डेयरी टुडे नेटवर्क, पटना, 10 जुलाई
बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में कुलपति नियुक्ति के बाद कर्मियों की नियुक्ति की प्रक्रिया अगले माह से शुरू होगी। रोस्टर क्लियरेंस के लिए सरकार के पास भेजा जा रहा है।
पटना बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में कुलपति नियुक्ति के बाद कर्मियों की नियुक्ति की प्रक्रिया अगले माह से शुरू होगी। रोस्टर क्लियरेंस के लिए सरकार के पास भेजा जा रहा है। विश्वविद्यालय में डीन, रजिस्ट्रार, परीक्षा नियंत्रक, विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, प्रोफेसर, रिसर्च ऑफिसर सहित 250 से अधिक नए पद होंगे। बहाली चरणबद्ध तरीके से होगी। तृतीय और चतुर्थ वर्ग में विभिन्न स्तरों पर कर्मचारियों की बहाली होगी।
विश्वविद्यालय का डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार करने के लिए एक पखवारा से बैठकें हो रही हैं। कुलपति डॉ. रामेश्वर सिंह की अध्यक्षता में डीपीआर कमेटी की बैठक हुई है। पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की सचिव डॉ. एन विजय लक्ष्मी की अध्यक्षता में इस मामले पर बैठक हुई है। जल्द ही डीपीआर को अंतिम रूप दिया जाना है। विश्वविद्यालय की स्थापना मद में करीब 1000 करोड़ रुपए खर्च का अनुमान है।
विधानमंडल में पारित हो चुका है विधेयक
वेटनरी कॉलेज परिसर में ही विश्वविद्यालय का भवन निर्माण होना है। विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए पहले ही बिहार विधानमंडल से विधेयक पारित हो चुका है। इस विश्वविद्यालय के अंतर्गत वेटनरी कॉलेज के साथ फिशरीज कॉलेज, संजय गांधी डेयरी टेक्नोलॉजी संस्थान शामिल किए गए हैं। पशु स्वास्थ्य व उत्पादन संस्थान, मुर्गी फार्म आदि भी इसमें शामिल होंगे। बाद में इसमें कई कृषि विज्ञान केंद्रों को भी शामिल करने की योजना है।
पहले से यहां हैं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय :आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, कर्नाटक, केरल, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश पश्चिम बंगाल।
दूध, मांस व अंडा उत्पादन को मिलेगा बढ़ावा
बिहार पशु विज्ञान विवि से जुड़ने के पहले ये संस्थान बिहार कृषि विश्वविद्यालय से संबद्ध थे। पशु विज्ञान विश्वविद्यालय से राज्य में दूध, मांस और अंडा उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। आईसीएआर के पूर्व डीडीजी व कश्मीर विवि के संस्थापक कुलपति प्रो अलाउद्दीन अहमद ने विवि का प्रारूप तैयार किया था। विवि द्वारा बेसिक साइंस के साथ रूरल व सोशल साइंस, सामान्य अर्थशास्त्र, सांख्यिकी, बायोटेक्नोलॉजी व कंप्यूटर कोर्स का भी संचालन होना है। तीन निदेशालय कुलपति कार्यालय, डीन ऑफिस, रजिस्ट्रार ऑफिस सहित अलग-अलग विभागों के भवन होंगे। विवि परिसर में विभिन्न विषयों पर शोध के लिए केंद्र होंगे। प्रशिक्षण भवन, ऑडिटोरियम व लाइब्रेरी भवन भी बनेंगे।
होंगे बड़े फायदे
– कृषि रोड मैप लक्ष्य पूरा करने में मदद मिलेगी।
– गाय, भैंस, बकरी, मुर्गीपालन व मछलीपालन को मिलेगा बढ़ावा।
– फिशरीज, डेयरी व वेटनरी के छात्रों को शोध में मदद मिलेगी।
– पशुओं की नस्ल सुधार में मदद मिलेगी।
– पशुपालकों को मिलेगा बेहतर तकनीकी प्रशिक्षण।
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