डेयरी टुडे नेटवर्क,
नई दिल्ली, 30 अप्रैल 2020,
कोरोना महामारी से उपजे संकट के दौरान देशभर में सबसे अधिक नुकसान खेती-किसानी के कार्य में लगे किसान भाइयों को हुआ है। केंद्र सरकार अपनी तरफ से किसानों के कल्याण के लिए कई कदम उठाने का दावा कर रही है, लेकिन किसान संगठन उसे नाकाफी बता रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन (BKU) ने केंद्र सरकार से किसानों और कृषि क्षेत्र के लिए 1.5 लाख करोड़ रुपये का पैकेज मांगा है। बीकेयू के प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत के मुताबिक लॉकडाउन में सब्जियों और फल के किसानों को 80 प्रतिशत, फूल के किसान को 100 प्रतिशत, दूध के किसान को 50 प्रतिशत का नुकसान हुआ है।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजकर अविलम्ब 1.5 लाख करोड़ का पैकेज देने सहित सात मांगें की हैं। उन्होंने कहा है कि लॉकडाउन के चलते सब्जियों और फल के किसानों को 80 प्रतिशत, फूल के किसान को 100 प्रतिशत, दुग्ध उत्पादक किसान को 50 प्रतिशत नुकसान हुआ है। इस संकट की घडी में भी किसान जान हथेली पर रखकर खेत में कार्य कर रहा है। आज किसानों के दम पर ही देश कोरोना से लड़ पा रहा है। अगर देश में खाद्य सुरक्षा न होती तो कोरोना से ज्यादा भूख से मौतें हो चुकी होती।
पत्र में आगे उन्होंने कहा है कि कोविड-19 महामारी के चलते देश में लॉकडाउन करना पड़ा। देशहित में यह अच्छा कदम था, लेकिन लॉकडाउन की घोषणा उस समय करनी पड़ी, जब किसान रबी की कटाई और खरीफ की बुवाई की तैयारी कर रहा था। असमय बारिश के कारण किसानों की फसलों की कटाई 15 दिन लेट हो चुकी थी। लॉकडाउन की घोषणा के बाद किसानों की फसलों की कटाई के लिए लेबर मिलना मुश्किल हो गया था। जिसके चलते किसानों के सामने भारी संकट खड़ा हो गया था। परिवहन के साधन बन्द होने के कारण किसानों की फल, सब्जी या तो खेत में सड़ गई थी या उनके भाव नहीं मिल रहे थे। जिसके चलते किसानों को अपनी फसलों को फेंकने या नष्ट किये जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। देश के तमाम हिस्सों से टमाटर, लौकी, तुरई, खीरा, अंगूर, सन्तरा, लोकाट, लीची को फेंकने की खबरें आ रही हैं। जिसके चलते किसानों के पास खरीफ की बुवाई का संकट है। किसान असमंजस में है कि आखिर उनकी समस्या सुलझाने के लिए सरकार द्वारा आवश्यक कदम क्यों नहीं उठाए जा रहे हैं।
1. लॉकडाउन के तहत फल, सब्जी, दूध, पोल्ट्री, फिशरीज, मधुमक्खी पालक, फूल उत्पादक किसानों के नुकसान की भरपाई के लिए भारत सरकार द्वारा अविलम्ब 1.5 लाख करोड़ का पैकेज दिया जाए।
2. किसान सम्मान निधि का लाभ पहली किश्त की तरह सभी किसानों को दिया जाए। किसान सम्मान निधि की राशि को छह हजार रुपये से बढ़ाकर 24 हजार रुपये किया जाए।
3. किसानों की सभी तरह की फसलें कपास, गेहूं, चना, सरसों, सब्जियों की खरीद की जाए।
4. लम्बे समय से मौसम की मार झेल रहे किसानों को गेहूं पर 200 रुपए कुन्तल बोनस दिया जाए।
5. किसानों के सभी तरह के कर्ज के ब्याज पर एक साल की छूट व खरीफ की बुवाई में खाद, बीच की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
6. फल, सब्जी, फूल उत्पादक किसानों की फसली ऋण माफ किए जाएं।
7. देश में अन्न की आत्मनिर्भरता के साथ-साथ दलहन व खाद्य तेल में भी देश को आत्मनिर्भर बनाया जाए। कृषि आयात पर देश की निर्भरता को समाप्त करने के लिए खाद्य तेल और दलहन उत्पादन के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर उनकी फसलों की सरकारी खरीद की जाए।
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