डेयरी टुडे नेटवर्क,
नई दिल्ली, 25 जुलाई 2021,
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जल और वायु प्रदूषण को लेकर डेयरी फार्म और गौशाला पर सख्ती दिखाई है। इसके लिए देश भर के डेयरी फार्म और गौशाला को लेकर संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसमें प्रति पशु पानी की मात्रा तय करने के साथ ही बदबू रोकने के उपाय करने और स्कूल-अस्पताल से इनकी दूरी तक के बारे में स्पष्ट निर्देश हैं।
डेयरी फार्म और गौशाला से निकलने वाले गोबर और मूत्र का सही तरीके से प्रबंधन नहीं किए जाने के चलते तमाम तरह की समस्याएं पैदा होती हैं। आमतौर पर इसे नाले में बहा दिया जाता है, जिससे सीवर लाइन जाम हो जाती है और नालों के जरिए यह गोबर नदियों को जाकर प्रदूषित करता है। गंदगी के चलते इससे मच्छरों के पनपने की समस्या भी बढ़ती है। यहां जानवरों के रख-रखाव और नहलाने-धुलाने में पानी की बर्बादी भी बहुत ज्यादा होती है।
इन सभी मुद्दों पर सीपीसीबी ने दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसमें सभी डेयरी फार्म और गौशाला संचालकों से गोबर के लिए खाद बनाने की जगह या फिर बायो गैस संयंत्र लगाने को कहा है। प्रति गाय या भैंस के हिसाब से पानी की मात्रा भी तय की गई है। प्रति भैंस सौ लीटर और प्रति गाय 50 लीटर पानी ही इस्तेमाल किया जा सकेगा। पहले प्रति पशु 150 लीटर पानी की मात्रा निर्धारित की गई थी।
डेयरी फार्म और गौशाला से उठने वाली बदबू से आम लोगों को बचाने के लिए स्कूलों, अस्पतालों और आवासीय क्षेत्रों से इनकी दूरी कम से कम सौ मीटर निर्धारित की गई है। जलाशयों-झीलों और नदियों से इनकी दूरी कम से कम 200 मीटर होनी चाहिए, ताकि यहां से निकलने वाले प्रदूषण के चलते पानी के स्रोतों को नुकसान न हो। पता हो कि हाल ही में दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति की ओर से अभियान चलाया गया था। इसमें 66 डेयरी और गौशाला ऐसी मिली थीं जो बिना पंजीकरण के चल रही थीं। यहां नियमों का उल्लंघन किया जा रहा था। इन सभी पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था और इन्हें बंद करने के निर्देश जारी किए गए थे।
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