बरेली, 29 जुलाई 2017,
भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान स्थित कृषि विज्ञान केंद्र की मदद से गिरधारीपुर गांव के किसान ने पशुओं के लिए हरा चारे का संकट दूर करने की मिसाल कायम की है। केवीके की मदद से उसने अपने खेत में नेपियर घास उगाई है, जिससे उसने पूरे साल हरा चारा प्राप्त किया। अब कृषि विज्ञान केंद्र अन्य किसानों को भी इसके लिए जागरूक करेगा ताकि पशुओं के लिए हरे चारेे की किल्लत खत्म हो सके और पशु पालन का चलन बढ़े और किसानों की आय दो गुनी हो सके।
आईवीआरआई के वैज्ञानिक डॉ. बीपी सिंह ने बताया कि भारत में कुल फसल के क्षेत्र के चार प्रतिशत में ही हरे चारे का उत्पादन होता है। दुग्ध उत्पादन का साठ फीसदी पशु आहार पर ही खर्च होता है। उन्होंने बताया कि 2050 तक हरे चारे की मांग 1012 मिलियन टन हो जाएगी। ऐसे में नेपियर घास हरे चारे का सबसे अच्छा विकल्प बनेगी।
उन्होंने बताया कि गांव के किसान शरण सिंह ने वर्ष 2013 में नेपियर घास की (प्रजाति) की 500 रूट स्लिप्स (जड़) उगाई थीं। आज उनके पास दो बीघे भूमि में नेपियर घास के 2500 गुच्छे हैं, जो 21 व्यस्क गाय, 02 बैल तथा 07 बछियाओं के लिये पर्याप्त हैं। कम लागत पर यह घास उगाई जा सकती है। अब अन्य किसान भी इसके लिए जागरूक किए जाएंगे ताकि पशु पालन को बढ़ावा मिल सके।
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