील विकसित कर अपने देश के अनुकूल बना लिया है और उसका लाभ ले रहा है. इस नस्ल की गायें 14 से 15 लीटर दूध दे रही है. एक पशु चिकित्सक के अनुसार देसी नस्ल की गाय के दूध में प्रोटीन की ए टू मात्रा अधिक होती है यह स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से अच्छा माना जाता है. जबकि क्रासब्रीड और जर्सी नस्ल की गाय के दूध में प्रोटीन की ए वन की मात्रा अधिक होती है. जो स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से बहुत बेहतर नहीं मानी जाती है. इससे मधुमेह, उच्च रक्तचाप आदि होने का खतरा अधिक बढ़ जाता है.

डुमरांव में 18 करोड़ की लागत से बनेगा बुल सेंटर

देशी नस्ल की गाय को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत डुमरांव में एक बुल स्टेशन बनाने की योजना है. यहां पर 100 सांढ़ को रखा जायेगा. इसपर 18 करोड़ खर्च होगा. पशुपालन विभाग ने इस आशय का एक प्रस्ताव केंद्र को भेजा है.

अभी राज्य में पशु गणना शुरू हुई है, लेकिन 2003 से 2012 के बीच राज्य में तीन बार पशु की गणना हुई. इन गणना के आंंकड़ों के अनुसार 2003 में क्रास ब्रीड गायों की संख्या 1057 हजार थी. 2007 में यह बढ़कर 1632.18 हजार और 2012 में 2995.82 हजार हो गयी. इसमें 83.55 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई. वहीं देशी नस्ल की गायों की संख्या 2003 में 5271 हजार, 2007 में 6126 हजार और 2012 में 6098.55 हजार हो गयी. इसमें 0.46 फीसदी गिरावट देखी गयी. अभी भी क्रास ब्रीड की तुलना में देशी गायों की संख्या अधिक है लेकिन देशी नस्ल में बढ़ोतरी का ट्रेंड नहीं है. अनुमान है कि 2017 की पशु गणना में देसी नस्ल में और गिरावट दर्ज की जायेगी.

पशुपालन को बढ़ावा देन के लिए सरकार कृतसंकल्प है. ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पशुपालन का बड़ा योगदान है. देशी नस्ल की गाय को बढ़ावा देने की योजना पर काम चल रहा है.- राधेश्याम साह, निदेशक, पशुपालन

साभार-प्रभात खबर

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