डेयरी टुडे नेटवर्क,
ग्वालियर/नई दिल्ली, 30 जुलाई 2019,
मध्य प्रदेश की सरकार ने इन दिनों नकली दूध और डेयरी प्रोडक्ट के खिलाफ राज्यव्यापी अभियान छेड़ रखा है। पूरे राज्य में जगह-जगह पर डेयरियों और मिल्क प्रोसेसिंह यूनिट्स में छापे मारे जा रहे हैं, दूध के सैंपल लिए जा रहे हैं। इसी कार्रवाई के दौरान ऐसा सनसनीखेज मामला सामने आया है, जो आपको हैरत में डाल देगा। मध्य प्रदेश में दूध के काले कारोबार से जुड़े एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड किया गया है, जिसने दूध के कारोबार से महज 15 महीने में 45 करोड़ रुपए की कमाई कर ली। नकली दूध बनाकर बेचने वाला मुरैना जिले का मास्टरमाइंड वीरेन्द्र गुर्जर इस कारोबार में हर महीने में करीब तीन करोड़ का लेनदेन कर रहा था। एसटीएफ ने उसकी फर्म वनखण्डेश्वर डेयरी का एक्सिस बैंक मुरैना का रिकॉर्ड निकाला है तो उसमें 15 महीने में 45 करोड़ का टर्न ओवर सामने आया है।
पिछले दिनों मिलावटी दूध बेचने के आरोप में वीरेन्द्र गुर्जर और उसके लैब टेक्निशीयन अजय माहौर को एसटीएफ ने पकड़ा था। पूछताछ के दौरान दोनों ने खुलासा किया था कि किसानों से हर दिन करीब 15 हजार लीटर दूध खरीदते हैं, उसमें शैंपू और दूसरे कैमिकल मिलाकर करीब 25 हजार लीटर दूध तैयार कर खपाते हैं। इस खुलासे पर एसटीएफ ने वनखण्डेश्वर डेयरी का बैंक एकाउंट ट्रेस किया। अभी वीरेन्द्र और अजय माहौर के निजी खातों की पड़ताल बाकी है।
शुरुआती पूछताछ में मास्टरमाइंड वीरेन्द्र ने बताया था कि इस धंधे को शुरू करने के बाद उसके पास पैसों की कमी नहीं है। मिलावटखोरी से जो पैसा कमाकर दूध सप्लाई के लिए टैंकर भी खरीदे हैं। उनसे ही कई कंपनियों में दूध भेजता है। इतना ही नहीं उसने जहरीले दूध की काली कमाई से तीन बंगले, कई एसयूवी, टैंकर, दो मिल्क प्रोसेसिंह यूनिट और सैकड़ों बीघा खेती की जमीन खरीदी है। एसटीएफ का कहना है कि वीरेन्द्र और अजय से काले कारोबार के बारे में जो जानकारियां मिली हैं उनकी जांच की जा रही है।
इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि वनखण्डेश्वर डेयरी में दूध में मिलावट होती है, इसकी जानकारी सरकारी विभाग के कर्मचारियों को नहीं होगी। समय-समय पर डेयरी की पड़ताल के नाम पर खानापूरी की जाती थी लेकिन कभी इसके मिलावट के धंधे को उजागर नहीं किया गया।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मिलावटी दूध के धंधे में वीरेन्द्र के साथ कारोबार करने वालों पर एसटीएफ का फोकस है। उन लोगों को ढूंढा जा रहा है जो वनखण्डेश्वर डेयरी में दूध सप्लाई करते थे और यहां तैयार दूध को खरीदते रहे हैं। क्योंकि वीरेन्द्र और अजय ने बताया था कि डेयरी में दूध की मिलावट होती है, इसकी जानकारी दूध सप्लाई करने वालों को भी थी। सबको पता था कि डेयरी में 43 रुपए लीटर के हिसाब खरीदा जाता है जबकि सप्लाई दो रुपए कम में 41 रुपए में होती है। जिन नामी गिरामी कंपनियों में डेयरी से दूध जाता था वहां भी प्रंबंधन से वीरेन्द्र गुर्जर की मिलीभगत की आशंका से इंकार नहीं किया जा रहा है।
वनखण्डेश्वर डेयरी से दूध खरीदने वाले तमाम लोगों को पता था कि डेयरी में लैब टेक्निशियन की नौकरी करने वाला अजय माहौर कुछ बरस पहले तक इसी डेयरी में दूध की टंकियां धोने की नौकरी करता रहा है। उसने तकनीकि प्रशिक्षण नहीं लिया है। इसके बावजूद कंपनियां वनखण्डेश्वर डेयरी पर पूरा भरोसा कर उसका दूध खरीदती रहीं। डेयरी का दूध यूपी के बंदायू, मेरठ, दिल्ली, आगरा सहित कई जगहों पर बड़ी कंपनियों में सप्लाई होता रहा है।
एसटीएफ के मुताबिक नकली दूध कारोबार में पकड़े गया वनखण्डेश्वर डेयरी अंबाह का संचालक वीरेन्द्र गुर्जर और लैब टैक्निशियन अजय माहौर की रिमांड पूरी हो गई है। दोनों को जेल भेजा जा चुका है। वीरेन्द्र ने मुरैना में इस तरह मिलावटी दूध के कई और ठिकानों के बारे में जानकारी दी है। उनका भी पता लगाया जा रहा है। इसके अलावा वीरेन्द्र के साथ मिलावटी दूध के कारोबार में जो शामिल थे उन्हें भी तलाशा जा रहा है।
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Dairy sector mei aise logo ki kami nahi hai. Dairy कंपनियां नकली मिल्क बेच कर ही करोड़ों का टर्नओवर कर लेती हैं। इन पर लगाम लगाने जरूरत है। लेकिन लगाएगा कौन? सरकारों को अपने घोटालों से फुर्सत नहीं है। Dairy today पर ऐसी खबरें दिखाते रहें।
This is a collusion by the FSSAI designated officials otherwise adultration at such a level is not possible.....